भगोड़े नीरव मोदी को जल्द लाया जाएगा भारत, इंग्लैंड के गृह कार्यालय ने दी मंजूरी

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रेनू तिवारी । Apr 16 2021 6:00PM

भगोड़े नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी है। फरवरी में, ब्रिटेन की एक अदालत ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए पहली कानूनी बाधा को मंजूरी दे दी थी।

14 हजार करोड़ का घोटाला करने वाले नीरव मोदी लंबे समय से भारत से भाग कर ब्रिटेन में है। अब नीरव को भारत लाया जाएगा। भगोड़े नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी है। फरवरी में, ब्रिटेन की एक अदालत ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए पहली कानूनी बाधा को मंजूरी दे दी थी। ब्रिटेन की एक अदालत ने 25 फरवरी को कहा कि हीरा व्यापारी के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत है। अदालत ने कहा कि यह कहने के लिए कोई सबूत नहीं है कि नीरव मोदी को प्रत्यर्पित किया गया तो उसे न्याय नहीं मिलेगा।

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14,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के सिलसिले में नीरव मोदी धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारत से भागे हुए है। ब्रिटेन की एक अदालत ने कहा कि वह संतुष्ट है कि सजा के लिए उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत थे। 49 वर्षीय नीरव मोदी वीडियोकॉल के जरिए ब्रिटेन की अदालत में पेश हुए।

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वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने कहा था कि घोटाले में पीएनबी के अधिकारियों सहित नीरव मोदी और अन्य साजिशकर्ताओं के बीच संबंध थे। न्यायाधीश ने फैसला सुनाते वक्त कहा  मैं स्वीकार नहीं करता कि नीरव मोदी वैध व्यवसाय में शामिल था। मुझे कोई वास्तविक लेनदेन नहीं मिला और विश्वास है कि बेईमानी की एक प्रक्रिया है।

 

विस्तार से पढ़ें पूरी जानकारी 

ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पित करने के आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। ब्रिटेन में भारत के शीर्ष राजनयिक सूत्र ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी)से करीब 13 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में भारत में वांछित है। इस समय दक्षिण-पश्चिम लंदन की वांड्सवर्थ जेल में बंद 50 वर्षीय नीरव मोदी के पास गृहमंत्री के आदेश को लंदन के उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए 14 दिन का समय है। इस साल 25 फरवरी को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने फैसला दिया था कि हीरा कारोबारी के खिलाफ भारतीय अदालत में चल रहे मामले उसे शामिल होना चाहिए और प्रत्यर्पित करने का फैसला कैबिनेट मंत्री पर छोड़ दिया। मोदी पर अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक से धोखाधड़ी करने का आरोप है।

 

करीब दो साल की कानूनी लड़ाई के बाद जिला न्यायाधीश सैम्युल गूजी ने फैसला दिया कि मोदी के खिलाफ मामला है जिसका जवाब उसे भारतीय अदालत में ही देना है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे संकेत मिले कि भारत में उसके खिलाफ निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी। न्यायाधीश ने मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को भी खारिज कर दिया जिसमें मोदी ने कहा था कि उसकी चिकित्सा जरूरतों का समाधान भारत सरकार के कई आश्वासनों के तहत नहीं होगा। न्यायाधीश ने रेखांकित किया, ‘‘मैं संतुष्ट हूं कि नीरव मोदी के मामले में जो सबूत है वह उसे पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में दोषी ठहरा सकते हैं। प्रथमदृष्टया मामला बनता है।’’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगाए गए आरोप प्रथमदृष्टया स्थापित होते हैं। ये आरोप है धनशोधन, गवाहों को धमकाना और सबूतों को मिटाना।

 

ब्रिटिश प्रत्यर्पण कानून 2003 के तहत न्यायाधीश अपने निष्कर्षों से गृह राज्यमंत्री को अवगत कराते हैं। ब्रिटेन-भारत प्रत्यर्पण संधि के तहत ब्रिटेन का कैबिनेट मंत्री प्रत्यर्पण आदेश जारी करने के लिए अधिकृत है और न्यायाधीश के निष्कर्षों पर उसे दो महीने में फैसला लेना होता है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 31 जनवरी 2018 को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिनमें पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के तत्कालीन अधिकारी भी शामिल थे। यह प्राथमिकी बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश रच फर्जी तरीके से सार्वजनिक बैंक से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ जारी कराए। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के मध्यम से बैंक विदेश में तब गांरटी देता है जब ग्राहक कर्ज के लिए जाता है।

 

इस मामले में पहला आरोप पत्र 14 मई 2018 को दाखिल किया गया जिसमें मोदी सहित 25 लोगों को आरोपी बनाया गया जबकि दूसरा आरोप पत्र 20 दिसंबर 2019 को दाखिल किया गया जिसमें पूर्व के 25 आरोपियों सहित 30 को नामजद किया गया। नीरव मोदी सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले ही एक जनवरी 2018 को देश छोड़कर भाग गया था। इसके बाद जून 2018 में सीबीआई के अनुरोध पर इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेडकॉर्नर नोटिस जारी किया।

 

ब्रिटिश पुलिस ने मार्च 2019 को उसे लंदन से गिरफ्तार किया और तब से उसने कई बार जमानत के लिए आवेदन किए लेकिन वेस्टमिंस्टर अदालत और लंदन उच्च न्यायालय ने उन्हें खारिज कर दिया। वहीं, सीबीआई ने ब्रिटेन से प्रत्यर्पण अनुरोध के साथ दस्तावेजी सबूत और गवाही ब्रिटिश अदालत में पेश की। इस बीच, नीरव मोदी की कानूनी टीम ने फैसले के खिलाफ अपील करने की तत्काल पुष्टि नहीं की है। 

 

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