Prabhasakshi NewsRoom: असुरक्षित परिस्थितियों में रहने को मजबूर होते हैं बेचारे मजदूर, तभी तो Kuwait में 49 श्रमिक जल कर मर गये

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अगर आप इन सभी बयानों पर गौर करेंगे या कुवैत के किसी भी समाचार पत्र को ऑनलाइन जाकर पढ़ेंगे तो एक बात साफ हो जाती है कि यह सभी श्रमिक अमानवीय परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे थे और उन्हें मृत्यु भी दर्दनाक मिली।

कुवैत में एक इमारत में बुधवार को लगी भीषण आग में 49 श्रमिकों की बेहद दर्दनाक तरीके से मौत हो गयी और दर्जनों लोग घायल हो गये। कुवैत के इतिहास में किसी इमारत में लगी यह सबसे भीषण आग थी। वैसे आग लगने के कारणों की जांच शुरू हो गयी है, लेकिन इस आग का जो असल कारण है वह तो कुवैत सरकार के सामने पहले से थे तब भी सरकार चेती क्यों नहीं? हम आपको बता दें कि कुवैत में कंपनियों के मालिक और रियल एस्टेट कारोबार में लगे लोग विदेशी श्रमिकों को बेहद असुरक्षित परिस्थितियों में रखते हैं। जिस कमरे में तीन या चार लोग ही रह सकते हैं उसमें 15 लोग तक रहते हैं। कई बार सामने आया है कि यह श्रमिक खाना तक उसी कमरे में बनाते हैं जिसमें यह रह रहे होते हैं। कुवैत की इमारत में जो आग लगी उसकी भयावहता ऐसी थी कि 40 भारतीयों समेत बाकी सभी श्रमिकों की इतनी बुरी तरह जल कर मृत्यु हुई है कि उनकी पहचान करना तक मुश्किल हो गया है।

आग कैसे लगी या किस कारण से लगी, इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि इमारत के भूतल से संभवतः गैस रिसाव हुआ होगा। कुवैत अग्निशमन विभाग के जांच प्रमुख कर्नल सैयद अल-मौसावी ने कहा है कि कमरों में ज्वलनशील पदार्थ पाया गया है जिसके कारण धुएं के विशाल काले बादल छा गए थे। उन्होंने कहा कि सीढ़ियों से नीचे भागने की कोशिश करते समय कई पीड़ितों का दम घुट गया क्योंकि वे धुएं से भर गए थे। उन्होंने कहा कि पीड़ित छत पर नहीं जा सके थे क्योंकि दरवाजा बंद था। उन्होंने कहा कि विभाग की जांच टीम ने आग का कारण निर्धारित करने के लिए सामग्री एकत्र की है। उन्होंने कहा कि इमारत के भूतल पर लगभग दो दर्जन रसोई गैस सिलेंडर पाए गए। मौसावी ने कहा कि इमारत के अंदर और बाहर कई नियमों का उल्लंघन पाया गया जिसके कारण अग्निशमन टीमों का काम बाधित हुआ और पांच अग्निशमन कर्मी घायल हो गए। इमारत में मौजूद मिस्र के एक कर्मचारी ने अपने अस्पताल के बिस्तर से संवाददाताओं को बताया कि दमकलकर्मियों की मदद से उसे इमारत से बाहर निकलने में दो घंटे लग गए। उसने बताया कि सीढ़ियों से नीचे जाते समय उसने कई जले हुए शव देखे। हल्की चोट लगने वाले उस व्यक्ति ने कहा कि इमारत में रहने वाले अधिकांश लोग भारतीय हैं, लेकिन कुछ पाकिस्तानी और फिलिपिनी भी हैं।

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अगर आप इन सभी बयानों पर गौर करेंगे या कुवैत के किसी भी समाचार पत्र को ऑनलाइन जाकर पढ़ेंगे तो एक बात साफ हो जाती है कि यह सभी श्रमिक अमानवीय परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे थे और उन्हें मृत्यु भी दर्दनाक मिली। कहने को अब कुवैत सरकार सख्त कार्रवाई की बात कर रही है लेकिन श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर वहां कभी गंभीरता नहीं बरती जाती। कुवैत में जिस तरह दूसरे देशों से अकुशल श्रमिक तस्करी कर लाये जाते हैं या प्रवासी श्रमिकों को दिये जाने वाले आवास में सुविधाएं सिर्फ कागजों में दिखाई जाती हैं, यदि उसकी जांच हो जाये तो वहां हो रहा भ्रष्टाचार सबके सामने आ जायेगा। कहने को सरकारी अधिकारी वहां श्रमिकों के आवास की निगरानी करते रहते हैं लेकिन वह पैसा लेकर सारी अनियमितताओं से मुंह फेर लेते हैं। श्रमिकों की तस्करी करने वाले माफियाओं पर नकेल कसने में कुवैत सरकार की विफलता का दुष्परिणाम गरीबों को ही झेलना पड़ता है। इसके अलावा, प्रवासी श्रमिकों का उत्पीड़न रियल एस्टेट कारोबारी भी खूब कर रहे हैं जोकि खासतौर पर अकुशल मजदूरों का खूब शोषण करते हैं। अक्सर श्रमिक इस बात की शिकायत करते हैं कि उनसे काम खूब कराया जाता है लेकिन आजादी नहीं दी जाती और बंद कमरों में जीवन गुजारने के लिए मजबूर किया जाता है। इन मजदूरों को सरकार की ओर से भी कोई संरक्षण नहीं मिलता इसलिए वह हालात से समझौता कर लेते हैं। 

बहरहाल, यह अग्निकांड चूंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन चुका है इसलिए इस समय वहां तेजी से कार्रवाई होती दिख रही है। कुवैत के लोक निर्माण मंत्री और नगर पालिका मामलों के राज्य मंत्री नूरा अल-मशान ने कुवैत नगर पालिका के निदेशक सऊद अल-दब्बूस को घटना से संबंधित शीर्ष अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया है। दब्बूस ने अहमदी नगर पालिका के चार शीर्ष अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और प्रभावित इमारत और क्षेत्र की अन्य इमारतों में सुरक्षा उल्लंघनों की जांच का आदेश दिया है। महामहिम अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा ने भी गहरा दुख और सहानुभूति व्यक्त करते हुए पीड़ितों के रिश्तेदारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने आग लगने के कारणों की तत्काल जांच करने का आदेश दिया है। महामहिम क्राउन प्रिंस शेख सबा अल-खालिद अल-हमद अल-सबा और महामहिम प्रधान मंत्री शेख अहमद अल-अब्दुल्ला अल-सबा ने भी पीड़ितों के रिश्तेदारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। कुवैत के उपप्रधानमंत्री, रक्षा और आंतरिक मंत्री शेख फहद अल-यूसेफ अल-सबा भी घटनास्थल पर पहुंचे और अस्पतालों का दौरा किया जहां घायल श्रमिकों को इलाज के लिए ले जाया गया था। उन्होंने इमारत के मालिक और गार्ड की गिरफ्तारी का आदेश दिया और अधिकारियों को उनकी अनुमति के बिना उन्हें रिहा नहीं करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि आज से नगर पालिका की टीमें सभी इमारतों का निरीक्षण करना शुरू कर देंगी और किसी भी नियम का उल्लंघन पाये जाने पर उनके पास उस इमारत को सील करने का अधिकार होगा। शेख फहद ने साथ ही कहा कि इमारतों में प्रवासी श्रमिकों की भीड़भाड़ और सुरक्षा शर्तों का पालन करने में विफलता के मुद्दे का अध्ययन करने के लिए एक सर्वे भी कराया जायेगा।

इस बीच, कुवैत में भारतीय दूतावास ने एक आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +965-65505246 जारी करते हुए कहा कि दूतावास हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय राजदूत डॉ. आदर्श स्वाइका ने आग लगने वाली जगह का दौरा किया और अस्पतालों में घायल लोगों से मुलाकात की। 

दूसरी ओर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा है कि कुवैत में भारतीय दूतावास स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और प्रभावितों की सहायता के लिए वहां के अधिकारियों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने बुधवार को इस मुद्दे पर विदेश मंत्री और तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और उसके बाद विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को प्रभावित परिवारों का सहयोग करने के लिए कुवैत भेजा है।

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