मैं किसी से छिप कर नहीं मिलती, आजम खान की BSP में एंट्री को लेकर ये क्या बोल गईं मायावती?

आज़म खान के बारे में अफवाहों के विषय पर, बसपा प्रमुख मायावती ने सीधे तौर पर उनका नाम लिए बिना कहा कि पिछले महीने झूठी खबरें फैलने लगी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि अन्य दलों के नेता बसपा में शामिल हो रहे हैं और उन्होंने दिल्ली और लखनऊ में उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने स्पष्ट किया, "मैंने किसी से मुलाकात नहीं की है। मैं किसी से गुप्त रूप से नहीं मिलती।
समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान के जेल से बाहर आने के बाद से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म हो चला है। चर्चा ये चली की आजम खान बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं। अब इसको लेकर मायावती ने लखनऊ में आयोजित विशाल रैली में बयान दिया है। आज़म खान के बारे में अफवाहों के विषय पर, बसपा प्रमुख मायावती ने सीधे तौर पर उनका नाम लिए बिना कहा कि पिछले महीने झूठी खबरें फैलने लगी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि अन्य दलों के नेता बसपा में शामिल हो रहे हैं और उन्होंने दिल्ली और लखनऊ में उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने स्पष्ट किया, "मैंने किसी से मुलाकात नहीं की है। मैं किसी से गुप्त रूप से नहीं मिलती।
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बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी को दोमुँहा करार देते हुए उस पर सत्ता की चाह में दलित नायकों को अपने साथ शामिल करने का आरोप लगाया। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर एक रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि सपा सत्ता में रहते हुए दलितों को भूल जाती है और ज़रूरत पड़ने पर ही उन्हें याद करती है। सत्ता में रहते हुए इन्हें न तो पीडीए याद आता है, न ही इससे जुड़े संत, गुरु और महापुरुष। लेकिन सत्ता जाते ही इन्हें अचानक हमारे संत, गुरु और महापुरुष याद आने लगते हैं। लोगों को ऐसे दोगले लोगों से बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। राज्य की राजधानी लखनऊ में, जहाँ मायावती कभी मुख्यमंत्री हुआ करती थीं, इस रैली में भारी भीड़ उमड़ी। अपने भाषण में उन्होंने सपा पर दलित स्मारकों और पार्कों को उपेक्षा के कारण जर्जर होने देने का आरोप लगाया।
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मायावती ने कहा उन्होंने अपने रखरखाव पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया। टिकटों से मिलने वाली कमाई भी उन्होंने अपने पास रख ली। लेकिन अब जब वे सत्ता से बाहर हैं, तो वे यह कहकर सुर्खियाँ बटोर रहे हैं कि वे कांशीराम जी के सम्मान में सेमिनार आयोजित करेंगे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह सचमुच बसपा संस्थापक का सम्मान करते तो अलीगढ़ मंडल के कांशीराम नगर जिले का नाम बदलकर कासगंज नहीं करते। हमने विश्वविद्यालयों और संस्थानों का नाम कांशीराम जी और अन्य महापुरुषों के नाम पर रखा और अनेक कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, लेकिन सपा सरकार ने उन सबको बंद कर दिया। यह दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?
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