पहली बार इन दिग्गज नेताओं के बगैर हो रहा उत्तर प्रदेश चुनाव, देखें पूरी सूची

UP leaders
अंकित सिंह । Jan 26 2022 7:20PM

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने जहां भाजपा को दोबारा सत्ता में वापसी कराने की चुनौती है तो वही अखिलेश यादव भी सामाजिक समीकरणों को साधने हुए पूरा चुनावी दमखम लगा रहे हैं। कुल मिलाकर देखे तो उत्तर प्रदेश चुनाव काफी दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। 7 चरणों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं। 10 मार्च को नतीजे भी आ जाएंगे। मुख्य मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच होता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने जहां भाजपा को दोबारा सत्ता में वापसी कराने की चुनौती है तो वही अखिलेश यादव भी सामाजिक समीकरणों को साधने हुए पूरा चुनावी दमखम लगा रहे हैं। कुल मिलाकर देखे तो उत्तर प्रदेश चुनाव काफी दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है। बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में अपना चुनावी दमखम दिखाने की कोशिश कर रही है। मायावती के नेतृत्व में बसपा का दावा है कि उसकी सरकार बनने जा रही है। वहीं, प्रियंका गांधी महिलाओं को साध कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश में हैं। लेकिन इस बार का उत्तर प्रदेश चुनाव कई दिग्गज नेताओं की गैरमौजूदगी में हो रहा है। आज हम उन्हें दिग्गज नेताओं के बारे में बता रहे हैं। 

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अटल बिहारी वाजपेयी- वैसे तो अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री रहे हैं और उन्हें जन नेता भी कहा जाता है। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी का रिश्ता उत्तर प्रदेश से ज्यादा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी का परिवार उत्तर प्रदेश का ही रहने वाला था। इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार बलरामपुर से ही लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे। बलरामपुर उत्तर प्रदेश में ही है। अटल बिहारी वाजपेयी जब देश के प्रधानमंत्री थे तो वह लखनऊ से ही सांसद थे। लखनऊ से उनका जुड़ाव बेहद करीब कर रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था।

कल्याण सिंह-  कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पहली दफा भाजपा को सत्ता में लाने में कल्याण सिंह की भूमिका काफी अहम मानी जाती रही है। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े ओबीसी नेता थे। बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह की भूमिका काफी अहम रही है और उनकी पहचान हिंदूवादी नेता के तौर पर भी रही है। कल्याण सिंह 2009 से 2014 तक सांसद भी रहे हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। कल्याण सिंह का निधन 21 अगस्त 2021 को हुआ था।

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लालजी टंडन- उत्तर प्रदेश में लालजी टंडन भाजपा के बड़े नेता रहे हैं। लालजी टंडन अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के करीबी नेताओं में से भी एक रहे हैं। लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्रों में उनकी लोकप्रियता भी खूब रही है। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के दोनों सदनों के सदस्य रहे हैं और मायावती की सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2003 से 2007 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा 2009 में उन्होंने लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। लालजी टंडन बिहार और मध्य प्रदेश के गवर्नर भी रह चुके हैं। लालजी टंडन का निधन 21 जुलाई 2020 को हुआ था।

अमर सिंह-  समाजवादी पार्टी के उदय के साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में अमर सिंह का भी दबदबा बढ़ता गया। समाजवादी पार्टी की राजनीति में अमर सिंह ठाकुरों के बड़े नेता माने जाते थे। जब तक मुलायम सिंह यादव का समाजवादी पार्टी में दबदबा रहा तब तक अमर सिंह की भी तूती बोलती थी। समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद भी उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी सक्रियता दिखाई। अमर सिंह 1996 से लेकर 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इसके बाद 2016 से 2020 तक भी वह राज्यसभा के ही सदस्य रहे। अमर सिंह का निधन 1 अगस्त 2020 को हुआ था।

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अजीत सिंह- पूअजीत सिंह- पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा कद रखते थे। उन्हें जाटों का बड़ा नेता माना जाता था। पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में अजीत सिंह की अच्छी पकड़ थी। अजीत सिंह ने चौधरी चरण सिंह की राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। अजीत सिंह 1989 से लेकर 1998 तक बागपत से लोकसभा के सांसद रहे। इसके बाद 1999 से लेकर 2014 तक भी वह लगातार लोकसभा के सांसद रहे। अजीत सिंह वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। अजीत सिंह का निधन 6 मई 2021 को हुआ था। 

मुलायम सिंह यादव- उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का अपना दबदबा रहा है। मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे हैं। वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा 1 जून 1996 से लेकर 19 मार्च 1998 तक वह देश के रक्षा मंत्री भी रहे हैं। इस वक्त मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अखिलेश यादव को सौंप दी है। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से वर्तमान में वह सक्रिय राजनीति में नहीं है। हालांकि समाजवादी पार्टी के पोस्टर और बैनर पर उनकी फोटो जरूर दिख जाती है।

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