गांव के लोगों मे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मारे कोड़े, दर्द में भी मुस्कुराते रहे CM, यह है पूरा मामला

Puja ritual

राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां बताया कि परंपरा के मुताबिक, मुख्यमंत्री बघेल राज्य के कल्याण और विघ्नों के नाश की कामना की पूर्ति के लिए प्रति वर्ष कुश से बने सोटे का प्रहार सहते हैं। उन्होंने शुक्रवार को दुर्ग जिले के जंजगिरी गांव में यह परंपरा निभाई।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के दौरान मनाए जाने वाले गौरा-गौरी उत्सव में शामिल हुए और उन्होंने कुश (घास) से बने सोटे का प्रहार सहा। राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां बताया कि परंपरा के मुताबिक, मुख्यमंत्री बघेल राज्य के कल्याण और विघ्नों के नाश की कामना की पूर्ति के लिए प्रति वर्ष कुश से बने सोटे का प्रहार सहते हैं। उन्होंने शुक्रवार को दुर्ग जिले के जंजगिरी गांव में यह परंपरा निभाई। यहां के ग्रामीण बीरेंद्र ठाकुर ने उन पर सोटे से प्रहार किया।

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अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री जंजगिरी गांव में गौरा-गौरी पूजन में शामिल हुए तथा परंपरा के अनुसार उन्होंने अपने हाथ पर सोटे का प्रहार सहा। मुख्यमंत्री ने इससे संबंधित एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, प्रदेश की मंगल कामना और शुभ हेतु आज जंजगिरी में सोटा प्रहार सहने की परंपरा निभाई। सभी विघ्नों का नाश हो। बघेल द्वारा साझा किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति के सामने बघेल हाथ आगे करके खड़े हैं और वह व्यक्ति उनके हाथ पर सोटे से लगातार प्रहार कर रहा है तथा लोग जयकारे लगा रहे हैं। बाद में बघेल सोटा मारने वाले व्यक्ति को गले से लगा लेते हैं। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस रस्म के ​दौरान ग्रामीणों से कहा कि हर साल गांव के बुजुर्ग भरोसा ठाकुर यह प्रहार करते थे और उनके निधन के बाद अब यह परंपरा उनके पुत्र बीरेंद्र ठाकुर निभा रहे हैं।

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बघेल ने कहा कि गोवर्धन पूजा गोवंश के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि गोवंश जितना समृद्ध होगा, उतनी ही हमारी तरक्की होगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पूर्वजों ने बहुत सुंदर छोटी-छोटी परंपराओं का सृजन किया और इन परंपराओं के माध्यम से हमारे जीवन में उल्लास भरता है। आज आप सबके बीच पहुंचकर और इस हर्षित जनसमूह को देखकर मेरा मन भी हर्ष से भर गया है। गोवर्धन पूजा और गौरा-गौरी पूजा मिट्टी के प्रति गहरे अनुराग का उत्सव है। आप लोगों के उल्लास से भरे चेहरे देखकर अनुभव होता है कि हमारा प्रदेश सांस्कृतिक रूप से कितना समृद्ध है और हम इस सांस्कृतिक समृद्धि को किस तरह धरोहर के रूप में सहेजे हुए हैं।’’

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, ‘‘अपनी मिट्टी की अस्मिता को सहेजना और उसका संवर्धन करना हम सबका कर्तव्य है। हमारे छत्तीसगढ़ की परंपराएं कितनी सुंदर हैं।’’ छत्तीसगढ़ में गौरा-गौरी पूजा उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व शिव (गौरा) और पार्वती (गौरी) को समर्पित है। यह लोक उत्सव दीपावली के दौरान मनाया जाता है। इस पर्व में जब गौरा-गौरी की झांकी निकाली जाती है, तब सोटा सहने की परंपरा है। माना जाता है जो व्यक्ति सोटा सहता है, उसके विघ्न दूर हो जाते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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