संसद में आठवें दिन भी गतिरोध बरकरार: निगरानी, राफेल सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामा

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[email protected] । Dec 21 2018 6:45PM

कांग्रेस के सदस्य पिछले दिनों की तरह ही राफेल विमान सौदा की जेपीसी जांच की मांग करते हुए आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही शून्यकाल में पांच सदस्यों ने लोक महत्व के विभिन्न विषय उठाए।

नयी दिल्ली। राफेल मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग, संचार उपकरणों की निगरानी सहित विभिन्न मुद्दों पर अलग अलग दलों के हंगामे के कारण शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में लगातार आठवें दिन भी गतिरोध कायम रहा। हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की बैठक एक-एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। शुक्रवार होने के कारण आज दोनों सदनों में भोजनावकाश के बाद सूचीबद्ध गैर सरकारी कामकाज भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। साथ ही दोनों सदनों में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल भी सुचारू रूप से नहीं चल पाये। लोकसभा की सुबह कार्यवाही शुरू होने पर अन्नाद्रमुक और तेदेपा के सदस्यों के साथ ही दिल्ली में सीलिंग के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य भी आसन के पास आकर विरोध करने लगे। कांग्रेस के सदस्य पिछले दिनों की तरह ही राफेल विमान सौदा की जेपीसी जांच की मांग करते हुए आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही शून्यकाल में पांच सदस्यों ने लोक महत्व के विभिन्न विषय उठाए।

राज्यसभा में भी कमोबेश यही नजारा देखने को मिला। सुबह सदन की कार्रवाई हंगामे के कारण महज बीस मिनट ही चल पाई।सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सभी राजनीतिक पार्टियों, सरकार और विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे कोई ऐसी व्यवस्था विकसित करें जिससे सदन की कार्यवाही सुचारू तरीके से चल सके। उन्होंने सदस्यों से कहा कि सदन में तख्तियां लेकर आने और नारेबाजी करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे गलत संदेश जा रहा है।उन्होंने यह भी कहा कि वह नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष तथा सदन में सभी दलों के नेताओं से अपील करते हैं कि वे मिलकर ऐसी व्यवस्था करें जिससे सदन सुचारू तरीके से चले और जनहित से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हो सके। इसके बाद, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करने संबंधी पत्र सभा पटल पर रखा।इसी बीच कांग्रेस के सदस्य राफेल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग संबंधी तख्तियां लेकर नारे लगाने लगे। अन्नाद्रमुक और ‘आप’ के सदस्य भी तख्तियां लेकर आसन के निकट आ गए। अन्नाद्रमुक सदस्य कावेरी मुद्दे पर और ‘आप’ के सदस्य सीलिंग के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे। 

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गोयल ने कहा कि सरकार राफेल सहित हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष चर्चा से भाग रहा है। ।हंगामे के बीच नायडू ने कहा कि उन्हें सुझाव दिया गया है कि हंगामा करने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं कार्रवाई करूंगा तो पार्टी देखकर नहीं करूंगा। हर पार्टी के लोगों के खिलाफ करूंगा।’’ भोजनावकाश के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की।आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा को निलंबित रख कर राज्यपाल शासन लगाया गया और अब राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा दस केन्द्रीय एजेंसियों को कंप्यूटर सहित सभी संचार उपकरणों की निगरानी का अधिकार देने को अघोषित आपातकाल बताते हुये इसका विरोध किया। कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार के इस आदेश से नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार देश में पुलिस राज लाना चाहती है। इसके साथ ही सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया। हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सरकार यह मुद्दा सहित हर विषय पर चर्चा करने को तैयार है। 

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उप सभापति हरिवंश ने सदन को सूचित किया कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने के संबंध सरकार ने एक सांविधिक प्रस्ताव दिया है तथा सभापति ने कहा है कि इस मुद्दे पर चर्चा करवायी जाएगी। हंगामे के बीच ही सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस मामले में कुछ भी नया नहीं किया है तथा इन एजेंसियों को संप्रग सरकार के कार्यकाल में ऐसी ही जिम्मेदारी दी गयी थी। जेटली ने कांग्रेस पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया।जेटली ने कहा कि बेहतर होता कि विपक्ष इस मुद्दे को उठाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लेता। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष के नेता जो भी विषय उठाते हैं, उसका एक मूल्य होता है, वह काफी मूल्यवान होता है।’’ उन्होंने कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा की इस बात को सिरे से गलत बताया कि इस आदेश के तहत हर कंप्यूटर एवं टेलीफोन की निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 18 साल पहले आईटी कानून आया। जब कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा आदि के साथ खिलवाड़ कर रहा होगा तो विभिन्न एजेंसियों को अधिकार दिया गया है वे उस व्यक्ति की निगरानी कर सकती हैं। 

जेटली ने कहा, ‘‘आईटी कानून के तहत यह अधिकार एजेंसियों को ठीक वैसे ही दिया गया है जैसे टेलीग्राफ कानून में है। उसके नियम जब आनंद शर्मा जी सरकार में थे तब बनाये गये कि किन एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत किया जाए। 2009 में इसके नियम बने। एजेंसियां वही हैं..आईबी, रॉ, डीआरआई आदि।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि इन एजेंसियों के बारे में वही आदेश बार बार जारी किया जाता है जो 2009 में बना था। उन्होंने कहा कि 20 दिसंबर को भी वही आदेश जारी किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों की निजता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया गया है।सदन में हंगामा जारी रहने के बीच ही उपसभापति हरिवंश ने द्रमुक के नेता तिरुचि शिवा के एक निजी संकल्प पर आगे चर्चा करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह संकल्प विधवाओं की स्थिति से जुड़ा है।सपा के रविप्रकाश वर्मा ने इस संकल्प पर अपनी बात भी रखी किंतु हंगामे के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने की कई बार अपील की। किंतु हंगामा थमते न देख, उन्होंने बैठक को अगले बृहस्पतिवार पूर्वाह्नन 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।संसद के दोनों सदनों में अगली बैठक अब 27 दिसंबर को होगी। शनिवार और रविवार की छुट्टी के बाद 24 से 26 दिसंबर तक क्रिसमस पर सदन में तीन दिनों का अवकाश रहेगा।

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