किसानों ने कभी सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया: किसान संघ के नेताओं ने दावा किया

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गाजीपुर सीमा विरोध स्थल पर बैरिकेड्स हटाने के मद्देनजर, बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा, “वर्तमान में जारी किसानों के आंदोलन का भविष्य संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तय किया जाएगा।’’

नयी दिल्ली| दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों के दो आंदोलन स्थलों टीकरी और गाजीपुर पर अवरोधक (बैरिकेड्स) का बड़ा हिस्सा हटाने के बीच किसान संघ के नेताओं ने शुक्रवार को दावा किया कि यह कदम उनके इस रुख को दर्शाता है कि उन्होंने शहर के सीमा बिंदुओं पर सड़कों को कभी भी अवरुद्ध नहीं किया।

पिछले साल लोहे और सीमेंट के बैरिकेड्स की कई परतें और तारों की कम से कम पांच परतें लगाई गई थीं। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के दौरान दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद व्यवस्थाओं को और पुख्ता कर दिया गया था।

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राजमार्ग पर टीकरी बॉर्डर पर विरोध स्थल पर लगाए गए बैरिकेड्स और कंटीले तारों को हटाना शुरू कर दिया था। इसी तरह की कार्रवाई शुक्रवार सुबह दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में शुरू की गई।

किसान संघ के नेताओं ने कहा कि यह कदम उनके इस रुख की पुष्टि करता है कि उन्होंने शहर के सीमा क्षेत्रों पर सड़कों को कभी भी अवरुद्ध नहीं किया।

किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन स्थलों पर दोनों मार्गों को पूरी तरह से खाली करने का कोई भी निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा लिया जाएगा, एसकेएम केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने वाले 40 से अधिक किसान संघों का एक निकाय है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यातायात के लिए रास्ता बनाया जाएगा। दिल्ली पुलिस का फैसला उच्चतम न्यायालय की सुनवाई के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें किसान संघों ने दावा किया था कि शहर की सीमाओं पर नाकेबंदी के लिए पुलिस जिम्मेदार थी।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के पदाधिकारियों ने कहा था कि किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने सड़कों को अवरुद्ध किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर फिर से खोला जा रहा है।’’

गाजीपुर सीमा विरोध स्थल पर बैरिकेड्स हटाने के मद्देनजर, बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा, “वर्तमान में जारी किसानों के आंदोलन का भविष्य संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तय किया जाएगा।’’

वरिष्ठ किसान नेता और एसकेएम सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि किसानों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है, जिसे हमने पहले दिन से खारिज किया है।’’ पाल ने कहा कि सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने सड़क के उस हिस्से पर कब्जा कर लिया है, जो पहले से ही फ्लाईओवर के निर्माण के कारण यातायात के लिए बंद है।

पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अब, पुलिस द्वारा बैरिकेड्स हटाने की कवायद स्पष्ट रूप से हमारी बात को साबित करती है कि वह पुलिस थी, जिसने सड़कों को अवरुद्ध किया था, न कि किसानों ने। हमने कभी कोई समस्या नहीं खड़ी की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब तक, दिल्ली जाने का कोई आह्वान नहीं किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में भविष्य की कोई भी कार्रवाई तय की जाएगी।’’ पुलिस उपायुक्त (पूर्व) प्रियंका कश्यप ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजमार्ग 9 से बैरिकेड्स हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वाहनों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए अस्थायी बैरिकेडिंग को हटाया जा रहा है। हालांकि, राष्ट्रीय राजमार्ग-24 पहले से ही यातायात के लिए खुला था।’’

किसान नेता और राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि बैरिकेड्स हटाने के फैसले ने किसानों के रुख को सही ठहराया है और इससे सीमाओं पर यातायात की आवाजाही आसान होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 11 महीनों से, हम कह रहे हैं कि किसानों ने कभी सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया क्योंकि हम केवल कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। आज हम सही साबित हुए हैं। यह अच्छा है कि यातायात अब सीमाओं पर आगे बढ़ सकेगा।’’

टीकरी बॉर्डर पर एक अन्य किसान नेता और एसकेएम के सदस्य सुदेश गोयत ने दिल्ली पुलिस पर वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि अवरोधकों को हटाया जा रहा है और अब यातायात चल सकेगा। यह यहां की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में भी मदद करेगा क्योंकि पेट्रोल पंप, दुकानें जो सड़क बंद होने के कारण 11 महीने से बंद हैं, अब फिर से खुलेंगी।’’

किसान नेताओं ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र कृषि कानूनों पर गतिरोध को दूर करने के लिए किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित करेगा। बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने कहा कि किसान दिल्ली जाना चाहते हैं लेकिन अंतिम फैसला एसकेएम करेगा।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर सरकार चाहती है कि गतिरोध समाप्त हो, तो उसे अभी किसानों से बात करनी चाहिए और हम इसके लिए तैयार हैं। लेकिन अगर वह चाहती है कि किसानों का आंदोलन जारी रहे तो हम इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि विरोध शुरू हुए 11 महीने हो चुके हैं।’’

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गौरतलब है कि केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर किसान 26 नवम्बर, 2020 से दिल्ली की तीन सीमाओं टीकरी, सिंघू और गाजीपुर पर आंदोलन कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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