तीन तलाक: मुस्लिम संगठनों ने किया न्‍यायालय के फैसले का स्‍वागत

Tripple Talaq: Muslim organizations welcome court verdict
[email protected] । Aug 22 2017 2:03PM

ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्‍ता अम्बर ने कहा कि उच्‍चतम न्‍यायालय का फैसला मुस्लिम समाज के लिये ऐतिहासिक है। यह देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत है।

लखनऊ। ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर आज उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिये गये फैसले को इस्‍लाम और देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत करार देते हुए कहा कि इससे तलाक के नाम पर मुसलमान औरतों के साथ होने वाली नाइंसाफी पर रोक लगने की उम्‍मीद है। ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्‍ता अम्बर ने कहा कि उच्‍चतम न्‍यायालय का फैसला मुस्लिम समाज के लिये ऐतिहासिक है। यह देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत है, लेकिन उससे भी ज्‍यादा अहम यह है, कि यह इस्‍लाम की जीत है। उम्‍मीद है कि आने वाले वक्‍त में तीन तलाक को हमेशा के लिये खत्‍म कर दिया जाएगा।

उन्‍होंने कहा कि अब तक तीन तलाक की वजह से मुस्लिम औरतों पर जुल्‍म होते रहे हैं, जबकि इस्‍लाम में कहीं भी तीन तलाक की व्‍यवस्‍था नहीं है। यह सिर्फ कुछ तथाकथित धर्मगुरुओं की बनायी हुई अन्‍यायपूर्ण व्‍यवस्‍था थी, जिसने लाखों औरतों की जिंदगी बरबाद की है। इस फैसले से मुस्लिम औरतों को एक नयी उम्‍मीद मिली है। शाइस्‍ता ने कहा, ‘‘उच्‍चतम न्‍यायालय ने शरीयत से छेड़छाड़ किये बगैर छह महीने के अंदर संसद में कानून बनाये जाने की बात कही है। मुझे विश्‍वास है कि यह कानून बिना किसी दबाव के बनेगा और मुस्लिम महिलाओं को खुशहाली का रास्‍ता देगा।’’

तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले पर किसी तरह की टिप्‍पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा। ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्‍ता मौलाना यासूब अब्‍बास ने उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश का स्‍वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्‍याय को रोका जा सकेगा। उन्‍होंने कहा, ‘‘हजरत मुहम्‍मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्‍यवस्‍था नहीं थी। हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्‍त कानून बने। मैं संसद से गुजारिश करता हूं कि वह इंसानियत से जुड़े इस मसले पर नैसर्गिक न्‍याय के तकाजे के अनुरूप कानून बनाए।’’

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