Women reservation लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए : सपा प्रमुख यादव

जहां तक इस (महिला आरक्षण) विधेयक का सवाल है, हमारा रुख यह है कि इस विधेयक के तहत पिछड़ों को कितना आरक्षण मिलेगा। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा जब यह विधेयक पेश किया गया था तो हमने इसका विरोध किया था।
लखनऊ। महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किये जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। सपा प्रमुख यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।”
इससे पहले सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने पीटीआई-से कहा, ‘‘जहां तक इस (महिला आरक्षण) विधेयक का सवाल है, हमारा रुख यह है कि इस विधेयक के तहत पिछड़ों को कितना आरक्षण मिलेगा। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा जब यह विधेयक पेश किया गया था तो हमने इसका विरोध किया था और आज जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे ला रही है, तो हम (उनसे) पूरी तरह सहमत नहीं हैं।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘हम महिलाओं के साथ न्याय चाहते हैं और उनके लिए आरक्षण भी चाहते हैं। लेकिन पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों के लिए कितना आरक्षण होगा?’’ उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में यह बताया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ी जाति, दलित, अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) समुदाय की महिलाओं को दिए जाने वाले आरक्षण का कोटा क्या होगा? चौधरी ने यह भी बताया कि इस संबंध में फैसला दिल्ली में लिया जाएगा, क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव और डिंपल यादव दिल्ली में हैं। वर्ष 2009 में सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने (प्रस्तावित) महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए इसे ‘‘कठिन संघर्षों’’ के माध्यम से लोकसभा तक पहुंचने वाले नेताओं के खिलाफ एक ‘‘साजिश’’ करार दिया था। उस वक्त सपा कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।
सिंह के बयान के समर्थन में जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) के तत्कालीन नेता शरद यादव ने तर्क दिया था कि अगर विधेयक आम सहमति के बिना पारित किया गया तो यह ‘‘जबरन जहर देने’’ के समान होगा। केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया। इस विधेयक को पूरक सूची के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया था। नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।
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