न्याय व्यवस्था को गति देने की तैयारी, क्या है सुप्रीम कोर्ट के होने वाले नए CJI सूर्यकांत का 'फास्ट ट्रैक' एजेंडा

जस्टिस सूर्यकांत के कार्यकाल की शुरुआत में लंबित मामलों का अंबार सबसे बड़ी चुनौती होगी, जिसके समाधान के लिए वे पुराने मुकदमों की तत्काल सुनवाई पर जोर देंगे। मध्यस्थता को 'गेमचेंजर' मानते हुए वे इसे विस्तार देने की योजना बना रहे हैं, जबकि AI के प्रयोग में सावधानी बरतेंगे।
जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को देश के नए मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले हैं। पद संभालने से पहले, उन्होंने एक खास बातचीत में अपने कार्यकाल की प्राथमिकताओं का खुलासा किया।
अदालतों में बढ़ते लंबित मामले सबसे बड़ी चुनौती
टाइम्स नाउ नवभारत के साथ खास बातचीत में, जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती सुप्रीम कोर्ट और देशभर की अदालतों में बढ़ते लंबित मामलों को कम करना होगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस समय करीब 90,000 मामले लंबित हैं, जिसके लिए तुरंत कदम उठाना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि कई पुराने मामले इसलिए रुके हैं क्योंकि उनसे जुड़े कानूनी सवालों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबित है। वे ऐसे मामलों को तुरंत पहचान कर प्राथमिकता से सुनवाई के लिए विशेष बेंच गठित करेंगे।
उनका पहला प्रयास सबसे पुराने मामलों पर तुरंत फैसला करना होगा ताकि न्याय प्रणाली में संतुलन आ सके। उन्होंने जोर दिया कि लोगों को सीधे सुप्रीम कोर्ट आने के बजाय यह समझना होगा कि हाईकोर्ट भी संवैधानिक शक्ति से लैस हैं।
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समझौता बनेगा गेम चेंजर
जस्टिस सूर्यकांत ने मिडिएशन (समझौते से विवाद सुलझाना) को 'गेम चेंजर' बताया। यह समय की मांग है कि पूरे देश में मिडिएशन को बढ़ावा दिया जाए।
इससे अदालतों पर बोझ काफी हद तक कम होगा, खासकर जब सरकारी विभाग और बैंक भी लंबी मुकदमेबाजी से बचने के लिए इसे चुन रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र, राज्य और आपसी राज्य विवादों में भी मिडिएशन को पहला विकल्प बनाया जा सकता है।
न्यायपालिका में एआई, इस्तेमाल पर सावधानी
आधुनिक तकनीक पर बात करते हुए उन्होंने न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर सावधानी बरतने की वकालत की। उन्होंने बताया कि एआई का इस्तेमाल केवल प्रक्रिया संबंधी मामलों में सीमित रूप से किया जा सकता है।
उन्होंने साफ किया कि हर मामले में अंतिम फैसला सिर्फ न्यायाधीश द्वारा ही दिया जाना चाहिए। उन्होंने माना कि एआई द्वारा गलत कानूनी उदाहरण दिए जाने की चुनौती है, जिस पर बार के साथ चर्चा की जाएगी ताकि एआई के उपयोग की सीमा तय हो सके।
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अन्य महत्वपूर्ण बातें
सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर उन्होंने कहा कि जजों को किसी भी तरह की आलोचना का दबाव नहीं लेना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट पर उन्होंने माना कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में त्वरित न्याय के लिए नई बेंच के गठन की मांग जायज है, हालांकि इस पर अंतिम फैसला संसद और हाईकोर्ट को मिलकर करना होता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उनका सबसे बड़ा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय व्यवस्था तेज, निष्पक्ष और सभी के लिए सुलभ बने।
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