धीरूभाई अंबानी ने की थी 300 रुपये की नौकरी, अकेले रखी रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव

Dhirubhai Ambani
Prabhasakshi
निधि अविनाश । Jul 6 2022 12:16PM

वैश्य परिवार में जन्में धीरूभाई के पिता स्कूल टीचर थे। धीरूभाई ने सबसे पहले अपने कारोबारी जीवन की शुरूआत गिरनार पहाड़ी पर आने वाले तीर्थयात्रियों को भजिया बेचकर की थी। महज 10वीं कक्षा तक पढ़ाई करन वाले धीरूभाई ने यह तो साबित किया कि टॉप बिजनेस टायकून बनने के लिए बड़ी डिग्रियां हासिल करना आवश्यक नहीं है।

गुजरात के एक छोटे से कस्बे से निकले धीरूभाई अंबानी के कारण ही आज रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की प्रमुख कंपनियों में भी शुमार हो चुका है। आज यानि 6 जुलाई को धीरूभाई अंबानी की डेथ एनिवर्सरी पर आइये हम आपको बताते हैं उनके जीवन के बारे में। जानकारी के लिए बता दें की धीरूभाई का पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात जूनागढ़ शहर के पास के एक छोटे से कस्बे चोरवाड़ में हुआ था। वैश्य परिवार में जन्में धीरूभाई के पिता स्कूल टीचर थे। धीरूभाई ने सबसे पहले अपने कारोबारी जीवन की शुरूआत गिरनार पहाड़ी पर आने वाले तीर्थयात्रियों को भजिया बेचकर की थी। महज 10वीं कक्षा तक पढ़ाई करन वाले धीरूभाई ने यह तो साबित किया कि टॉप बिजनेस टायकून बनने के लिए बड़ी डिग्रियां हासिल करना आवश्यक नहीं है।

बता दें कि उन्होंने केवल 16 साल  की उम्र में ही विदेश यात्रा कर ली थी। साल 1955 में वह अपने भाई रमणिकलाल के साथ काम करने यमन के शहर अदन चले गए थे और वहां उन्होंने पहली नौकरी एक पेट्रोल पंप पर सहायक के रूप में की थी। उस दौरान उनकी सैलरी केवल 300 रुपए प्रतिमाह थी। कुछ सालों के बाद वह वापस भारत लौट आए और तीर्थयात्रियों को भजिया बेचना शुरू कर दिया। 5 साल के भीतर ही उन्होंने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दमानी के साथ 1960 में रिलायंस कॉमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की। धीरूभाई का पहला ऑफिस मुंबई के मस्जिद बंदर क्षेत्र में नरसीनाथन स्ट्रीट में 350 वर्गफुट के एक कमरे में हुआ। उस कमरे में दो मेज, 3 कुर्सी और एक फोन के अलावा कुछ भी नहीं था। महज 50 हजार की पूंजी और दो हेल्परों के साथ धीरूभाई ने अपना कारोबार शुरू किया था। आज केवल के नेतृत्व वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार पूंजी 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। बता दें कि पहले रिलायंस का नाम रिलायंस कॉमर्शियल कॉरपोरेशन था जिसे बदलकर रिलायंस टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड किया गया लेकिन अंतिम में इसका नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड किया गया। धीरूभाई ने नायलॉन का काम शुरू किया जिससे उन्हें 300 प्रतिशत का मुनापा होता था। 

इसे भी पढ़ें: जयंती विशेषः डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक

साल 1996 में रिलायंस एक ऐसी निजी कंपनी बन गई जिसको इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने रेटिंग करना शुरू कर दिया। रिलांयस का कारोबार इस समय काफी ज्यादा फैला हुआ है। पेट्रोकेमिकल, टेलीकॉम, एनर्जी, पावर जैसे कई सेक्टर में आज रिलायंस सबसे आगे है। धीरूभाई अंबानी पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल डीन मेडल प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बने। उन्हें एशिया वीक पत्रिका द्वारा 'पावर 50 - एशिया के सबसे शक्तिशाली लोगों' की सूची में भी शामिल किया गया था। धीरूभाई को दो बार ब्रेनस्ट्रोक आया था जिसमें पहली बार 1986 में और दूसरी बार 24 जून 2002 को आया। अंत में 6 जुलाई 2002 को उन्होंने अंतिम सांस ली।

- निधि अविनाश

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़