शीर्ष अदालत ने कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर को चार सप्ताह की पैरोल दी

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[email protected] । Jan 15 2020 7:01PM

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि अपीलकर्ता (बलवान खोखर) को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये जेल से पैरोल पर रिहा किया जाये।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के साथ उम्र कैद की सजा काट रहे कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर को बुधवार को चार सप्ताह के लिये पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया ताकि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि अपीलकर्ता (बलवान खोखर) को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये जेल से पैरोल पर रिहा किया जाये। पीठ ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, हम अपीलकर्ता को पैरोल देना उचित समझते हैं। तद्नुसार हम निचली अदालत की संतुष्टि के अनुरूप बलवान खोखर को आज से चार सप्ताह के लिये पैरोल पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर 2018 को अपने फैसले में खोखर की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी जबकि उसने कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार को बरी करने का निचली अदालत का 2013 का निर्णय उलट दिया था। यह मामला एक और दो नवंबर, 1984 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली की पालम कालोनी के राजनगर पार्ट-Iइलाके में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-II में एक गुरूद्वारा जलाये जाने की घटना से संबंधित है। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही खोखर के वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि उनके मुवक्किल को चार सप्ताह के लिये रिहा किया जाये ताकि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हो सके। 

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इस पर पीठ नेकहा कि उसे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये चार के लिये पैरोल पर रिहा किया जा सकता है लेकिन जमानत पर नहीं। इस मामले में शिकायकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और एच एस फूलका ने कहा कि न्यायालय ने पिछले साल पांच अगस्त को कहा था कि सज्जन कुमार की जमानत याचिका ग्रीष्मावकाश के दौरान मई, 2020 सूचीबद्ध की जायेगी क्योंकि यह कोई सामान्य मामला नहीं है। इन वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा कि ऐसी स्थिति में पीठ को बलवान खोखर की जमानत याचिका पर भी विचार नहीं करना चाहिए। हालांकि, पीठ ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुये खोखर की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। पीठ ने खोखर को पैरोल पर रिहा करने का आदेश देने के साथ ही उसकी अर्जी का निबटारा कर दिया।

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