चावल मिल के क्लर्क ने कैसे देश के किसी भी दक्षिणी राज्य में बीजेपी को पहली बार दिलाई सत्ता

Yeddyurappa
अभिनय आकाश । Feb 26 2022 7:24PM

येदियुरप्पा ने साल 2008 में अकेले अपने बल बूते पर कर्नाटक में बीजेपी को सत्ता में ला दिया। साल 2021 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफ दे दिया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्रीय नेतृत्व से किए वादे के अनुसार दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिए वे काम करेंगे।

कर्नाटक में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले येदियुरप्पा ने चावल मिल के क्लर्क से बीजेपी के कद्दावर नेता का सफर तय किया है। वो दो बार बीजेपी के लिए कर्नाटक में सत्ता का दरवाजा खोल चुके हैं। 2011 में खनन घोटाले के आरोप में कुर्सी गंवाने के बाद येदियुरप्पा बीजेपी से अलग होकर पार्टी भी बनाई। लेकिन बाद में फिर से बीजेपी में उनकी वापसी हुई। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली तो पार्टी ने एक बार फिर उन्हें सीएम बनाया। दो साल तक कर्नाटक की सीएम की कुर्सी पर रहने के बाद साल 2021 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

कर्नाटक के मांड्या में जन्म 

येदियुरप्पा को दक्षिणी राज्य में बीजेपी को पहली बार सत्ता का स्वाद चखाने का श्रेय दिया जाता है। येदियुरप्पा का पूरा नाम बुकंकरे सिद्दालिंगप्पा येदियुरप्पा है। उनका जन्म 27 फरवरी 1943 को कर्नाटक के मांड्या जिले में हुआ था। येदियुरप्पा महज चार साल के थे जब उनकी मां का निधन हो गया था। जिसके बाद पिता ने उनका पालन-पोषण किया। 

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2008 में बीजेपी को दिलाई सत्ता

येदियुरप्पा ने साल 2008 में अकेले अपने बल बूते पर कर्नाटक में बीजेपी को सत्ता में ला दिया। साल 2021 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफ दे दिया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्रीय नेतृत्व से किए वादे के अनुसार दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिए वे काम करेंगे। अभी तक किसी भी राजनेता ने ऐस बयान नहीं दिया है कि वे सीएम पद छोड़ रहे हैं क्योंकि पार्टी ने 78 साल की उम्र में भी काम करने की अनुमति दी है। येदियुरप्पा ने ऐसा कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के प्रति आभार भी जताया था। 

लिंगायत समाज के बड़े नेता

बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। भारत के दक्षिण का यह राज्य मठों और मंदिरों का देश कहलाता है। यहां के 30 जिलों में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 900 तक की संख्या में मठ हैं। इनमें से अधिकांश मठ लिंगायत समुदाय के हैं। राज्य के लिंगायत समुदाय को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है. आज कर्नाटक की आबादी का 18 फीसदी लिंगायत हैं। 

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