Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ की सियासत के लिए बेहद अहम हैं आदिवासी वोटर्स, निभाते हैं निर्णायक भूमिका

Tribal voters
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बीजेपी-कांग्रेस का विधानसभा चुनाव को लेकर फोकस आदिवासी वोटर्स हैं। राज्य की सियासत को लेकर कहा जाता है कि जिस पार्टी के पक्ष में आदिवासी वोटर जाते हैं, राज्य में उस पार्टी की सरकार बनती है।

बीजेपी-कांग्रेस का विधानसभा चुनाव को लेकर फोकस आदिवासी वोटर्स हैं। राज्य की सियासत को लेकर कहा जाता है कि जिस पार्टी के पक्ष में आदिवासी वोटर जाते हैं, राज्य में उस पार्टी की सरकार बनती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य की कुल आबादी करीब 2.75 करोड़ है। जिनमें से 34 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं। वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए 29 सीटें आरक्षित की गई हैं। ऐसे में इन 29 सीटों को छोड़कर भी ऐसी भी कई सीट हैं, जहां पर किसी भी पार्टी की हार-जीत में आदिवासी वोटर्स अहम फैक्टर निभाते हैं। 

यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां आदिवासियों पर फोकस कर रही हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 28 आदिवासी सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी थी। वहीं लोकसभा की 11 सीटों में से 4 सीटें आरक्षित हैं। लोकसभा सीटों में बस्तर, कांकेर, रायगढ़ और सरगुजा एसटी के लिए आरक्षित हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा सीट में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहीं 3 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

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आदिवासी वोटर्स पर कांग्रेस का फोकस

सीएम के रूप में भूपेश बघेल लगातार आदिवासी समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने के लिए काम कर रहे हैं। सीएम पद की शपथ लेने के बाद सीएम बघेल ने आदिवासियों की हजारों एकड़ जमीन वापस कराने का निर्णय लिया। जिसे एक प्रस्तावित स्टील परियोजना के लिए राज्य सरकार ने अधिग्रहित किया था। इसके अलावा बघेल सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है। वहीं  वनोपज के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की गई है। इसके लिए बघेल सरकार ने एक बाजार भी स्थापित किया है। इस बाजार में राज्य सरकार वनोपज की खरीद भी कर रही है।

अहम है आदिवासी सीएम का मुद्दा

छत्तीसगढ़ राज्य में समय-समय पर आदिवासी सीएम का मुद्दा उठता रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले सर्व आदिवासी समाज ने आदिवासी वोटर्स को मुद्दा बनाया है। सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम ने ऐलान किया कि छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इस ऐलान के बाद भाजपा और कांग्रेस में हलचल मच गई है। यही कारण है कि दोनों पार्टियां आदिवासी वोटर्स पर जोर दे रही हैं।

बस्तर और सरगुजा पर मुख्य फोकस

बता दें कि बस्तर संभाग और सरगुजा राज्य के आदिवासी बाहुल्य इलाके हैं। भाजपा और कांग्रेस के सीनियर लीडर लगातार इन क्षेत्रों में दौरे कर रहे हैं। सर्व आदिवासी समाज के साथ-साथ  इस क्षेत्र में क्षेत्रीय पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी असर देखने को मिलता है। बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी बस्तर क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी ने जगदलपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया था।

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