आर्टिकल 370 और 35ए क्या था ? जानिए हटने से पहले जम्मू कश्मीर में कैसा था माहौल

Article 370

जब कभी भी जम्मू कश्मीर का नाम सामने आता है तो दिमाग में सबसे पहले आर्टिकल 370 का ही ध्यान में आता है। इसके तहत जम्मू कश्मीर को विशेष स्वायत्तता मिली थी। 17 अक्टूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का हिस्सा बना था।

श्रीनगर। केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया और इसी के साथ जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया है। हालांकि 5 अगस्त 2019 को जब 370 के प्रावधानों को निरस्त किया गया था उस वक्त गृह मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट किया था कि सही समय देखकर जम्मू कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर आर्टिकल 370 और 35ए क्या था जो जम्मू कश्मीर को दूसरे राज्यों से अलग करता था। 

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क्या है आर्टिकल 370 ?

जब कभी भी जम्मू कश्मीर का नाम सामने आता है तो दिमाग में सबसे पहले आर्टिकल 370 का ही ध्यान में आता है। इसके तहत जम्मू कश्मीर को विशेष स्वायत्तता मिली थी। 17 अक्टूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का हिस्सा बना था जो जम्मू कश्मीर को यह छूट देता था कि वह अपने संविधान का मसौदा तैयार कर सके और राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों पर प्रतिबंध लगा सके।

आर्टिकल 370 के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के मामले में भारतीय संसद को सिर्फ रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बनाने का ही अधिकार था। बाकि किसी भी कानून को लागू करवाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए थी। 

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जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के कुछ प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है। जिसके बाद महज आर्टिकल 370 का खंड-1 ही लागू रहेगा बाकी सब समाप्त हो गए हैं। बता दें कि खंड-1 को राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया गया है और इसे राष्ट्रपति ही निरस्त कर सकते हैं।

अभी तक जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 360 लागू नहीं होता था जिसके तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। लेकिन अब आर्टिकल 360 लागू हो सकता है। साथ ही साथ दूसरे राज्य के लोह जम्मू कश्मीर में जमीन भी खरीद सकते हैं। 

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आर्टिकल 35-ए ?

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से 370 हटाए जाने के फैसले पर मुहर लगाने के साथ ही प्रदेश से 35ए खुद-ब-खुद समाप्त हो गया था। क्योंकि 35ए आर्टिकल 370 का भी हिस्सा था। बता दें कि 35ए जम्मू कश्मीर राज्य विधानमंडल को स्थायी निवासी परिभाषित करने और उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था। इसे 14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश के जरिए पारित किया था।

स्थायी निवासी कौन थे ?

जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, जो लोग 14 मई 1954 के दिन राज्य के नागरिक थे या फिर उससे पहले 10 सालों से प्रदेश में रह रहे हो और उस व्यक्ति ने प्रदेश में संपत्ति बना ली हो उसे स्थायी निवासी माना जाता था। 35ए तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति जम्मू कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता था और न ही राज्य सरकार की नौकरी कर सकता था। 

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मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने से पहले अचानक से अमरनाथ यात्रा रोक दी थी। यात्रियों को घर वापस भेजा जा रहा था। आतंकी हमले की आशंका जताते हुए घाटी में 10 हजार अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिए थे और फिर बाद में 28 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी।

जम्मू कश्मीर के हालात बिगड़े ने इसके लिए सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित तमाम राजनीतिक नेताओं को नजरबंद कर दिया था और फिर घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं थीं। गलियों में एक दम सन्नाटा पसरा था...राजनीतिक दलों को कानोकान खबर नहीं लग पाई कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को समाप्त करने वाली है।

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