कृषि कानूनों से जुड़े एक सवाल का जवाब भी नहीं दे सके टिकैत, कैमरे के सामने फजीहत होती देख एंकर पर ही करने लगे निजी हमले

Tikait
अभिनय आकाश । Aug 27 2021 7:29PM

एक निजी चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान एंकर ने टिकैत से कहा कि आप बताइए कि कानून में कहा लिखा है कि किसानों की जमीन वापिस ले ली जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो मैं आपके साथ बैठकर आंदोलन करूंगी। टिकैत इस दौरान न केवल असहज नजर आएबल्कि मुद्दे को घुमाते हुए भी दिखाए दिए।

कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन बीते नौ महीने से चल रहा है। वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत घूम-घूमकर पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। लेकिन आज राकेश टिकैत की कृषि कानूनों को लेकर ही फजीहत हो गई और कैमरे के सामने वो इससे जुड़े सवालों के सामने असहज नजर आएं। एक निजी चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान एंकर ने टिकैत से कहा कि आप बताइए कि कानून में कहा लिखा है कि किसानों की जमीन वापिस ले ली जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो मैं आपके साथ बैठकर आंदोलन करूंगी। टिकैत इस दौरान न केवल असहज नजर आएबल्कि मुद्दे को घुमाते हुए भी दिखाए दिए। 

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किसान नेताओं के आंदोलन से किनारा करने के सवाल पर दिया ये जवाब

राकेश टिकैत से किसान आंदोलन के दौरान गुरुनाम सिंह चढ़ूनी, भानु प्रताप सिंह जैसे नेताओं के किनारा करने के सवाल पर कहा कि सभी साथ में हैं। कोई नहीं गया है छोड़कर। 

कृषि कानूनों की प्रतियां साथ लेकर बैठीं एंकर ने टिकैत से पूछा कि अगर उन्होंने ये कृषि कानूनों को पढ़ा है तो बताएं कि परेशानी क्या है? कहां लिखा है कि जमीन छीन ली जाएगी। इसी सवाल के बाद टिकैत बातों को गोल-मोल करने लगे। और कहा कि इसमें संशोधन क्या करना चाहते हैं वो। एंकर ने बीच में टोकते हुए कहा संशोधन नहीं कृषि कानूनों को लेकर बताएं। तो टिकैत ने कहा कि तीनों कानून ही काले हैं। एंकर ने फिर से सवाल दोहराया कि ये बताइए कि किस सेक्शन में लिखा है कि कॉरपोरेट जमीन ले लेंगे। लेकिन टिकैत फिर अमेरिका की बात करने लगे और कहने लगे कि यूएसए का पूरा हिस्ट्री पढ़ लो। 

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कृषि कानूनों से जुड़े लगातार सवालों पर खीज कर टिकैत ने कहा कि मैं यहां कानूनों के प्रावधानों पर बात करने नहीं आया हूं। एंकर के बार-बार कानूनों के प्रावधान से दिक्कत के बारे में पूछे जाने पर टिकैत ने झल्लाकर कहा कि आपको क्यों बताए हम कुछ, आपकी सरकार में क्या पोस्ट है। एंकर ने कहा कि यदि आप नहीं बता पा रहे तो मुझे बता दें, मैं उस खंड को पढ़ दूँगी जो स्पष्ट कहता है कि किसी भी संस्था को किसान की जमीन पर कब्जा करने का हकदार नहीं है। सवालों से तंग आए टिकैत ने अंत में इस पूरे मुद्दे से अपना पल्ला यह कहकर झाड़ना चाहा कि रुबिका केंद्र सरकार के लिए काम करती हैं। 

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