JRD Tata Birth Anniversary: JRD टाटा को बचपन से था विमानों का शौक, अपने प्रयासों से टाटा ग्रुप को दी नई ऊंचाइयां

JRD Tata
Prabhasakshi

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने अपने अथक प्रयासों से टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया था। आज यानी की 29 जुलाई को जेआरडी टाटा का जन्म हुआ था। बचपन से ही जेआरडी टाटा को हवाई जहाज से काफी ज्यादा लगाव था।

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा का नाम भारतीय उद्योग ही नहीं बल्कि आधुनिक भारतीय इतिहास में भी सम्मान के साथ लिया जाता है। जेआरडी टाटा अपने आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह लंबे समय तक टाटा समूह के चेयरमैन थे। उन्होंने अपने अथक प्रयासों से टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया था। जेआरडी टाटा फेमस उद्योगपति रतनजी दादाभाई टाटा के बेटे थे। जेआरडी टाटा भारत में कई उद्योगों कि शुरुआत करने के लिए जाने जाते थे। 

वह देश के पहले लाइसेंसधारी पायलट थे। साथ ही वह एक ऐसे उद्योगपति थे, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। बता दें आज ही के दिन यानी की 29 जुलाई को जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जेआरडी टाटा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

पेरिस में 29 जुलाई 1904 में जेआरडी टाटा का जन्म हुआ था। जेआरडी टाटा अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटा और मा सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। जेआरडी टाटा का ज्यादातर बचपन का समय फ्रांस में बीता था। बाद में उन्होंने मुंबई आकर उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 

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बचपन का सपना

बचपन से ही जेआरडी को हवाई जहाज से बहुत लगाव था। 15 साल की उम्र में पहली बार जब जेआरडी हवाई जहाज में बैठे, तो तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह इसी क्षेत्र यानी की उड्डयन में ही अपना भविष्य बनाएंगे। जेआरडी की लगन के चलते ही उनको 24 साल की उम्र में कमर्शियल पायलट का लायसेंस मिल गया। बता दें कि ऐसा करने वाले वह पहले व्यक्ति थे। 

टाटा एयरलाइंस से एयर इंडिया तक सफर

साल 1932 में जेआरडी ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की, जो बाद में एयर इंडिया के नाम से फेमस हुई। जेआरडी ने अपने कार्यकाल के दौरान एय़र इंडिया को नई बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया था। उस दौरान एयर इंडिया की सेवाएं काफी ज्यादा फेमस थीं। लेकिन इसके बाद भी जेआरडी का विमान उड़ाने का शौक ज्यों का त्यों बना हुआ था। साल 1930 में आगा खान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जेआरडी ने भारत से इंग्लैंड तक अकेले सफर किया था। इसके अलावा जेआरडी ने खुद करांची से बंबई तक उड़ान भरी थी। जेआरडी ने 50 साल के बाद 78 साल की उम्र में एकल उद्घाटन उड़ान को फिर से दोहराने का काम किया। जिससे कि आने वाली पीढ़ी में साहस की भावना का संचार हो सके। 

टाटा एयरलाइंस यानि एयर इंडिया से जेआरडी को विशेष लगाव था। कई बार सफर के दौरान वह खुद ही औचक निरीक्षण कर टॉयलेट पेपर की जांच करने का काम किया करते थे। परिवार का व्यवसाय संभालने के लिए साल 1924 को जेआरडी को मुंबई बुलाया गया। बाम्बे हाउस में टाटा स्टील के प्रभावरी निदेशक जॉन पीटरसन अधीन काम करना शुरू कर दिया। वहीं इसके 2 साल के बाद वह टाटा सन्स के निदेशक बनें। साथ ही साल 1991 तक वह चेयरमैन पद पर बने रहे। इस दौरान जेआरडी ने टाटा समूह को 14 कंपनियों से 90 कंपनियों का मालिक बना दिया। 

मौत

भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए साल 1955 में जेआरडी टाटा को पद्म विभूषण से नवाजा गया। वहीं साल 1992 में जेआरडी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। बता दें कि स्विट्जरलैंड में गुर्दे में संक्रमण के कारण 89 वर्ष की आयु में 29 नवंबर 1993 को जेआरडी टाटा का निधन हो गया। उनकी मृत्यु की सूचना मिलने पर भारत की संसद की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।

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