Birthday Special: फौजियों के बीच बीता था जनरल बिपिन रावत का बचपन, ऐसे बने थे देश के पहले CDS

General Bipin Rawat
ANI

भारतीय सेना के जांबाज अधिकारी तौर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अपनी सेवा दे रहे थे। आज के दिन यानी की 16 मार्च को उनका जन्मदिन होता है। कई मौकों पर बिपिन रावत ने देश का सिर गर्व से ऊंचा किया।

देश के पहले CDS यानि की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का आज के दिन यानी की 16 मार्च को जन्म हुआ था। देश के प्रति उनके प्रेम के कारण कोई भी दुश्मन देश की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखता था। बता दें कि जनरल बिपिन रावत देश के पहले CDS थे। उनसे पहले यह पद किसी को नहीं मिला है। वह तीनों सेना के प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाल रहे थे। लेकिन तमिलनाडु के कुन्नूर दौरे के दौरान उनका हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर CDS जनरल बिपिन रावत के बारे में... 

जन्म और शिक्षा

बिपिन रावत का जन्म देहरादून में 16 मार्च 1958 को हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी फ़ौज में थे। लक्ष्मण सिंह रावत को लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत के नाम से पहचाना जाता था। बिपिन रावत का बचपन फौजियों के बीच बीतने के कारण उनका रुझान इस ओर बढ़ा था। उन्होंने अपनी शिक्षा सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई इंडियन मिलट्री एकेडमी में एडमिशन लिया और पढ़ाई के लिए देहरादून चले गए। उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए बिपिन रावत को सम्मान पत्र दिया गया था। बिपिन रावत को SWORD OF HONOUR से सम्मानित किया गया था। इसके बाद बिपिन रावत ने अमेरिका से सर्विस स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएट किया और हाई कमांड कोर्स भी किया।

आर्मी में करियर

अमेरिका से लौटने के बाद बिपिन रावत ने आर्मी में शामिल होने का मन बनाया। कई प्रयासों के बाद 16 दिसंबर 1978 में बिपिन रावत को गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया। इस तरह से उनके सैन्य सफर की शुरूआत हुई। इस दौरान बिपिन रावत को टीम वर्क के अलावा कई अन्य नियमों को जानने-समझने का मौका मिला। एक इंटरव्यू के दौरान बिपिन रावत ने बताया था कि गोरखा में रहते हुए उन्होंने आर्मी की नीतियों और नीतियों के निर्माण को बारीकी से समझा। आर्मी में रहते हुए उन्होंने कई पदों पर काम किया। बिपिन रावत ने न सिर्फ देश में बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सेवाएं दी है। बता दें कि वह कांगो के UN Mission के भागीदार भी बने थे। तब उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेवा देने का मौका मिला था।

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उपलब्धियां

सेना में रहते हुए बिपिन रावत को सेना में अनेक तरह के पुरस्कार भी मिले हैं। उन्होंने युद्ध नीति को सीखते हुए अपने कौशल का सही इस्तेमाल किया और 37 साल के करियर में आर्मी में तमाम मेडल अपने नाम किए। इसके बाद उन्हें सेना का प्रमुख बनाया गया। बिपिन रावत को 31 दिसंबर 2016 को दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी बनाया गया। इस पद को संभालने के बाद उन्हें देश में एक अलग पहचान मिली और वह भारतीय सेना के 27वें प्रमुख बनें। 

सुरक्षा मुद्दों पर लिखे कई लेख

बिपिन रावत एक लेखक के तौर पर भी जाने जाते थे। वह सुरक्षा मामलों पर भी लिखते थे। बता दें कि देश के पत्र-पत्रिकाओं में उनके आलेख प्रकाशित होते रहे थे। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने साल 2011 में उनको पीएचडी की उपाधि दी।

CDS अधिकारी

सेना के प्रमुख पद से 31 दिसंबर 2019 को बिपिन रावत ने भारतीय सेना के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया। जिसके बाद उनको देश के पहले CDS अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई। बता दें कि CDS अधिकारी थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनो के बीच बेहतर तालमेल बैठाने का काम करता है। इस पद पर रहते हुए रक्षा मंत्री और गृहमंत्री के मुख्य सलाहकार के तौर पर जिम्मेदारियां निभानी होती हैं।

मौत

तमिलनाडु के कुन्नूर के पास 8 दिसंबर को बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दौरान उनके साथ बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 लोग मौजूद थे। इस एक्सीडेंट में 13 लोगों की मौत हो गई थी। बिपिन रावत की मौत से देश को गहरी क्षति पहुंची थी। बिपिन रावत की 61 साल की उम्र में मौत हो गई।

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