ट्रंप का कॉल और नरेंद्र सरेंडर... सीजफायर को लेकर मोदी पर राहुल गांधी का तीखा हमला, 1971 का किया जिक्र

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अंकित सिंह । Jun 3 2025 6:00PM

राहुल ने कहा कि ट्रंप का एक फोन आया और नरेंद्र जी तुरंत सरेंडर हो गए - इतिहास गवाह है, यही भाजपा-आरएसएस का चरित्र है, ये हमेशा झुकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने 1971 में अमेरिका की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को तोड़ा था। कांग्रेस के बब्बर शेर और शेरनियां महा शक्ति से लड़ते हैं, कभी झुकते नहीं।

मध्य प्रदेश दौरे पर गए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को सीजफायर को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। राहुल ने कहा कि ट्रंप का एक फोन आया और नरेंद्र जी तुरंत सरेंडर हो गए - इतिहास गवाह है, यही भाजपा-आरएसएस का चरित्र है, ये हमेशा झुकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने 1971 में अमेरिका की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को तोड़ा था। कांग्रेस के बब्बर शेर और शेरनियां महा शक्ति से लड़ते हैं, कभी झुकते नहीं।

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कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा-आरएसएस वालों पर थोड़ा सा भी दबाव डालो, डरकर भाग जाते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने उधर से फोन कर कहा- नरेंदर.. सरेंडर, इधर नरेंद्र मोदी ने 'जी हुजूर' कहकर ट्रंप के इशारे का पालन किया। एक वक़्त 1971 का भी था, जब अमेरिका का सातवां बेड़ा आया था, लेकिन इंदिरा गांधी जी ने कहा था- मुझे जो करना है, वो करूंगी। उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस वालों का कैरेक्टर ही ऐसा है। इन्हें आजादी के समय से सरेंडर वाली चिट्ठी लिखने की आदत है। कांग्रेस पार्टी सरेंडर नहीं होती है। गांधी जी, नेहरू जी, सरदार पटेल जी- ये सरेंडर वाले लोग नहीं हैं, बल्कि सुपरपावर से लड़ने वाले लोग हैं।

राहुल ने आगे कहा कि जातिगत जनगणना के दो मॉडल हैं। एक तेलंगाना का मॉडल, दूसरा बिहार का मॉडल। बिहार में अफसरों ने जातिगत सर्वे के लिए बिना दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, जनरल कास्ट या अल्पसंख्यकों से पूछे ही सवाल तैयार कर दिए। वहीं, तेलंगाना में हमने लाखों लोगों से सवाल पूछा। हमारे इस प्रॉसेस में 3.5 लाख से ज्यादा लोगों ने एक साथ मिलकर सवाल निकाले हैं। तेलंगाना के हर घर में सरकार के अफसर गए और सर्वे से जुड़े सवाल पूछे। इससे हमें पता चला कि प्रदेश में कॉर्पोरेट सेक्टर के बड़े पदों पर एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का व्यक्ति नहीं था। 

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कांग्रेस नेता ने कहा कि हमने कह दिया कि हम सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे और लोक सभा में जातिगत जनगणना पास करवा के दिखाएंगे। इस पर नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत, नितिन गडकरी ने कई बातें कहीं, लेकिन इन पर थोड़ा सा दबाव पड़ा और ये सरेंडर कर गए। बीजेपी-आरएसएस के लोग दबाव में आकर जातिगत जनगणना की बात बोल गए हैं, लेकिन जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते हैं। बीजेपी-आरएसएस के लोग देश में न्याय नहीं चाहते। ये अडानी-अंबानी वाला देश चाहते हैं, ये सामाजिक न्याय वाला देश नहीं चाहते हैं।

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