Chennai South में क्या Tamilisai Soundararajan कर पाएंगी DMK को आउट?

Tamilisai Soundararajan
ANI

हमने जब इस क्षेत्र में लोगों से बात की तो सभी ने द्रमुक को आगे बताया। हालांकि द्रमुक के शासन के प्रति लोगों की नाराजगी दिखी लेकिन लोगों का कहना था कि इस सीट पर लड़ाई द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच ही होती रही है और इस चुनाव में भी वही होगा।

प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा जब तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई पहुँची तो हमने सबसे पहले यह जानना चाहा कि कुछ समय पहले तक तेलंगाना और पुडुचेरी की राज्यपाल रहीं तमिलिसाई सौंदर्यराजन के प्रति लोगों का क्या रुझान है? हम आपको बता दें कि भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकीं सौंदर्यराजन को दक्षिण चेन्नई संसदीय सीट से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। भाजपा आलाकमान के निर्देश पर वह राज्यपाल का पद छोड़ कर लोकसभा चुनाव के समर में उतर गयीं। हम आपको बता दें कि दक्षिण चेन्नई सीट काफी संभ्रांत इलाका है लेकिन पिछले वर्ष चेन्नई में बाढ़ के दौरान इस क्षेत्र के जल निकासी प्रबंधों की दुर्दशा तब सामने आ गयी थी जब यह पूरा इलाका जलमग्न हो गया था। दक्षिण चेन्नई संसदीय सीट तमिलनाडु की सबसे बड़ी चार लोकसभा सीटों में से भी एक है। यह क्षेत्र द्रमुक का गढ़ माना जाता है और उसे भेदने के लिए भाजपा ने तमिलिसाई को आगे कर जो दांव चला है वह मजबूत तो है लेकिन विजयी दांव नहीं कहा जा सकता। चेन्नई दक्षिण पिछले चार दशकों से द्रमुक का अभेद्य गढ़ बना हुआ है और पार्टी ने यहां पांच बार जीत हासिल की है जबकि अन्नाद्रमुक यहां से दो बार जीती है। 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां से द्रमुक उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा मत हासिल हुए थे।

हमने जब इस क्षेत्र में लोगों से बात की तो सभी ने द्रमुक को आगे बताया। हालांकि द्रमुक के शासन के प्रति लोगों की नाराजगी दिखी लेकिन लोगों का कहना था कि इस सीट पर लड़ाई द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच ही होती रही है और इस चुनाव में भी वही होगा। लोगों ने कहा कि भाजपा टक्कर तो दे रही है लेकिन अभी वह इतनी मजबूत नहीं है कि जीत हासिल कर सके। हमने जब लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर तमिलिसाई वास्तव में जनता की सेवा करना चाहती थीं, तो उन्हें राज्यपाल का पद और पहले छोड़कर जनता के बीच आना चाहिए था। चुनावों से ठीक पहले एक पद छोड़ कर दूसरे पद को पाने का प्रयास करना सेवा नहीं कहा जा सकता।

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हालांकि जब भाजपा नेताओं से इस बारे में बात की गयी तो उन्होंने जीत का विश्वास जताया। स्वयं तमिलिसाई ने प्रभासाक्षी से कहा कि मैंने इस क्षेत्र के विकास के लिए जो एजेंडा जनता के सामने रखा है उसे भारी समर्थन मिल रहा है। हम आपको बता दें कि चेन्नई में भारी गर्मी के बीच तमिलिसाई ने चुनाव प्रचार में और जनता के बीच अपनी बात पहुँचाने के लिए जनसंपर्क अभियान के तहत काफी पसीना बहाया। तमिलिसाई तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल में एक प्रभावशाली नादर परिवार में जन्मी थीं। वह दिवंगत कांग्रेस सांसद आनंदन कुमारी की बेटी हैं। पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. तमिलिसाई एक दशक से अधिक समय से भाजपा की प्रभावशाली नेता रही हैं। उन्होंने 2014 से 2019 के बीच तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में पार्टी को जन-जन तक पहुँचाया। उन्होंने चेन्नई से तीन विधानसभा चुनाव (2006, 2011 और 2016 में) लड़े और दो लोकसभा चुनाव (2009 और 2019 में) भी लड़े लेकिन वह असफल रहीं। पिछले लोकसभा चुनावों में हार के मात्र पांच महीने बाद उन्हें तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था। इस साल 20 मार्च को उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो सभी आश्चर्यचकित रह गये थे क्योंकि राज्यपाल पद पर जाने के बाद अमूमन नेता फिर चुनावी चक्कर में नहीं पड़ते।

हम आपको बता दें कि यह क्षेत्र पारम्परिक रूप से द्रमुक का गढ़ है। तमिलनाडु में 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में दक्षिण चेन्नई में तमिलिसाई, निवर्तमान डीएमके सांसद थमिझाची थंगापांडियन और पूर्व एआईएडीएमके सांसद जे जयवर्धन के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। द्रमुक और अन्नाद्रमुक तो तमिलिसाई की उम्मीदवारी पर निशाना साधते हुए कह भी चुके हैं कि भाजपा को यहां से कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला तो राज्यपाल से इस्तीफा दिलवा कर उन्हें मैदान में उतार दिया।

इस क्षेत्र की एक खास बात यह है कि यहां ब्राह्मण मतदाता बड़ी संख्या में हैं। भाजपा की इस निर्वाचन क्षेत्र पर हमेशा से नजर रही है क्योंकि राज्य की यही वह लोकसभा सीट है जहां पर ब्राह्मणों की सबसे बड़ी आबादी है। दक्षिण चेन्नई के अंतर्गत आने वाले मायलापुर, टी नगर और वेलाचेरी में ब्राह्मण समुदाय के वोटों का एक बड़ा हिस्सा रहता है। परंपरागत रूप से द्रमुक बनाम अन्नाद्रमुक लड़ाई में ब्राह्मणों ने हमेशा अन्नाद्रमुक को वोट दिया। लेकिन इस बार जिस तरह का ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है उसके चलते वह भाजपा उम्मीदवार तमिलिसाई को वोट दे सकते हैं। इस स्थिति को देखते हुए ऐसा भी प्रतीत हुआ कि अन्नाद्रमुक और भाजपा के बीच वोटों के विभाजन से द्रमुक को इस क्षेत्र में जीत हासिल करने में मदद मिलेगी।

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