Govind Ballabh Pant Death Anniversary: गोविंद बल्लभ पंत ने किया था आधुनिक UP का निर्माण, ऐसे बनाई राजनीति में अपनी जगह

यूपी की सियासत मंडल और कमंडल के भूचाल से 360 डिग्री घूम गई। वैसे तो यूपी की राजनीति और उसके निर्माण में कई शख्सियतों और नेताओं का हाथ रहा, लेकिन आधुनिक यूपी के निर्माण का श्रेय गोविंद बल्लभ पंत को जाता है।
उत्तर प्रदेश में एक दौर ऐसा भी था, कांग्रेस पार्टी का एकछत्र राज्य हुआ करता था। लेकिन यूपी की सियासत मंडल और कमंडल के भूचाल से 360 डिग्री घूम गई। वैसे तो यूपी की राजनीति और उसके निर्माण में कई शख्सियतों और नेताओं का हाथ रहा, लेकिन आधुनिक यूपी के निर्माण का श्रेय गोविंद बल्लभ पंत को जाता है। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 07 मार्च को गोविंद बल्लभ पंत का निधन हो गया था। वह यूपी के पहले सीएम और देश के दूसरे गृहमंत्री भी थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गोविंद बल्लभ पंत के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में 10 सितंबर 1887 को गोविंद बल्लभ पंत का जन्म हुआ था। शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर काशीपुर में वकालत का कार्य करने लगे। पंत की गिनती अच्छे वकीलों में की जाती थी। सभी इनकी वकालत का लोहा मानते थे। उनके बारे में कहा जाता था कि वह ऐसे वकील हैं, जो सिर्फ सच का साथ देते हैं और सच्चे केस लड़ते हैं।
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जेल यात्रा
इतना ही नहीं पंत को कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी। महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह' की तर्ज पर गोविंद बल्लभ पंत ने एक ऐसा ही आंदोलन शुरू किया था। जिसके कारण ब्रिटिश सेना ने उन्हें जेल भेज दिया था। इसके अलावा उन्होंने साइमन कमीशन का भी बहिष्कार किया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भी उनको जेल में रहना पड़ा। कांग्रेस कमिटी के अन्य सदस्यों के साथ मार्च 1945 तक वह अहमदनगर किले में तीन साल तक रहे।
यूपी के मुख्यमंत्री
देश की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। बताया जाता है कि सीएम कार्यकाल के दौरान पंत ने सरकारी बैठक की। उसमें सभी अधिकारियों के लिए चाय-नाश्ते का इंतजाम किया। जिसके बाद उनके पास चाय-नाश्ते का बिल पास होने के लिए आया, तो उस हिसाब में 6 रुपए 12 आने लिखा था। लेकिन इस बिल को सीएम ने पास करने से मना कर दिया। जब उनसे इसका कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सरकारी बैठकों में सरकारी खर्चे से सिर्फ चाय मगंवाए जाने का नियम है। ऐसे में चाय के साथ नाश्ते का पैसा नाश्ता मंगवाने वाले को खुद देना चाहिए। चाय का बिल पास करने का नियम है, इसलिए चाय का बिल पास हो सकता है।
मृत्यु
स्वतंत्रता सेनानी से राजनेता बने गोविंद बल्लभ पंत का दिल का दौरा पड़ने से 07 मार्च 1961 को निधन हो गया। उस दौरान वह भारत सरकार में केन्द्रीय गृह मन्त्री थे।
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