Prabhasakshi NewsRoom: Uttarakhand में जल्द हकीकत बन सकती है समान नागरिक संहिता, 90% काम पूरा

pushkar singh dhami
ANI

हम आपको याद दिला दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले सप्ताह कहा था कि राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और 30 जून तक इसका मसौदा तैयार हो जाएगा।

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति 24 व 25 मई को देहरादून में विभिन्न आयोगों तथा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करने के साथ ही लोगों से जनसंवाद भी करेगी। समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति के अपर सचिव प्रताप सिंह शाह ने बताया है कि प्रदेश में रहने वाले नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए गठित समिति 24 मई को प्रदेश के विभिन्न आयोगों के साथ बैठक करेगी। उन्होंने बताया कि उसी दिन समिति का जनसंवाद कार्यक्रम भी होगा। अगले दिन समिति विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करेगी।

हम आपको याद दिला दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले सप्ताह कहा था कि राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और 30 जून तक इसका मसौदा तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने उन्हें बताया है कि वह इसका मसौदा 30 जून तक सौंप देगी जिसके बाद उसे लागू करने के लिए कदम उठाया जाएगा। हम आपको यह भी याद दिला दें कि प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू करना पिछले साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रमुख चुनावी मुददों में से एक था और चुनाव में जीत के साथ भाजपा ने प्रदेश की सत्ता में लगातार दूसरी बार आने का इतिहास बनाया था।

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दरअसल समान नागरिक संहिता भाजपा का शुरू से ही चुनावी मुद्दा रहा है। भाजपा ने उत्तराखंड के अलावा गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता के संबंध में विशेषज्ञ समिति गठित कर रखी है। यह मुद्दा हाल ही में तब गर्मा गया था जब पिछले सप्ताह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि देश में समान नागरिक संहिता लागू की जायेगी। इस पर भाजपा विरोधी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। हम आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि पहले राज्यों में समान नागरिक संहिता संबंधी समितियों की रिपोर्ट आने और फिर उसके लागू होने के बाद वहां के अनुभव को देखा जायेगा तथा राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श के बाद ही कोई कदम उठाया जायेगा। माना जा रहा है कि समान नागरिक संहिता उत्तराखंड और गुजरात में जल्द ही हकीकत बन सकती है। यदि ऐसा होता है तो विपक्ष को एक और मुद्दा मोदी विरोध के लिए मिल सकता है। बहरहाल, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शायद यह भांप लिया है इसलिए वह यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भाजपा और आरएसएस पर हमला बढ़ा चुके हैं। उनका कहना है कि मुसलमानों को रोजगार की जरूरत है ना कि समान नागरिक संहिता की।

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