विजयन ने राहत शिविरों का किया दौरा, प्रभावित लोगों की परेशानी सुनी
विनाशकारी बाढ़ की विभिषिका झेल रहे केरल में 13 लाख लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन आज राहत शिविरों में रह रहे लोगों के बीच गए और उनके साथ समय बिताया।
तिरूवनंतपुरम। विनाशकारी बाढ़ की विभिषिका झेल रहे केरल में 13 लाख लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन आज राहत शिविरों में रह रहे लोगों के बीच गए और उनके साथ समय बिताया। विजयन ने लोगों की समस्याएं भी सुनी और उन्हें मदद का भरोसा दिया। विजयन हेलीकाप्टर से चेंगन्नूर, कोझेनचेरी, अलपुझा, उत्तर परवूर और चलाकुडी में राहत शिविर गए जो तीन जिलों में स्थित हैं। उन्होंने शिविरों में लोगों से कहा, ‘‘चिंता की कोई बात नहीं है। सरकार घरों के पुननिर्माण के लिए धनराशि मुहैया कराएगी।’’ इनमें से कई लोग अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।
मुख्यमंत्री यहां स्थित सचिवालय से राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने पहली बार लोगों की पीड़ा के बारे में जानकारी लेने का निर्णय किया जिसमें से कई ने अपने घर और अन्य सामान बाढ़ में गंवा दिये हैं। केरल की बाढ़ 100 वर्षों की सबसे भीषण बाढ़ थी। बाढ़ में 230 से अधिक लोग मारे गए हैं। सरकार ने राहत शिविरों से घर लौट रहे लोगों को किट सौंपने का निर्णय किया है जिसमें अनाज, चावल, चीनी और दाल के अलावा बच्चों के लिए कपड़े और महिलाओं के लिए नाइटी हैं।
मकानों से बाढ़ का पानी घटने के बाद लोगों ने शिकायत की है कि सभी जगहों पर सांप रेंग रहे हैं जिसमें कोबरा भी शामिल हैं।उन्होंने कहा कि सांपों ने कई लोगों को काट भी लिया है। ऐसे में जब राहत कार्य लगभग समाप्त हो गया है, मकानों और सार्वजनिक स्थानों को साफ करने का एक व्यापक अभियान शुरू किया गया है जहां कीचड़ और मलबा भरा हुआ है। मुख्य समस्या जानवरों के कंकाल हैं जो जलाशयों और अन्य स्थानों पर तैर रहे हैं। उन्हें मिट्टी में गाड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार सरकार ने पिछले दो दिनों में मरे हुए करीब 5000 जानवरों के शवों का निस्तारण किया। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पूरे राज्य में सफाई कार्य के समन्वय के लिए यहां एक नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है। सफाई कार्य के प्रबंधन की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को सौंपी गयी है। पचास हजार स्वयंसेवकों ने मकानों और सार्वजनिक जगहों पर जमा बाढ़ का कचरा साफ करने का काम शुरू किया है।
अधिकारियों ने बताया कि प्लम्बर और इलेक्ट्रिशियन के दस्ते घरों में जाएंगे और लोगों को जरूरी मदद मुहैया कराएंगे। मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में राहत सामग्री और दान आ रहे हैं लेकिन विदेश से मिलने वाली सहायता स्वीकार करने को लेकर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा केरल को बाढ़ सहायता राशि के रूप में करीब 700 करोड़ रुपये देने की पेशकश के बाद यह मुद्दा उठा है।
वित्त मंत्री टी.एम. थॉमस इसाक ने यूएई सरकार की पेशकश पर केंद्र सरकार के ‘‘कथित नकारात्मक रूख’’ की आलोचना की और कहा कि एनडीएम (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन) नीति ने विदेशी सहायता स्वीकार करने पर कोई रोक नहीं लगायी है और चाहते हैं कि राज्य की इसके लिए क्षतिपूर्ति की जाए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमने किसी विदेश सरकार से कोई अनुरोध नहीं किया था लेकिन यूएई सरकार ने स्वैच्छिक रूप से 700 करोड़ रूपये की पेशकश की। केंद्र सरकार ने कहा, नहीं, विदेशी सहायता स्वीकार करना हमारी गरिमा के अनुरूप नहीं है।’’
राज्य की माकपा नीत एलडीएफ सरकार का विचार है कि विदेशी सहायता स्वीकार की जानी चाहिए जबकि केंद्र ने स्पष्ट किया कि एक पुरानी नीति के तहत वह विदेश से नकद दान स्वीकार नहीं करेगा। विजयन ने कहा कि केंद्र की ओर से घोषित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति 2016 के तहत विदेशी सहायता स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं है और जरूरत पड़ने पर सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सम्पर्क करेगी।
राज्य को (प्रारंभिक अनुमान के तहत) 20000 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है और उसने केंद्र से 2600 करोड़ रूपये की अंतरिम सहायता मांगी है, इसके अलावा उसने मनरेगा के तहत इसी राशि का एक विशेष पैकेज भी मांगा है।
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