ममता के करीबी की किताब से बढ़ेगी TMC की मुश्किलें, बिस्वास ने शारदा चिट फंड मामले को चारा घोटाला से भी बड़ा बताया

Mamata Lalu
अभिनय आकाश । Feb 23 2021 2:10PM

यूएन बिश्वास ने 2013 के शारदा घोटाले को ममता की देख-रेख में किया गया घोटाला बताया है। इसके साथ ही विश्वास ने अपनी किताब में विस्तार से बताया है कि कैसे इसमें फंसे ममता के करीबियों को बचाने के लिए बहुत कोशिश की गई।

लालू प्रसाद यादव को बीते दिनों कोर्ट से बड़ा झटका लगा और उनकी जमानत के अनुरोध को खारिज कर दिया। लेकिन इन खबरों के बीच पुलिस अधिकारी और सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने अपनी नई किताब में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। विश्वास ने अपनी किताब में लालू प्रसाद की गिरफ्तारी से जुड़ी समस्याओं का भी उल्लेख किया है। इसके अलावा विश्वास ने शारदा चिट फंड को सबसे बड़ा घोटाला बताया है। 

चारा घोटाला से भी बड़ा है शारदा चिट फंड मामला

यूएन विश्वास की किताब अभी प्रकाशित भी नहीं हुई है लेकिन इसमें लिखी बातें पश्चिम बंगाल से लेकर देशभर में सुर्खियां बटोर रही है। एक साक्षात्कार में यूएन बिश्वास ने 2013 के शारदा घोटाले को ममता की देख-रेख में किया गया घोटाला बताया है। इसके साथ ही विश्वास ने अपनी किताब में विस्तार से बताया है कि कैसे इसमें फंसे ममता के करीबियों को बचाने के लिए बहुत कोशिश की गई। यूएन विश्वास की पुस्तक ऐसे समय में आने वाली है जब कि पश्चिम बंगाल में चुनाव होने में कुछ ही महीनों का वक्त शेष है। 

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चारा घोटाले को लेकर किए कई खुलासे

11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाला के सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआइ के सह निदेशक यू एन विश्वास तब चारा घोटाले की जांच कर रहे थे और उन्हें घोटाले के मुख्य आरोपी और बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करना था। लेकिन तभी हुआ कुछ ऐसा जिसने सीबीआई को भी चौंका दिया। लालू के खिलाफ वारंट जारी हो गया लेकिन बिहार पुलिस ने लालू को गिरफ्तार करने से साफ इनकार कर दिया। यूएन विश्वास ने लालू की गिरफ्तारी के लिए बिहार के मुख्य सचिव से संपर्क भी साधा था, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए। फिर डीजीपी से बातचीत की गई, तो उन्होंने एक तरीके से पूरे मामले को ही टाल दिया। ऐसे में एक बड़ा सवाल की घोटाले के आरोपी लालू प्रसाद की गिरफ्तारी आखिर कैसे होगी? मामले पर राज्य अधिकारियों से सामंजस्य न बैठ पाने के कारण यू एन बिस्बास ने सीबीआई के पटना स्थित कार्यलय में एक अधीक्षक रैंक के अधिकारी से कहा कि वह सेना से संपर्क करे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने में उसकी मदद लें। इतना होते ही मामला सीधा बिहार से दिल्ली पहुंच गया। उस वक्त के गृहमंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने संसद को बताया कि पटना पहुंचे सीबीआई अधिकारियों ने मदद के लिए दानापुर कैंट के ऑफिसर इंचार्ज को पत्र लिखा है। पत्र में सीबीआई ने सेना से कम से कम एक कंपनी सशस्त्र बल तुरंत भेजने की मांग की थी। सीबीआई से मदद का पत्र मिलने के बाद दानापुर कैंट के ऑफिसर इंचार्ज ने तुरंत ही इस बारे में अपने अधिकारियों को बताया। इसके बाद सेना की तरफ से जवाब आया। सेना की तरफ से भी पहले निराशा ही हाथ लगी थी। सेना ने सीबीआई को उसके खत के जवाब में कहा, “केवल अधिसूचित नागरिक अधिकारियों के अनुरोध पर सहायता के लिए आ सकते हैं।”मामला फिर से एक बार कोर्ट पहुंचा। यहां से सीबीआई कोर्ट ने बिहार के डीजीपी के शोकॉज नोटिस जारी किया। हालांकि इसके बाद भी सीबीआई लालू यादव को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी। तब केंद्र सरकार पर लालू का दबाव इस बात को लेकर था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल उनकी पसंद से प्रधानमंत्री बने थे और वो बिहार से राज्य सभा में गये थे। इसकी वजह से केंद्र सरकार और CBI के दिल्ली में कुछ अधिकारी चाहते थे कि लालू यादव को CBI की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करने का एक मौक़ा मिलना चाहिए और उनकी गिरफ़्तारी न हो।  लेकिन यूएन विश्वास भी अपनी ज़िद पर अड़े थे। लेकिन आखिरकार लालू यादव ने अपनी मर्ज़ी के अनुसार 30 जुलाई को सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। 

ममता के रहे हैं करीबी

यूएन विश्वास 2011 से 2016 तक ममता बनर्जी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री थे। 2016 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी ममता ने उन्हें पश्चिम बंगाल के एससी-एसटी और ओबीसी आयोग का अध्यक्ष बनाया था। 10 साल तक ममता के साथ रहने वाले विश्वास उनके विश्वासपात्र माने जाते थे। लेकिन बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और किताब लिखने में लग गए। 

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