जननायक और मानवतावादी चिंतक थे जयप्रकाश नारायण

देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक तमाम आंदोलनों की मशाल थामने वाले जयप्रकाश नारायण का नाम देश के ऐसे शख्स के रूप में उभरता है जिन्होंने अपने विचारों, दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की थी। उनका नाम लेते ही एक साथ उनके बारे में लोगों के मन में कई छवियां उभरती हैं। लोकनायक के शब्द को असलियत में चरितार्थ करने वाले जयप्रकाश नारायण अत्यंत समर्पित जननायक और मानवतावादी चिंतक तो थे ही इसके साथ साथ उनकी छवि अत्यंत शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है।
प्रोफेसर आनंद कुमार ने बातचीत में बताया, ‘‘मैं उनका तीसरी पीढ़ी का अनुयायी था। पितामह, पिता और स्वयं के संबंधों के प्रकाश में यह भी स्पष्ट याद आता है कि वह अपने मित्रों तथा सहयोगियों के प्रति अत्यंत प्रेममयी संबंध रखने वाले असाधारण नेता थे।’’ उन्होंने जयप्रकाश को याद करते हुये कहा ‘‘उनको आप सभी दृष्टियों में एक अजातशत्रु, महामानव की परंपरा का श्रेष्ठ प्रतीक कह सकते हैं।’’ जय प्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में आने वाले ‘लाला का टोला’ में हुआ था। आज के समय में जय प्रकाश नारायण की प्रासंगिकता के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कहा कि वह आज के समय में पहले से ज्यादा प्रासंगिक हैं। उन्होंने बताया ‘‘जयप्रकाश नारायण ने जो सवाल उठाया था उसका जवाब उनके जीवन काल में नहीं मिल पाया। वह समस्या आज पहले से भी ज्यादा विकराल रूप में यथावत है और उससे निपटने का आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है। जयप्रकाश हमेशा चुनाव सुधार की बात करते थे और इसमें कम खर्च करने पर जोर देते थे।’’ रामबहादुर राय ने कहा कि वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में 100 करोड़ रुपये खर्च होने पर जयप्रकाश नारायण ने अफसोस जताया था लेकिन आज के समय में किसी एक लोकसभा क्षेत्र में इससे कहीं ज्यादा धन खर्च हो जाता है। ऐसे में सुधार को लेकर आज उनकी प्रासंगिकता कहीं अधिक बढ़ जाती है।
जयप्रकाश नारायण को वर्ष 1977 में हुए ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ के लिए जाना जाता है लेकिन वह इससे पहले भी कई आंदोलनों में शामिल रहे थे। उन्होंने कांग्रेस के अंदर सोशलिस्ट पार्टी योजना बनायी थी और कांग्रेस को सोशलिस्ट पार्टी का स्वरूप देने के लिए आंदोलन शुरू किया था। इतना ही नहीं जेल से भाग कर नेपाल में रहने के दौरान उन्होंने सशस्त्र क्रांति शुरू की थी। इसके अलावा वह किसान आंदोलन, भूदान आंदोलन, छात्र आंदोलन और सर्वोदय आंदोलन सहित छोटे-बड़े कई आंदोलनों में शामिल रहे और उन्हें अपना समर्थन देते रहे।
रामबहादुर राय ने बताया कि जयप्रकाश नारायण के ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन का उद्देश्य सिर्फ इंदिरा गांधी की सरकार को हटाना और जनता पार्टी की सरकार को लाना नहीं था, उनका उद्देश्य राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाना था। उन्होंने बताया कि जयप्रकाश के जीवन काल में सिर्फ एक राज्य सरकार ऐसी थी जिसने उनके सपनों को साकार करने के लिए कुछ प्रयास किया। राजस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने ‘अंत्योदय कार्यक्रम’ चलाया था। जयप्रकाश नारायण का 76 साल की उम्र में आठ अक्तूबर 1979 को पटना में निधन हो गया था।
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