Nanasaheb Peshwa Death Anniversary: अद्वितीय वीरता के प्रतीक थे नाना साहेब पेशवा, मराठा साम्राज्य का लिखा था स्वर्णिम अध्याय

बता दें कि बालाजी ने पेशवा शासन को संगठित करने का काम किया और स्थानीय सरदारों के साथ संगठन बनाकर मराठा प्रशासन को मजबूत करने का काम किया। पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में मराठों को अहमद शाह अब्दाली की अफगान सेना से बड़ी हार मिली।
मराठा साम्राज्य का इतिहास वीर गाथाओं से भरा पड़ा है। इन्हीं में से एक बालाजी बाजीराव हैं, जिनको नाना साहेब पेशवा के नाम से भी जाना जाता है। नाना साहेब पेशवा ने अपने 21 साल के शासनकाल में मराठा साम्राज्य को दक्षिण से तमिलनाडु और उत्तर से पंजाब तक फैलाया था और भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखा। उन्होंने अपने कुशल प्रशासक, दूरदर्शी कूटनीतिज्ञ और साहसी योद्धा के तौर पर मराठा शक्ति को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर नाना साहेब पेशवा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
बालाजी बाजीराव यानी की नाना साहेब पेशना का जन्म 08 दिसंबर 1720 को हुआ था। पिता पेशवा बाजीवार प्रथम की मृत्यु के बाद 1740 में नाना साहेब को पेशवा नियुक्त किया गया था। बालाजी ने अपने 21 साल के शासनकाल में मराठा शक्ति को राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, मालवा और बंगाल तक मजबूत किया था। फिर मुगल साम्राज्य की कमजोरी का लाभ उठाकर नाना साहेब पेशवा ने मराठाओं को उत्तर भारत को प्रमुख शक्ति बनाया।
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बता दें कि बालाजी ने पेशवा शासन को संगठित करने का काम किया और स्थानीय सरदारों के साथ संगठन बनाकर मराठा प्रशासन को मजबूत करने का काम किया। पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में मराठों को अहमद शाह अब्दाली की अफगान सेना से बड़ी हार मिली। इस हार ने मराठा साम्राज्य को कमजोर किया, इससे बालाजी बाजीराव को गहरा आघात पहुंचाया। वह इस हार को बर्दाश्त नहीं कर सके और शारीरिक और मानसिक रूप से टूट गए।
मृत्यु
इस हार से उनकी तबियत बहुत ज्यादा खराब रहने लगी और 23 जून 1761 को पूणे में उनका निधन हो गया।
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