Prabhasakshi NewsRoom: मुंबई हमले के साजिशकर्ता क्यों आज भी पाकिस्तान में छुट्टे घूम रहे हैं

Mumbai attacks
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मुंबई हमले के वक्त भी देश में गुस्सा था लेकिन तत्कालीन सरकार ने क्या किया? वह सिर्फ विश्व को पाकिस्तान के गुनाहों का सबूत देने तक ही सीमित रही थी। यदि इच्छाशक्ति होती तो तभी पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता था।

मुंबई हमले के शहीदों को आज पूरा देश भावुक होकर श्रद्धांजलि दे रहा है साथ ही इस बात का प्रण भी ले रहा है कि आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर हम चलते रहेंगे। इसके साथ ही देश को इस बात का दुख भी है कि अब तक मुंबई हमले के दोषियों को न्याय के कठघरे में नहीं लाया गया है। पाकिस्तान में आज भी जिस तरह मुंबई हमले के साजिशकर्ता छुट्टे घूम रहे हैं वह संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्था की कार्यशैली पर बड़ा सवाल है। पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने से रोक दिया जाता है और संयुक्त राष्ट्र सिर्फ देखता रहता है, आतंकवाद की प्रायोजक पाकिस्तान सरकार को अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं वित्तीय मदद दे देती हैं और संयुक्त राष्ट्र सिर्फ देखता रहता है। जो देश खुद को दुनिया की बड़ी ताकत मानते हैं वह भी आतंकवाद के प्रति दोहरा रवैया रखते हैं। उनसे बातें कितनी भी बड़ी-बड़ी करवा लो लेकिन पाकिस्तान पर नकेल कसने के वक्त वह पीछे हट जाते हैं। लेकिन भारत अब समझ चुका है, संभल चुका है, अपने पैरों पर खड़ा हो चुका है, ताकतवर हो चुका है और पूरी दुनिया को संदेश दे चुका है कि कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे नहीं।

मुंबई हमले के वक्त भी देश में गुस्सा था लेकिन तत्कालीन सरकार ने क्या किया? वह सिर्फ विश्व को पाकिस्तान के गुनाहों का सबूत देने तक ही सीमित रही थी। यदि इच्छाशक्ति होती तो तभी पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता था। 2014 के बाद देश में जो बदलाव आया यह उसी का परिणाम था कि उरी और पुलवामा हमले का बदला भारत ने बड़ी मजबूती के साथ लिया था। भारत के दुश्मनों को अब यह साफतौर पर समझ आ चुका है कि ये नया भारत है जहां हमले के बाद शांति की अपील नहीं की जाती बल्कि डबल ताकत से दुश्मन को ठोक दिया जाता है।

बहरहाल, आज पूरा देश हमारे मुंबई हमले के शहीदों को याद कर रहा है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुबह उन शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की, जिन्होंने 14 साल पहले 26 नवंबर को शहर पर हमला करने वाले आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। उन्होंने दक्षिण मुंबई स्थित पुलिस आयुक्त कार्यालय के परिसर में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मंत्री दीपक केसरकर, मुख्य सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव, राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रजनीश सेठ, मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फणसालकर और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। नवंबर 2008 में हुए इन हमलों में जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

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उल्लेखनीय है कि 10 पाकिस्तानी आतंकवादी 26 नवंबर, 2008 को समुद्री मार्ग से मुंबई पहुंचे थे और उनके हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 मारे गए थे तथा कई अन्य लोग घायल हुए थे। इसके अलावा करोड़ों रुपये की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था। यह हमला 26 नवंबर को शुरू हुआ था और 29 नवंबर तक चला था। इस दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताजमहल पैलेस एंड टॉवर, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन सामुदायिक केंद्र जैसे स्थानों को निशाना बनाया गया था। अजमल कसाब एकमात्र आतंकवादी था जिसे जिंदा पकड़ा गया था। उसे चार साल बाद 21 नवंबर, 2012 को फांसी दे दी गई थी।

इस बीच, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि देश उन सभी लोगों को कृतज्ञता के साथ याद करता है जिन्हें देश ने खो दिया। राष्ट्रपति ने उन सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और कर्तव्य निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट किया, ‘‘26/11 के मुंबई आतंकी हमलों की बरसी पर, राष्ट्र उन सभी को कृतज्ञता के साथ याद करता है जिन्हें हमने खो दिया। हम उनके प्रियजनों और परिवारों की पीड़ा को समझते हैं।'' उन्होंने कहा कि राष्ट्र उन सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और कर्तव्य निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।

उधर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद से मानवता को खतरा है। जिन लोगों ने मुंबई हमले की योजना बनाई उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आतंकवाद के हर पीड़ित के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 14 वर्ष पहले जब भारत अपना संविधान दिवस मना रहा था तब उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने सबसे बड़ा हमला किया, मुंबई आतंकी हमले में जिनकी मृत्यु हुई मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

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