सरकार ने भी माना, सीबीआई विवाद से एजेंसी की कार्यप्रणाली दूषित हुई

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[email protected] । Oct 24 2018 4:42PM

सीवीसी ने यह भी पाया कि सीबीआई निदेशक का रवैया जरूरतों/निर्देशों के अनुपालन को लेकर असहयोगजनक था और उन्होंने इरादतन आयोग की कार्यप्रणाली को बाधित करने की कोशिश की।

नयी दिल्ली। सरकार ने बुधवार को दावा किया कि छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का सहयोग नहीं कर रहे थे। उन्हें (वर्मा को) छुट्टी पर भेजने के अपने फैसले का बचाव करते हुए सरकार ने कहा कि एजेंसी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ ‘‘भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों’’ की वजह से एक ‘‘असाधारण और अभूतपूर्व’’ स्थिति बन गई थी। सीबीआई में गुटीय विवाद का माहौल अपने चरम पर पहुंच गया है जिससे इस प्रमुख संस्था की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा जबकि इसके अलावा संगठन में कामकाज का माहौल भी दूषित हुआ है। 

एक लंबे बयान में सरकार ने कहा कि सीवीसी को 24 अगस्त 2018 को एक शिकायत मिली थी जिसमें सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों पर विभिन्न आरोप लगाए गए थे। सीवीसी ने सीवीसी अधिनियम,2003 की धारा 11 के तहत 11 सितंबर को तीन नोटिस जारी कर सीबीआई निदेशक को आयोग के समक्ष 14 सितंबर को फाइलें और दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा था। इन दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिये सीबीआई को विभिन्न मौके दिये गए और कई बार स्थगन के बाद सीबीआई ने आयोग को 24 सितंबर को आश्वासन दिया कि वह तीन हफ्तों के अंदर दस्तावेज मुहैया करा देगी।

बयान में कहा गया, ‘‘बार-बार आश्वासन देने और याद दिलाए जाने के बावजूद, सीबीआई निदेशक आयोग को दस्तावेज और फाइल उपलब्ध कराने में विफल रहे। सीवीसी ने कहा कि गंभीर आरोपों से जुड़े मामलों में आयोग द्वारा मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध कराने में सीबीआई निदेशक सहयोग नहीं कर रहे थे।’’ सीवीसी ने यह भी पाया कि सीबीआई निदेशक का रवैया जरूरतों/निर्देशों के अनुपालन को लेकर असहयोगजनक था और उन्होंने इरादतन आयोग की कार्यप्रणाली को बाधित करने की कोशिश की। 

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