पूरी जिंदगी अब जेल में काटेगा यासीन मलिक, टेरर फंडिंग केस में उम्र कैद की सजा
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया था। महीने की शुरुआत में मलिक ने 2017 में घाटी को परेशान करने वाले आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों के मामले में अदालत के समक्ष कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) सहित सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया था।
प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के केस में एनआईए कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। एनआईए कोर्ट के स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक के खिलाफ यह फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यासीन मलिक पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है। इससे पहले कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दिल्ली की एक एनआईए अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में 19 मई को दोषी ठहराया था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया था। अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि यासीन मलिक को धारा 17 यूएपीए के तहत आजीवन कारावास, 10 लाख रुपये का जुर्माना, 120 बी के तहत 10 साल कैद और 10,000 रुपये जुर्माना और आईपीसी और यूएपीए की अन्य धाराओं की सजा सुनाई गई है।
कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की इस दलील को खारिज कर दिया कि वह अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत का पालन कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा होने के बावजूद, उन्होंने न तो हिंसा की निंदा की और न ही विरोध को वापस लिया। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने मलिक की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने 1994 में बंदूक छोड़ दी थी और उसके बाद उन्हें एक वैध राजनीतिक व्यक्ति के रूप में मान्यता दी गई थी। महीने की शुरुआत में मलिक ने 2017 में घाटी को परेशान करने वाले आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों के मामले में अदालत के समक्ष कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) सहित सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया था। मलिक ने अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था।
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इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं। कोर्ट ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे।
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लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में घोषित अपराधी बताया गया है। यह मामला हाफिज सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों सहित अलगवावादी नेताओं की कथित साजिश से संबद्ध है, जिन्होंने प्रतिबंधित आतंकी संगठन - हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तारन ए मिल्लत, लश्कर ए तैयबा - और अन्य के सक्रिय सदस्यों के साथ हवाला सहित विभिन्न अवैध माध्यमों से देश-विदेश से धन जुटाने की साजिश रची थी। यह धन जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों और कश्मीर घाटी मेंसुरक्षा बलों पर पथराव करने, स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के कृत्य के लिए था। एनएआई के मुताबिक, जांच से यह स्थापित हुआ है कि यासिन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख था और वह जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिवधियों में संलिप्त था। मामले में शेष आरोपियों के खिलाफ सुनवाई जारी है।
Terror funding case | NIA Court in Delhi awards life imprisonment to Yasin Malik. pic.twitter.com/mxwH3dhWLc
— ANI (@ANI) May 25, 2022
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