जिस प्रोजेक्ट पर शिवराज सरकार ने लगाई थी रोक अब उसके लिए काटे जाएंगे हजारों पेड़

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दिनेश शुक्ल । Nov 4 2019 3:32PM

विधायकों का नया आवास पुराने आवासों से 5 गुना बड़ा होगा। इसके लिए करीब डेढ़ हजार पुराने पेड़ कटना तय है। पुराने विश्रामगृह की जगह भी यह इमारतें बन सकती थीं मगर यही लोकेशन तय की गई है।

भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार माननीय विधायकों के विश्राम गृह के लिए राजधानी भोपाल के हरे-भरे पेड़ काटना की तैयारी में है। मध्यप्रदेश विधानसभा भवन और पुराने विधायक विश्राम गृह के बीच अरेरा पहाड़ी के उत्तरी ढलान पर खड़े पूरी तरह प्राकृतिक जंगल को उजाड़कर यहां माननीय विधायकों के लिए विश्राम गृह तैयार बनाने के लिए पेड़ काटने के बारे में विचार किया जा रहा है। जिसकी वजह से राजधानी भोपाल का इकोलॉजिकल संतुलन बिगड़ सकता है और इसी को लेकर पर्यावरणविद और समाजसेवी संगठन परेशान हैं। विधानसभा परिसर से सटी 22 एकड़ जमीन नैसर्गिक हरियाली से भरपूर है। जिसे विधायक विश्राम गृह के लिए बनाई जाने वाली छह-सात मंजिला इमारतों के लिए खत्म करने की योजना है। 127 करोड़ रूपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के लिए वर्क ऑर्डर होने जा रहा है।

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वहीं विधानसभा अध्यक्ष अपनी जिद के चलते प्रदेश की राजधानी भोपाल की हरियाली उजाड़ने का हट कर रहे हैं। उनकी यह जिद भोपाल में नए विधायक विश्राम गृह को बनाने की है। जिसमें हजारों हरे भरे पेड़ों की बली चढ़ाने की तैयारी की जा रही है। एक समाचार पत्र को दिए अपने वक्तव्य में विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कहा कि विधायकों के नए विश्राम गृह कहां बनना है, कहां नहीं, ये मेरा अधिकार क्षेत्र है। पहले का जो प्रस्ताव तैयार था, हम तो उसे आगे बढ़ा रहे हैं। अभी बन कहां रहे हैं, प्रस्तावित हैं। विधायकों को अच्छी आवास सुविधा मिले, इसी उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हैं। 

विधायकों का नया आवास पुराने आवासों से 5 गुना बड़ा होगा। इसके लिए करीब डेढ़ हजार पुराने पेड़ कटना तय है। पुराने विश्रामगृह की जगह भी यह इमारतें बन सकती थीं मगर यही लोकेशन तय की गई है। 127 करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के लिए वर्क ऑर्डर होने वाले हैं। नई विधानसभा के पास कुल 104.99 एकड़ जमीन है। जिसमें से 22 एकड़ की बेशकीमती जमीन माननीयों के नए निवास के लिए चुनी गई। आम अनुभव यह है कि विश्रामगृह में बमुश्किल ही कोई विधायक रुकते हों। ज्यादातर उनके परिजन, क्षेत्र के लोग या भोपाल में पढ़ने वाले क्षेत्र के विद्यार्थी ही यहां डेरा डाले रहते हैं। इसलिए इतने बड़े पैमाने पर हरी-भरी जमीन पर नया निर्माण समझ से परे है।

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यह प्रोजेक्ट दो साल पहले बजट सत्र 2012 के दौरान कैबिनेट ने मंजूर किया था। विधानसभा की हरियाली बचाने के लिए पूर्व में कई लोगों के विरोध के बाद तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्रोजेक्ट रोक दिया था, जिसे अब फिर आगे बढ़ाया गया है। पर्यावरण विशेषज्ञयों का कहना है कि हरियाली को मिटाकर अगर निर्माण होगा तो प्रदूषण और बढ़ेगा, भोपाल में पहले ही ग्रीन कवर 10 साल में 26% घट गया है। जिससे पीएम-10 व पीएम-2.5 का स्तर बढ़ रहा है। ट्रैफिक बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन भी बढा है और आगे भी बढ़ेगा। राजधानी भोपाल के साथ यह विडंबना है कि कुछ प्रोजेक्ट के लिए पहले ही हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं, अब सिर्फ विधायकों के लिए यह करने की तैयारी है। पूर्व वन अधिकारी एवं पर्यावरणविद् डॉ. सुदेश बाघमारे की माने तो अरेरा पहाड़ी पर खड़े पेड प्राकृतिक रूप से उगे है इन्हें कृतिम रूप से नहीं उगाया जा सकता। यह जंगली पेड़ 50 साल की उम्र पूरी होने के बाद जितनी इकोलॉजिकल सर्विस देते है उतनी 5000 नए पेड़ दस साल बाद दे पाएंगे। 

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