जानेमाने पत्रकार विनोद दुआ का 67 साल की उम्र में निधन

Vinod Dua
प्रतिरूप फोटो

मल्लिका दुआ ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘हमारे निर्भीक, निडर और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया है। उन्होंने एक अद्वितीय जीवन जिया, दिल्ली की शरणार्थी कॉलोनियों से शुरु करते हुए 42 वर्षों तक पत्रकारिता की उत्कृष्टता के शिखर तक बढ़ते हुए, हमेशा सच के साथ खड़े रहे।’’

नयी दिल्ली| श्याम-श्वेत युग में दूरदर्शन के साथ अपना करियर शुरू करने और बाद के दशकों में डिजिटल दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले जानेमाने पत्रकार विनोद दुआ का शनिवार को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। वह 67 वर्ष के थे।

विनोद दुआ की बेटी एवं अभिनेत्री-हास्य कलाकार मल्लिका दुआ ने बताया कि जानेमाने टेलीविजन पत्रकार का अंतिम संस्कार रविवार को यहां लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा।

इस साल की शुरुआत में कोविड के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कोरोना वायरस से संक्रमित होने के चलते इसी साल जून में उन्होंने अपनी पत्नी, रेडियोलॉजिस्ट पद्मावती चिन्ना दुआ को खो दिया था।

अस्पताल ने एक बयान में कहा कि विनोद दुआ का निधन इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में शाम करीब पांच बजे हुआ। इसी अस्पताल में उनका लीवर की पुरानी बीमारी का इलाज किया जा रहा था।

बयान में कहा गया, ‘‘उन्हें गंभीर हालत में गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था और वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही थी। इस दुखद समय में, हमारी संवेदना उनके परिवार और प्रियजनों के साथ है।’’

मल्लिका दुआ ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘हमारे निर्भीक, निडर और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया है। उन्होंने एक अद्वितीय जीवन जिया, दिल्ली की शरणार्थी कॉलोनियों से शुरु करते हुए 42 वर्षों तक पत्रकारिता की उत्कृष्टता के शिखर तक बढ़ते हुए, हमेशा सच के साथ खड़े रहे।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘वह अब हमारी मां, उनकी प्यारी पत्नी चिन्ना के साथ स्वर्ग में हैं, जहां वे गीत गाना, खाना बनाना, यात्रा करना और एक दूसरे से नोंकझोंक जारी रखेंगे।’’

कोविड की दूसरी लहर के चरम पर रहने के दौरान विनोद दुआ और उनकी पत्नी गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती थे। पत्रकार का स्वास्थ्य तब से खराब था और उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा था। उनकी एक बड़ी बेटी भी है जिसका नाम बकुल दुआ है और वह क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं।

कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद विनोद दुआ की तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें कई बार अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा।

विनोद दुआ हिंदी टीवी पत्रकारिता में एक जानेमाने पत्रकार थे जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘युवा मंच’ से की थी जो दूरदर्शन पर युवाओं के लिए एक कार्यक्रम था।

हालांकि उन्हें प्रसिद्धि उस चुनाव विश्वलेषण से मिली जिसकी सह एंकरिंग उन्होंने 1984 में प्रणय रॉय के साथ दूरदर्शन पर की थी। विनोद दुआ की राजनीति से लेकर पाक कला तक में व्यापक दिलचस्पी थी।

उन्होंने एनडीटीवी के लिए लोकप्रिय पाक कार्यक्रम ज़ायका इंडिया का को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने भारत के विभिन्न शहरों और कस्बों की अलग-अलग खाद्य संस्कृतियों की खोज की। उन्होंने ‘द वायर’ (हिंदी) के लिए ‘जन गण मन की बात’ कार्यक्रम की एंकरिंग भी की।

विनोद दुआ के पुराने मित्र और एनडीटीवी के सह-संस्थापक रॉय ने ट्वीट किया, ‘‘विनोद के खोने का गहरा शोक है। वह न केवल महानतम में से एक थे, वह अपने समय के सबसे महान थे।

मैंने हमेशा कहा है कि: सबसे बड़ी एक अद्भुत प्रतिभा जिसकी मैंने प्रशंसा की और सम्मान किया- और जिनसे मैंने कई सालों तक साथ काम करने के दौरान बहुत कुछ सीखा, मेरे मित्र की आत्मा को शांति मिले।’’ विनोद दुआ ने हंस राज कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त की थी और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ायी की। उन्होंने बीते वर्षों में कई पुरस्कार जीते।

साल 2008 में विनोद दुआ को पत्रकारिता के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह पत्रकारिता में रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त करने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पहले पत्रकार भी थे। जीवन के हर क्षेत्र के लोगों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने दुआ के निधन को भारतीय पत्रकारिता और हमारे राष्ट्रीय विमर्श के लिए एक बड़ी क्षति बताया।

इतिहासकार एस. इरफान हबीब ने कहा कि वह भारत के सबसे विश्वसनीय पत्रकारों में से एक थे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘वह कुछ उन पत्रकारों में थे जिनकी रीढ़ की हड्डी सलामत थी, एक प्रिय मित्र और राजनीति, भोजन, संगीत और उर्दू शायरी के बारे में बात करने में बेहद निपुण।

पिछले महीने फोन पर एक संक्षिप्त बातचीत हुई थी।’’ मीडिया जगत में कई लोगों ने भी विनोद दुआ के निधन पर दुख व्यक्त किया।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने ट्विटर पर कहा कि दुआ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का एक निडर प्रतीक थे, एक पत्रकार जो भोजन, राजनीति और संस्कृति के क्षेत्र में समान रूप से पकड़ रखते थे। पत्रकार वीर सांघवी ने कहा, ‘‘उनके निधन से हमें बहुत क्षति हुई है। पीसीआई उनके परिवार, विशेषकर उनकी बेटियों के साथ खड़ा है, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में अपनी मां चिन्ना दुआ को भी खो दिया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में समाचार टेलीविजन के अग्रणी और शायद हमारे समय के सबसे महान टीवी प्रस्तोता विनोद दुआ के निधन का शोक है। पहली बार जब मैं टीवी पर आया तो विनोद एंकर थे और मैं उनकी सहजता, आसान शैली प्रशंसक था, जो आने वाले दशकों में हम में से किसी से भी मेल नहीं खा सकती। एक बड़ी क्षति।’’

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने दुआ को टीवी पत्रकारिता का दिग्गज करार दिया, जिन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमेशा वही कहा जो कहा जाना था। हमेशा निडर। आपकी कमी खलेगी।’’ इस हफ्ते की शुरुआत में, सोमवार को, मल्लिका दुआ ने कहा कि उनके पिता की हालत बहुत गंभीर है।

उन्होंने मंगलवार को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था, ‘‘उन्हें कल रात अपोलो अस्पताल के आईसीयू में ले जाया गया, जहां उनकी बेहतर देखभाल की जा सकती है। वह बेहद नाजुक और गंभीर हालत में हैं। वह जीवन भर एक योद्धा रहे हैं। अडिग और अथक। उनका परिवार हमेशा उनके साथ है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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