Bal Thackeray Death Anniversary: महाराष्ट्र की सियासत के कंट्रोलर रहे बाल ठाकरे, इशारों पर घूमती थी राजनीति

Bal Thackeray
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आज ही के दिन यानी की 17 नवंबर को बाल ठाकरे का निधन हो गया था। बाल ठाकरे की छवि एक कट्टर हिंदू नेता के रूप में थी। इस कारण बाल ठाकरे को हिंदू सम्राट भी कहा जाता है। एक दौर था, जब महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे की तूती बोलती थी।

महाराष्ट्र की राजनीति में एक ताकतवर नेता के रूप में प्रसिद्ध बाल ठाकरे का 17 नवंबर को निधन हुआ था। बाल ठाकरे की छवि एक कट्टर हिंदू नेता के रूप में थी। इस कारण बाल ठाकरे को हिंदू सम्राट भी कहा जाता है। एक दौर था, जब महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे की तूती बोलती थी। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चाहे कोई भी बैठा, लेकिन बाल ठाकरे अपना वर्चस्व हमेशा कायम रखते थे। वह अपनी मुखरता के लिए जाने जाते थे। बाल ठाकरे कुछ भी कहने से संकोच नहीं करते थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर बाल ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

बाल ठाकरे का जन्म 12 जनवरी 1926 को हुआ था। इनके पिता का नाम केशव सीताराम ठाकरे था। बाल ठाकरे अपने पिता की विचारधारा से काफी ज्यादा प्रभावित थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत एक पत्रकार और कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी। उन्होंने 'द फ्री प्रेस जर्नल' से करियर की शुरुआत की। फिर उनके कार्टून 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में भी छपे। लेकिन जल्द ही उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और 'मार्मिक' नाम से अपनी खुद की पॉलिटिकल मैगजीन शुरू की।

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राजनीतिक सफर

साल 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई। वामपंथी पार्टियों के खिलाफ खड़ी की गई शिवसेना ने मुंबई में मजदूर आंदोलनों को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह वो दौर था, जब बाल ठाकरे को दो झटके लगे। साल 1996 में बाल ठाकरे की पत्नी मीना ठाकरे और बेटे बिंदुमाधव की मौत हो गई। लेकिन बाल ठाकरे ने परिस्थितियों के सामने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और मजबूती से खड़े रहे।

उनका राजनीतिक कद बढ़ता गया और इस दौरान भारतीय राजनीति की दक्षिणपंथी धुरी भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना स्वाभाविक दोस्त बनकर उभरीं। वहीं शिवसेना भाजपा की सबसे पहली सहयोगी पार्टी भी बनी। बता दें कि बाल ठाकरे राजनीति का वह चेहरा रहे, जिनके इर्द-गिर्द महाराष्ट्र की राजनीति करीब चार दशक तक घूमती रही। किसी के लिए नायक तो किसी के लिए खलनायक रहे बाल ठाकरे जब तक जीवित रहे, हमेशा अपनी शर्तों पर जीते रहे।

मृत्यु

वहीं 17 नवंबर 2012 को बाल ठाकरे ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।

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