महागठबंधन के जीतने पर बिहार में होगा शैक्षिक सुधार: उपेंद्र कुशवाहा
पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोसपा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि शैक्षणिक सुधारों के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 25 मांगों का जो एक चार्टर सौंपा था, उसे विपक्षी महागठबंधन के राज्य में सत्ता में आने पर लागू किया जाएगा।
पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को दावा किया कि बिहार में शैक्षणिक सुधारों के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 25 मांगों का जो एक चार्टर सौंपा था, उसे विपक्षी महागठबंधन के राज्य में सत्ता में आने पर लागू किया जाएगा। कुशवाहा जब राजग में थे और मंत्री थे तब वह चार्टर सामने लाए थे। उसमें राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की भर्ती, शिक्षकों को गैर शिक्षा कार्यों से पूरी तरह हटाने, विद्यार्थियों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य बनाने जैसे आमूलचूल प्रस्ताव शामिल हैं।
इसे भी पढ़ें : सुशील मोदी ने कुशवाहा पर साधा निशाना, कहा- नेताओं ने तो छोड़ा है साथ अब...
अपराधी है मस्त,
— RLSP Bihar (@BiharRLSP) December 26, 2018
सरकार है पस्त,
शासन-प्रशासन भी ब्यस्त,
पर आमलोग है त्रस्त.….!
फिर भी श्री @NitishKumar जी को अपनी सुशासन पर है Trust...? pic.twitter.com/0qKEd8WQAC
कुशवाहा ने कहा, ‘जब मैंने यह चार्टर राज्य सरकार को सौंपा था, तब से एक लंबा अर्सा गुजर गया। नीतीश कुमार सरकार यदि इन महत्वपूर्ण शैक्षणिक सुधारों पर राजी हो जाती तो मैंने अपनी पार्टी के राजनीतिक हितों को तिलांजलि देने तक की पेशकश की थी। लेकिन उसने उस पर ध्यान ही नहीं दिया।’ आरएलएसपी प्रमुख ने कहा कि लेकिन ये मांग महत्वपूर्ण हैं और हम इस पर दबाव बनाने जा रहे हैं। दो फरवरी से हमारी पार्टी राज्यव्यापी अभियान शुरू करेगी जिसके दौरान इस चार्टर के समर्थन में एक करोड़ नागरिकों के हस्ताक्षर लिये जाएंगे। इन दस्तावेजों को ट्रक में भरकर मुख्यमंत्री के निवास पर भेजा जाएगा।
इसे भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन तैयार, बिहार की सीटों का फॉर्मूला तय
आरएलएसपी अब महागठबंधन का हिस्सा बन गयी है जिसमें राजद और कांग्रेस जैसे दल हैं। कुशवाहा ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री से कोई उम्मीद नहीं है, ऐसे में दस्तखत वाले दस्तावेज उनके द्वार पर भेजे जायेंगे ताकि उन्हें अपने ही तरीके का जवाब मिले। उनका इशारा 2015 में नीतीश कुमार द्वारा उठाये गये उस कदम की ओर था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डीएनए का जिक्र करने पर उन्होंने बिहारियों के नाखूनों और बाल के नमूने दिल्ली भेजे थे।
अन्य न्यूज़