राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की मांग सरकार ने मानी

राज्यसभा में विपक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए सरकार कश्मीर की स्थिति पर बुधवार को सदन में चर्चा कराए जाने पर सहमत हो गयी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जटिल मुद्दे के हल में सबसे सहयोग मांगा। शून्यकाल में कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने कश्मीर में एक महीने से जारी कर्फ्यू पर चिंता जतायी। उन्होंने पैलेट गन के इस्तेमाल पर भी रोक लगाए जाने की मांग की। विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक बुलाने और संसदीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर भेजने की भी मांग की।
विपक्ष कश्मीर की स्थिति पर आज ही सदन में चर्चा कराए जाने की मांग कर रहा था वहीं सरकार इस पर बुधवार को चर्चा कराए जाने के पक्ष में थी। इस खींचतान के बीच विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस पर बुधवार सुबह चर्चा कराए जाने का सुझाव दिया जिसे गृहमंत्री सिंह ने स्वीकार कर लिया। सिंह ने स्वीकार किया कि कश्मीर की स्थिति गंभीर है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील राज्य कश्मीर में उत्पन्न हुयी समस्या का हल सिर्फ सरकार नहीं कर सकती और वह वह सबका सहयोग लेंगे। सुबह गुलाम नबी आजाद ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि कश्मीर में 31वें दिन भी कर्फ्यू जारी है। उन्होंने कहा कि हम सरकार पर आरोप नहीं लगाना चाहते। कश्मीर की स्थिति पर काबू पाने में तमाम विपक्षी दल मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के साथ सुरक्षाकर्मी भी हताहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमें दोनों के लिए अफसोस है। उन्होंने कहा कि 2008 और 2010 की घटनाओं से हमें सबक लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि विगत में गलतियां हुयी हैं। लेकिन अब गलती नहीं हो। उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने और एक प्रतिनिधिमंडल कश्मीर भेजने का भी सुझाव दिया।
जदयू के शरद यादव ने कहा कि सरकार को कश्मीर के बारे में अपनी रणनीति के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने पैलेट गन के उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की। माकपा के सीताराम येचुरी ने राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने, एक प्रतिनिधिमंडल भेजने और पैलेट गन का उपयोग बंद करने की मांग की। सपा के रामगोपाल यादव ने भी एक प्रतिनिधिमंडल कश्मीर भेजने की मांग की और कहा कि पूरा देश देख रहा है कि कश्मीर जल रहा है। ऐसे में लोग हमसे सवाल कर सकते हैं कि ऐसी स्थिति में हम क्या कर रहे हैं।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री से बातचीत की है और बुधवार को इस पर चर्चा करायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार भी चाहती है कि कश्मीर में शांति और प्रगति हो। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि काफी समय से कर्फ्यू लगे होने के कारण हालात खराब हो गए हैं और जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि कश्मीर के मुद्दे पर सब कामकाज रोककर यहां चर्चा हो और उस दौरान प्रधानमंत्री मौजूद हों। मायावती ने कहा कि संसद का सत्र चल रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे पर सदन के बाहर टिप्पणी की, अगर वह यहां बयान देते तो ज्यादा अच्छा होता। उन्होंने कहा कि उनका बयान राजनीति से प्रेरित है।
तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि सरकार के कुप्रबंधन के कारण कश्मीर की स्थिति और खराब हो गयी है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हालांकि इस मुद्दे पर सत्र के दौरान एक बार चर्चा हो चुकी है। लेकिन सदन की भावना को देखते हुए उन्होंने गृह मंत्री से बातचीत की है और उन्होंने बुधवार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सहमति दे दी है। उन्होंने कहा कि सरकार भी चाहती है कि कश्मीर में शांति और प्रगति हो।
इस बीच कई सदस्यों ने आज ही चर्चा कराए जाने पर जोर दिया। माकपा सदस्य टीके रंगराजन ने कहा कि अन्य मंत्रियों की मौजूदगी में भी चर्चा शुरू की जा सकती है। उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि वह भी इस मुद्द पर चर्चा चाहते हैं लेकिन इसके लिए गृह मंत्री को सदन में मौजूद होना चाहिए। इस पर आजाद ने कहा कि कई ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में सिर्फ प्रधानमंत्री या गृहमंत्री को ही जानकारी होती है। इसके साथ ही चर्चा के बाद कदम उठाने होंगे जो गृह मंत्री ही कर सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि बुधवार को शून्यकाल और प्रश्नकाल स्थगित कर सुबह 11 बजे से इस पर चर्चा करायी जा सकती है। इसी दौरान सदन में आए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार सुबह चर्चा कराए जाने के सुझाव को स्वीकार कर लिया।
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