Unlock 5 के 23वें दिन स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अगले तीन महीने निर्णायक होंगे

Dr Harsh Vardhan
अंकित सिंह । Oct 23 2020 8:28PM

कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक बड़ी उपलब्धि हासिल होने का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि गत दो महीनों में पहली बार देश में कोरोना वायरस से संक्रमित उपचाराधीन मरीजों की संख्या सात लाख से कम हुईहै।

नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति को निर्धारित करने में अगले तीन महीने निर्णायक होने जा रहे हैं। साथ ही, उन्होंने लोगों से आगामी त्योहारों के दौरान और सर्दियों के मौसम में पूरा एहतियात बरतने का अनुरोध किया। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या सात लाख से कम है और संक्रमण के मामलों के दुगना होने में लगने वाला समय बढ़ कर 97.2 दिन हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वर्धन ने कोविड-19 को लेकर तैयारियों की उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य एवं मेडिकल शिक्षा मंत्रियों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा की।

बयान के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले तीन महीने में देश ने कोविड-19 से निपटने में उल्लेखनीय प्रगति की है। बयान में उनके हवाले से कहा गया है, ‘‘एक दिन में कोविड-19 के 95,000 से अधिक नये मामले सामने आये थे, जो घट कर प्रतिदिन 55,000 से भी कम रह गये हैं। इस रोग से उबरने की दर 90 प्रतिशत के करीब है। इस महामारी से होने वाली मृत्यु की दर (सीएफआर) भी घट रही है। सीएफआर 1.51 प्रतिशत है और यह एक प्रतिशत से भी कम के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। ’’ देश में कोविड-19 की जांच लिये सिर्फ एक प्रयोगशाला थी, जो अब बढ़ कर करीब 2,000 हो गई है। देशभर में की गई जांच की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह एक सकारात्मक संकेत है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, संक्रामक रोग से निपटने के लिये उपयुक्त कदम उठाये जा रहे हैं। ‘‘लेकिन अगले तीन महीने देश में कोविड-19 की स्थिति को निर्धारित करने में निर्णायक होने जा रहे हैं। यदि हमनें आने वाले त्योहारों के दौरान और सर्दियों के मौसम में पर्याप्त एहतियात बरता और कोविड-19 से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन किया, तो हम कोरोना वायरस का मुकाबला करने में बेहतर स्थिति में होंगे। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिये यह बहुत जरूरी हो जाता है कि अधिकतम जोर सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने, हाथ स्वच्छ रखने तथाछींकते या खांसते समय नाक-मुंह ढंकने सहित सामान्य एहतियाती उपायों पर जोर दिया जाए, जो काफी हद तक संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये कारगर उपाय हैं। ’’ वर्धन ने उन जिलों के अधिकारियों से भी बात की, जहां कोविड-19 के नये मामले सामने आये हैं या इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है। बयान के मुताबिक मंत्री ने कहा कि आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में (कोरोना से) मृत्यु दर 1.46 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से कम है। इस रोग से राज्य में उबरने की दर (92.2 प्रतिशत) भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। उन्होंने देश के उत्तरी हिस्से के राज्यों में जांच, निगरानी, संपर्क में आये लोगों का पता लगाने तथा समय रहते संक्रमण का पता लगाने पर जोर दिया, ताकि इस महामारी से होने वाली मृत्यु की दर को कम रखा जा सके।

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कोविड-19 संक्रमण दर में गिरावट जारी, अबतक 10 करोड़ से अधिक जांच हुई

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि पिछले 24 घंटे में 14,42,722 परीक्षण किये जाने के साथ ही कोविड-19 का पता लगाने के लिए देश में 10 करोड़ से अधिक परीक्षण किये जा चुके हैं तथा संक्रमण दर में भी गिरावट जारी है। उसने कहा कि लगातार बड़े पैमाने पर परीक्षण से राष्ट्रीय संक्रमण दर में कमी लाने में मदद भी मिली है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ इससे संकेत मिलता है कि इस संक्रमण के फैलने की दर को प्रभाव ढंग से नियंत्रण रखा जा रहा है। कुल जांच 10 करोड़ के पार जाने के साथ ही संक्रमण दर में गिरावट जारी है। ’’ उसने कहा कि फिलहाल राष्ट्रीय कोविड-19 संक्रमण दर 7.75 फीसद है। उसके अनुसार यह केंद्र सरकार की सफल ‘जांच, पता लगाओ, उपचार करो और प्रौद्योगिकी’ रणनीति का परिणाम है जिसका राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश पालन कर रहे हैं। मंत्रालय का कहना था कि महाराष्ट्र, केरल, चंडीगढ़, गोवा, कर्नाटक , आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दिल्ली समेत 15 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय आंकड़े की तुलना मेंकोविड-19 संक्रमण दर अधिक है जो इस बात का संकेत है कि इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जांच की जरूरत है। आखिरी एक करोड़ जांच पिछले नौ दिनों में हुई हैं। व्यापक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जांच से संक्रमितों की जल्द पहचान हो पायी और उसके संपर्कों में आने वालों का पता लगाया गया। संक्रमितों का समुचित उपचार किया गया। मृत्युदर में कमी आयी।

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भारत बायोटेक 26 हजार स्वयंसेवियों पर करेगी कोविड-19 टीके के तीसरे चरण का परीक्षण

भारत बायोटेक कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के उसके टीके ‘कोवैक्सीन’ के पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों का अंतरिम विश्लेषण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और अब 26 हजार स्वयंसेवियों पर तीसरे चरण के परीक्षण की शुरुआत की जा रही है। टीका निर्माता ने एक बयान में कहा, ‘‘टीके ‘कोवैक्सीन’ के पहले और दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षणों का अंतरिम विश्लेषण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद भारत बायोटेक को समूचे भारत में 25 से अधिक केंद्रों में 26,000 स्वयंसेवियों पर तीसरे चरण का परीक्षण करने की औषधि महानियंत्रक से स्वीकृति मिल गई है।’’ भारत बायोटेक ‘कोवैक्सीन’ का विकास भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु संस्थान के साथ मिलकर कर रही है। सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद आधारित टीका निर्माता कंपनी ने गत दो अक्टूबर को भारत के औषधि महानियंत्रक से टीके के तीसरे चरण के परीक्षण की शुरुआत की अनुमति मांगी थी। औषधि महानियंत्रक ने जुलाई में भारत बायोटेक को टीके के पहले और दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण शुरू करने की अनुमति दी थी।

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आंध्र प्रदेश में कोविड-19 के मामलों का आंकड़ा आठ लाख के पार पहुंचा

आंध्र प्रदेश में शुक्रवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 3,765 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमितों की कुल तादाद बढ़कर 8,00,684 हो गई। नवीनतम स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक, शुक्रवार सुबह नौ बजे तक पिछले 24 घंटे में 4,281 मरीज संक्रमण मुक्त भी हुए हैं। इसके साथ ही राज्य में कोविड-19 को मात देने वालों की संख्या बढ़कर 7,62,419 हो गई है। बुलेटिन के मुताबिक, गत 24 घंटे में 20 और मरीजों की मौत हुई है। इससे राज्य में संक्रमण से मौत का आंकड़ा 6,544 हो गया। बुलेटिन के मुताबिक, राज्य में फिलहाल 31,721 मरीजों का इलाज चल रहा है। आंध्र प्रदेश कोरोना वायरस के आठ लाख मामलों वाला दूसरा राज्यबन गया है। 16 लाख मामलों के साथ महाराष्ट्र पहले नंबर पर है।

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सरकार की कोविड-19 टीके के लिये विशेष टीकाकरण कार्यक्रम चलाने की योजना

कोरोना वायरस का टीका उपलब्ध हो जाने पर इसे एक विशेष कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत वितरित किया जाएगा। साथ ही, केंद्र सरकार इसे खरीदेगी और प्राथमिकता वाले समूहों को उपलब्ध कराएगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उनके मुताबिक केंद्र इसे सीधे खरीदेगी, ताकि इसे प्राथमिकता वाले समूहों को राज्यों एवं जिलों के मौजूदा नेटवर्क के जरिये मुफ्त में उपलब्ध कराया जा सके। सूत्रों ने बताया कि राज्यों को इसे खरीदने या हासिल करने के लिये अलग राह नहीं अपनाने को कहा गया है। केंद्र ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के सहयोग से करीब 30 करोड़ प्राथमिकता प्राप्त लाभार्थियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्हें शुरूआती चरण में टीके की खुराक दी जाएगी। विशेष कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम सार्वभौम टीकाकरण कार्यक्रम के समानांतर चलेगा, लेकिन यह इसके टीकाकरण वितरण ढांचे की प्रक्रियाओं, प्रौद्योगिकी और नेटवर्क का उपयोग करेगा। सरकार ने टीकाकरण के शुरूआती चरण में चार श्रेणियों के लोगों को चिह्नित किया है। इनमें चिकित्सकों, एमबीबीएस छात्रों, नर्सों और आशा कार्यकर्ताओं आदि सहित लगभग एक करोड़ स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर; नगर निकाय कर्मियों, पुलिस एवं सशस्त्र बलों के कर्मियों सहित लगभग दो करोड़ अग्रिम मोर्चे के कर्मियों; 50 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 26 करोड़ लोगों ;और पहले से मौजूद किसी बीमारी से पीड़ित तथा विशेष देखभाल की जरूरत वाले 50 साल से कम आयु के एक विशेष समूह के लोग शामिल हैं। 

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भारत में दो महीने में पहली बार कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या सात लाख के नीचे

कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक बड़ी उपलब्धि हासिल होने का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि गत दो महीनों में पहली बार देश में कोरोना वायरस से संक्रमित उपचाराधीन मरीजों की संख्या सात लाख से कम हुईहै। वहीं ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 69 लाख के पार हो गई है। मंत्रालय ने कहा कि अब भारत में उपचाराधीन मरीजों के मुकाबले ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 10 गुना अधिक है। मंत्रालय ने बताया कि दो महीनों (63 दिनों) में पहली बार भारत में उपचाराधीन मरीजों की संख्या सात लाख से कम है। इससे पहले 22 अगस्त को इलाजरत मरीजों की संख्या 6,97,330 थी। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को सुबह आठ बजे अद्यतन किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस समय देश में 6,95,509 उपचाराधीन मरीज हैं जो देश में अबतक संक्रमित पाए गए कुल मरीजों की संख्या का करीब 8.96 प्रतिशत हैं। मंत्रालय ने रेखांकित किया, ‘‘ कोविड-19 मरीजों के रोजाना ठीक होने की उच्च दर होने और मृत्युदर में तेज गिरावट की वजह से भारत में उपचाराधीन मरीजों की संख्या घटने का सिलसिला जारी है।’’ देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 69,48,497 हो गई है जो उपचाराधीन मरीजों के मुकाबले 62,52,988 अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक, गत 24 घंटे में देश में 73,979 कोविड-19 मरीज ठीक हुए जबकि इसी अवधि में संक्रमण के 54,366 नये मामलों की पुष्टि हुई। देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर में और सुधार हुआ है और यह अब 89.53 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गयी है। 

 गुजरात में कोविड-19 के 1,112 नये मामले, छह और मरीजों की मौत

गुजरात में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 1,112 नये मामले सामने आये जिससे राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,65,233 हो गई। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार शाम में दी। विभाग ने बताया कि छह और मरीजों की संक्रमण से मौत हो जाने से राज्य में मृतक संख्या बढ़कर 3,676 हो गई। वहीं इस अवधि के दौरान 1,264 मरीज संक्रमण से ठीक हो गए। विभाग ने कहा कि इसके साथ ही राज्य में अभी तक ठीक हुए मरीजों की संख्या बढ़कर 1,47,572 हो गई है जबकि 13,985 मरीज उपचाराधीन हैं। विभाग ने बताया कि राज्य में अभी तक 56,38,392 कोविड-19 जांच की गई हैं।

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कोविड-19 से मारे गए गैस पीड़ितों की संख्या कम करके बता रहा अस्पताल : भोपाल गैस पीडितों के संगठन

वर्ष 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के हित में काम करने वाले संगठनों ने आरोप लगाया है कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के अधिकारी द्वारा जानबूझकर जिला और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को कोविड-19 बीमारी से मारे गये गैस पीड़ितों की संख्या कम करके बताई जा रही है। गैस पीड़ितो के कई संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि बीएमएचआरसी के आइसोलेशन वार्ड में कोविड- 19 की वजह से हुई सात गैस पीड़ितों की मौतों की अस्पताल द्वारा ना तो भोपाल जिला प्रशासन और ना ही मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के अधिकारियों को जानकारी दी गयी है| संगठनों ने प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, निदेशक गैस राहत और भोपाल के जिलाधिकारी को पत्र लिख कर मामले में अस्पताल के अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की है। ढींगरा ने कहा कि कोविड-19 से गैस पीड़ित सात मृतकों में से दो की मौत अगस्त में और पांच की मृत्यु सितम्बर 2020 में हुई थी और इनमें ज्यादातर मरीज पल्मोनरी (फेफड़े संबंधी बीमारी)विभाग के थे।

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