Rani Lakshmibai Death Anniversary: सौंदर्य और साहस की मिसाल थीं रानी लक्ष्मीबाई, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थी आजादी की जंग

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का 18 जून को निधन हो गया था। अपने जीवन की आखिरी लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने वीरता की ऐसी अनोखी कहानी लिखी, जो सदियों तक याद किया जाता रहेगा। उनकी वीर गाथा इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
आज यानी की 18 जून को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का निधन हो गया था। हर साल इस दिन झांसी की रानी की वीरता को नमन किया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ उनकी शौर्य गाथा को भी याद किया जाता है। झांसी की रानी ने अंग्रेजों को धूल चटाने का काम किया था। क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत ने झांसी को अपने अधिकार में लेने का प्रयास किया था। वहीं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र गोद लिया था, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने उसको झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
बनारस में 19 नवंबर 1828 में लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था। प्यार से लोग उनको मनु कहा जाता था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और मां भागीरथी सप्रे था। जब मनु 4 साल की थीं, तो उनकी मां की मृत्यु हो गई और उनके पिता बिठूर जिले के पेशवा बाजी राव द्वितीय के लिए काम करते थे। उन्होंने लक्ष्मीबाई का पालन-पोषण किया। इस दौरान मनु ने तीरंदाजी, आत्मरक्षा, घुड़सवारी और निशानेबाजी की ट्रेनिंग ली।
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परिवार
महज 14 साल की उम्र में साल 1842 में मनु की शादी झांसी के राजा गंगाधर राव नेवलकर से हुई। शादी के बाद मनु का नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। उस दौरान में शादी के बाद लड़कियों का नाम बदला जाता था। विवाह के बाद लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन उसकी मृत्यु सिर्फ 4 महीने में हो गई। वहीं बाद में उनके पति और झांसी के राजा गंगाधर राव नेवलकर का भी निधन हो गया। पति और बेटे को खोने के बाद लक्ष्मीबाई ने खुद अपनी प्रजा और साम्राज्य की रक्षा करने की ठान ली।
झांसी पर कब्जा करने की साजिश
उस दौरान ब्रिटिश इंडिया कंपनी के वायसराय डलहौजी ने झांसी पर कब्जे का यह समय बेहतर समझा। क्योंकि झांसी की रक्षा के लिए कोई नहीं था। वायसराय ने लक्ष्मीबाई पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह झांसी को अंग्रेजी हुकूमत के हवाले कर दिया। तब रानी ने अपने रिश्तेदार के एक बच्चे को अपना दत्तक पुत्र बनाया, जिनका नाम दामोदर था।
अंग्रेजों और झांसी के बीच युद्ध
अंग्रेजी हुकूमत ने दामोदर को झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था। ब्रिटिश सरकार ने झांसी का किला उनके हवाले करने को कहा। अंग्रेजों में झांसी के साम्राज्य पर कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन लक्ष्मीबाई ने 14000 बागियों की एक बड़ी फौज तैयार की। फिर 23 मार्च 1858 को ब्रिटिश फौज ने झांसी पर आक्रमण कर दिया। वहीं 30 मार्च को बमबारी करके अंग्रेजों ने किले की दीवार में सेंध लगाने में सफल हुए। लक्ष्मीबाई 17 जून 1858 को आखिरी जंग के लिए निकली। फिर 18 जून 1858 को लक्ष्मीबाई को एक सैनिक ने गोली मार दी। फिर एक सैनिक ने तलवार से वार किया, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।
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