Madhavrao Scindia Birth Anniversary: पूर्व PM राजीव गांधी के पक्के दोस्त थे माधवराव सिंधिया, राजघराने रखते थे ताल्लुक

Madhavrao Scindia
Prabhasakshi

माधव राव सिंधिया भारतीय राजनीति के करिश्माई नेताओं में से एक थे। आज ही के दिन यानी की 10 मार्च को माधवराव सिंधिया का जन्म हुआ था। गांधी औऱ सिंधिया परिवार की दोस्ती करीब 2 पीढ़ियों तक चली।

माधव राव सिंधिया भारतीय राजनीति के करिश्माई नेताओं में से एक थे। आज ही के दिन यानी की 10 मार्च को माधवराव सिंधिया का जन्म हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे माधवराव सिंधिया के दोस्ती के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं। गांधी औऱ सिंधिया परिवार की दोस्ती करीब 2 पीढ़ियों तक चली। जिस तरह की दोस्ती राजीव गांधी और माधवराव सिंधिया के बीच था, वैसी ही दोस्ती करीब 16 सालों तक राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रही। हांलाकि राहुल और ज्योतिरादित्य की दोस्ती उतनी सफल नहीं हो सकी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर माधवराव सिंधिया के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

ग्वालियर के सिंधिया परिवार में 10 मार्च 1945 को माधवराव सिंधिया का राजपरिवार में जन्म हुआ था। वह ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया और जीवाजी राव सिंधिया के बेटे थे। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा सिंधिया स्कूल से पूरी की। वहीं आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। 

इसे भी पढ़ें: Govind Ballabh Pant Death Anniversary: गोविंद बल्लभ पंत ने किया था आधुनिक UP का निर्माण, ऐसे बनाई राजनीति में अपनी जगह

गहरी थी दोनों की दोस्ती

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते थे। साथ ही उन्होंने मध्यप्रदेश को कई सौगात भी दी। पूर्व पीएम राजीव गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की दोस्ती काफी गहरी थी। साथ ही दोनों एक-दूसरे के सलाह के बिना कोई राजनैतिक फैसला नहीं लेते थे। जिसके कारण अन्य नेताओं को हमेशा माधवराव से जलन होती थी। लेकिन शीर्ष नेतृत्व का साथ होने के कारण कोई माधवराव सिंधिया का कुछ नहीं कर सका। राजनीतिक दिग्गजों की मानें तो माधवराव सिंधिया जैसे नेता सदियों में एक बार जन्म लेते हैं। वहीं सिंधिया की कार्यशैली उनको अधिक लोकप्रिय बनाती रही।

राजीव और माधव की जुगलबंदी ने अटल को दी मात

दरअसल, साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर से लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा भर दिया था। उस दौरान सिंधिया और वाजपेई परिवार में भी काफी ज्यादा नजदीकियां थीं। जब माधवराव सिंधिया से अटल बिहारी वाजपेई ने पूछा कि वह ग्वालियर से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। तब सिंधिया ने वाजपेई को रणनीति के तहत इंकार कर दिया। इसके बाद राजीव और सिंधिया ने वहां से एक डमी उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतार दिया।

जिसके खिलाफ पूर्व पीएम वाजपेई ने भी ग्वालियर से पर्चा भर दिया। लेकिन एन मौके पर माधवराव सिंधिया ने निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। जिसके बाद सिंधिया और अटल बिहारी वाजपेई के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। लेकिन 1,75,000 वोटों से सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेयी को हरा दिया। जिसके बाद सिंधिया पूर्व पीएम राजीव गांधी के और भी करीब आ गए। इस घटना के बाद अटल बिहारी वाजपेई ने फिर कभी ग्वालियर से चुनाव लड़ने की नहीं सोचा। इसके बाद वाजपेई एमपी के विदिशा, यूपी के लखनऊ सहित अन्य लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ते रहे।

मृत्यु

ग्वालियर के महाराजा और कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया की 30 सितंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में प्लेन क्रैश में मौत गई। बताया गया था कि यह प्लेन दुर्घटना अधिक बारिश के कारण हुई थी।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़