दूल्हों को तीन तलाक से बचने को कहेंगेः पर्सनल लॉ बोर्ड

[email protected] । May 22 2017 5:46PM

लॉ बोर्ड ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह काजियों को मशविरा जारी करेगा कि वे दूल्हों से कहें कि विवाह विच्छेद करने के मामले में तीन तलाक का रास्ता नहीं अपनायें।

आल इंडिया मस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह काजियों को मशविरा जारी करेगा कि वे दूल्हों से कहें कि विवाह विच्छेद करने के मामले में तीन तलाक का रास्ता नहीं अपनायें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि अपनी वेबसाइट, प्रकाशनों और सोशल मीडिया के माध्यम से काजियों के लिये यह मशविरा जारी करने का फैसला किया गया है कि वे निकाहनामे पर दस्तखत करते वक्त दूल्हों से कहें कि मतभेद होने की स्थिति में ‘‘एक ही बार में तीन तलाक’’ का मार्ग नहीं चुनें क्योंकि ‘‘यह शरीयत में एक अवांछनीय परंपरा है।’’

हलफनामे के सचिव मोहम्मद फजलरुरहीम के अनुसार, ‘‘निकाह कराते समय, निकाह कराने वाला व्यक्ति दूल्हे को सलाह देगा कि मतभेद के कारण तलाक की स्थिति उत्पन्न होने पर वह एक ही बार में तीन तलाक नहीं देगा क्योंकि शरीयत में यह अवांछनीय परंपरा है।’’ हलफनामे में कहा गया है, ‘‘निकाह कराते वक्त, निकाह कराने वाला व्यक्ति दूल्हा और दुल्हन दोनों को निकाहनामे में यह शर्त शामिल करने की सलाह देगा कि उसके पति द्वारा एक ही बार में तीन तलाक की परंपरा को अलग रखा जायेगा।’’

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हलफनामे का अवलोकन करेगी। इस संविधान पीठ ने 18 मई को ही तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई पूरी की है। मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक की परपंरा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ ने केन्द्र सरकार, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और आल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल ला बोर्ड तथा अन्य पक्षों की दलीलों को ग्रीष्मावकाश के दौरान छह दिन सुना था।

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