किसानों की नहीं सुनी तो यह सरकार दोबारा नहीं आयेगी: सत्यपाल मलिक

Satya Pal Malik

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा है कि अगर किसानों की नहीं सुनी गई तो यह केंद्र सरकार दोबारा नहीं आयेगी।

जयपुर। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा है कि अगर किसानों की नहीं सुनी गई तो यह केंद्र सरकार दोबारा नहीं आयेगी। रविवार को झुंझुनूं में संवाददाताओं से बातचीत में मलिक ने कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन होना चाहिए था। लखीमपुर खीरी मामले में मिश्रा के इस्तीफा नहीं दिए जाने पर मलिक ने कहा‘‘बिल्कुल गलत है यह, लखीमपुर मामले में मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन होना चाहिए था।

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वो वैसे ही मंत्री होने लायक नहीं हैं। ’’ मलिक ने कहा कि ‘‘ जिनकी सरकारें होती हैं उनका मिजाज थोड़ा आसमान में पहुंच जाता है उन्हें यह दिखता नहीं है कि इनकी तकलीफ कितनी है, लेकिन वक्त आता है जब उन्हें देखना भी पड़ता है और सुनना भी पड़ता है। अगर किसानों की नहीं मानी गई तो यह सरकार दोबारा नहीं आयेगी।’’ मलिक ने किसानों से जुडे़ एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ’’ किसानों के साथ ज्यादती हो रही है, वो 10 महीने से पड़े हैं, उन्होंने घर बार छोड़ रखा है, फसल बुवाई का समय है और वे अब भी दिल्ली में पड़े हैं तो उनकी सुनवाई करनी चाहिए सरकार को।’’

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राज्यपाल का पद पद छोड़कर उनके साथ खड़ा होने के लिये अगर उन्हें कहा जाये तो, इस पर मलिक ने कहा, ‘‘ मैं तो खड़ा ही हूं उनके साथ, पद छोड़ने की उसमें कोई जरूरत नहीं है, जब जरूरत पडे़गी तो वो भी छोड़ दूंगा.. लेकिन मैं उनके साथ हूं .. उनके लिये मैं प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सबसे झगड़ा कर चुका हूं। सबको कह चुका हूं कि यह गलत कर रहे हो यह मत करो।’’ उन्होंने कहा कि वो प्रधानमंत्री से मिलकर अपने विचार बतायेंगे चाहे वो कश्मीर के हो या किसी भी चीज के हो। क्या वजह है कि सरकार अभी तक किसानों को मनवा नहीं पायी.. मलिक ने कहा कि ‘‘ देखो, सरकारें जितनी भी होती हैं उनका मिजाज थोड़ा आसमान में हो जाता है उन्हें यह दिखता नहीं है कि इनकी तकलीफ कितनी है, लेकिन वक्त आता है फिर उनको देखना भी पड़ता है सुनना भी पड़ता है.. यही सरकार का होना है… अगर किसानों की मांगें नही मानी गई तो यह सरकार दोबारा नहीं आयेगी।’’

उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव में किसान आंदोलन का प्रभाव पड़ेगा… इसके जवाब में मलिक ने कहा यह तो यूपी वाले बतायें कि प्रभाव पड़ेगा कि नहीं, मैं तो मेरठ का हूं मेरे यहां तो कोई भाजपा का नेता किसी गांव में घुस नहीं सकता है… मेरठ , बागपत, मुज्जफरनगर.. घुस नहीं सकते है।’’ किसान आंदोलन को लेकर सरकार समझ क्यों नहीं पा रही है, इस पर मलिक ने कहा कि ‘‘जिसकी सरकार होती है उसको बहुत घमंड होता है। वह समझते नहीं जब तक कि पूरा सत्यानाश ना हो जाये।’’ केंद्र सरकार के घमंड में होने के सवाल पर मलिक ने कहा कि ‘‘वह नहीं, उनको जो सलाह देते है, उनके इर्द गिर्द हैं वो गलत सलाह दे रहे हैं।’’

किसान और सरकार के बीच मध्यस्थता के सवाल पर मलिक ने कहा कि ‘‘ कोई मुझे कहे तो, कि आप मध्यस्थ हैं.. मैं तो कर दूंगा मध्यस्थता लेकिन किसानों ने तो कह दिया कि हम मानने को तैयार हैं सरकार भी कह दे.. मैं बैठकर एक चीज है जिससे हल हो जायेगा.. आप न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कर दो.. तीनों कानूनों को लेकर मैं किसानों को मनवा लूंगा कि ये तीनों कानून लंबित हैं छोड़ दो इसको अब।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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