गांधी के आदर्श मानवता के समक्ष चुनौतियों से मुकाबले में राह दिखाते रहेंगे: वेंकैया नायडू

Venkaiah Naidu

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, रूस, सिंगापुर, ओमान, श्रीलंका, इटली, जर्मनी, मैक्सिको, ब्राजील, अर्जेंटीना, कोस्टा रिका, उज्बेकिस्तान और चीन के विद्वानों ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया।

नयी दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि ऐसी दुनिया में, जहां आतंकवाद और जघन्य अपराधों ने लोगों को झकझोर दिया है, व्यक्ति को मानवता में विश्वास न खोने के महात्मा गांधी के दर्शन को याद रखना चाहिए। नायडू ने यह भी कहा कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक के साथ ही पर्यावरणीय समस्याओं से ग्रस्त दुनिया में गांधीवादी आदर्शों को पुनर्जीवित करना समय की आवश्यकता है। हाल में कोविड-19 से संक्रमित पाये गए नायडू घर पर पृथकवास में हैं। उन्होंने यह टिप्पणी ‘इंडियन काउंसिल आफ वर्ल्ड अफेयर्स’ द्वारा ‘गांधी और विश्व’ विषय पर आयोजित एक आनलाइन कार्यक्रम में एक वीडियो संदेश में की। नायडू ने यह भी उल्लेख किया कि दुनिया कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सबसे बड़े स्वास्थ्य संकटों में से एक का सामना कर रही है। उन्होंने याद किया कि जब दुनिया 1918 में स्पेनिश फ्लू के दौरान इसी तरह की चुनौती का सामना कर रही थी तब गांधी ने सभी लोगों, खासकर गरीबों और वंचितों के दर्द को समझने की आवश्यकता के बारे में बात की थी। नायडू ने कहा कि आज एकदूसरे से दूरी बनाये रखना, निजी एवं सार्वजनिक स्थलों को सेनेटाइज करना और मास्क पहनना महत्वपूर्ण नियम बन गए हैं, गांधी ने महामारी के दौरान क्या कहा था उसे याद करना उपयुक्त हो सकता है। गांधी ने लोगों से महामारी के प्रसार को रोकने के लिए नियमों का पालन करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में लोगों को जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और उनकी कठिनाई को कम करना चाहिए। नायडू ने कहा कि स्पेनिश फ्लू के दौरान जैसा कि महात्मा गांधी ने लोगों के दर्द को समझने की आवश्यकता बतायी थी उसे ही वर्तमान समय में लागू करने की जरूरत है। 

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नायडू ने कहा कि महात्मा के विचार और सिद्धांत मानवता के सामने मौजूद विभिन्न चुनौतियों पर काबू पाने के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे जिसमें सतत विकास को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता से लेकर आतंकवाद का मुकाबला करना तक शामिल है। गांधी के प्रसिद्ध विचार, ‘‘सभी की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं’’ को उद्धृत करते हुए उपराष्ट्रपति ने ऐसे समय सतत विकास की जरूरत पर जोर दिया जब पर्यावरण का बढ़ता दोहन आपदा के रूप में सामने आ रहा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, रूस, सिंगापुर, ओमान, श्रीलंका, इटली, जर्मनी, मैक्सिको, ब्राजील, अर्जेंटीना, कोस्टा रिका, उज्बेकिस्तान और चीन के विद्वानों ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया।

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