Viral Infosys Video: 90 के दशक का कैंटीन वीडियो, मोबाइल के बिना ऑफिस कल्चर की झलक

Infosys
प्रतिरूप फोटो
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Ankit Jaiswal । Oct 20 2025 10:38PM

सोशल मीडिया पर 90 के दशक का इन्फोसिस कैंटीन वीडियो वायरल हो रहा है, जो मोबाइल-मुक्त ऑफिस कल्चर और टेक रेवोल्यूशन के शुरुआती दिनों की एक अनूठी झलक पेश करता है। यह वीडियो भारत के आईटी क्षेत्र के उदय में इन्फोसिस के रणनीतिक योगदान, विशेषकर कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन मॉडल से उत्पन्न आर्थिक समृद्धि को रेखांकित करता है। यह क्लिप मौजूदा कार्यस्थलों में बदलती गतिशीलता और पुरानी ऊर्जा पर एक विचारोत्तेजक बहस को प्रेरित कर रही है।

कैंपसों में ब्रेक के समय कभी सहकर्मियों के साथ बातचीत, हंसी-मजाक और मेलजोल का मौका हुआ करता था, लेकिन आज का माहौल बदल चुका है। अब अधिकांश कर्मचारी ब्रेक रूम में एक-दूसरे से बात करने के बजाय अपने मोबाइल फोन में डूबे नजर आते हैं।

इसी बीच 1990 के दशक के बेंगलुरु स्थित इन्फोसिस कैंटीन का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में युवा कर्मचारी लंच के दौरान हंसी-मजाक करते दिखते हैं, मानो उन्हें अंदाजा भी न हो कि वे भारत की टेक रेवोल्यूशन की नींव का हिस्सा बनने जा रहे हैं। इस वीडियो को कैप्शन दिया गया है— “1990s में इन्फोसिस कैंटीन की झलक। यहां नजर आ रहे लोग आज शायद मल्टी-मिलियनियर हैं और विदेशों में बस चुके हैं।”

हालांकि फुटेज की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह वीडियो खासकर पूर्व आईटी कर्मचारियों और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव पैदा कर रहा है। मौजूद जानकारी के अनुसार, इस क्लिप को अब तक चार मिलियन से अधिक लोग देख चुके हैं और लोगों ने बीते समय की सादगी व उम्मीदों को याद करते हुए प्रतिक्रियाएं दी हैं।

बता दें कि 1981 में एन.आर. नारायण मूर्ति और छह सह-संस्थापकों ने इन्फोसिस की नींव रखी थी। बता दें कि इन्फोसिस भारत की उन शुरुआती कंपनियों में शामिल रही, जिसने एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन का मॉडल अपनाया था। इसी वजह से कंपनी ने हजारों ऐसे कर्मचारियों को जन्म दिया जिन्हें पहली बार नौकरी से ही करोड़पति बनने का अवसर मिला। कंपनी का आधिकारिक बयान है कि उसने 40 वर्षों में भारत को वैश्विक सॉफ्टवेयर सेवा केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उसका ग्लोबल डिलीवरी मॉडल एक मील का पत्थर माना जाता है।

सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को “टेक रेवोल्यूशन की जन्मस्थली की झलक” बता रहे हैं और यह बहस फिर से शुरू हो गई है कि क्या आने वाली पीढ़ियां भी वैसी ही ऊर्जा, सरलता और दूरदृष्टि के साथ आगे बढ़ रही हैं, जैसी कभी बेंगलुरु के ऐसे कैंपसों में देखने को मिलती थीं।

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