Neerja Bhanot Birth Anniversary: अशोक चक्र पाने वाली पहली भारतीय महिला थीं नीरजा भनोट, ऐसे बनीं 'हिरोइन ऑफ हाइजैक'

Neerja Bhanot
Creative Commons licenses

आतंकियों के सामने साहस के खड़े होने का जज्बा एक साधारण महिला में आ जाए, तो वह महिला साधारण नहीं कहलाती है। ऐसी ही एक महिला नीरजा भनोट थीं, जिन्होंने प्लेन हाइजैक होने पर आतंकियों का सामना किया और सैकड़ों जिंदगियां भी बचाईं।

आज ही के दिन यानी की 07 सितंबर को नीरजा भनोट का जन्म हुआ था। नीरजा भनोट ने अपनी जान की परवाह किए बिना हथियारबंद आतंकियों का न सिर्फ सामना किया, बल्कि सैकड़ों जिंदगियों को बचाने का काम किया था। नीरजा भनोट कोई सैन्य कर्मचारी नहीं बल्कि एक फ्लाइट अटेंडेंट थीं। नीरजा भनोट के जीवन को बड़े पर्दे पर फिल्म के रूप में भी दिखाया जा चुका है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर नीरजा भनोट के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

चंडीगढ़ में 07 सितंबर 1963 को पंजाबी परिवार में नीरजा भनोट का जन्म हुआ था। उनका बचपन चंडीगढ़ में बीता और सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरूआती शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की।

शादी और तलाक

नीरजा भनोट एक खुले ख्यालों वाली महिला थीं। उनको मॉडलिंग का शौक था। वहीं 1985 में नीरजा की शादी एक बिजनेसमैन से कराई गई थी। लेकिन पति संग रिश्ते ठीक न होने की वजह से वह 2 महीने बाद ही पति से अलग हो गईं। इसके बाद नीरजा ने मॉडलिंग शुरू की और करीब 22 विज्ञापनों में काम किया।

इसे भी पढ़ें: Sarvepalli Radhakrishnan Birth Anniversary: भारत के महान दार्शनिक थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन, ऐसे बने देश के दूसरे राष्ट्रपति

करियर

नीरजा को बचपन से प्लेन में बैठने और आकाश में उड़ने का शौक था। मॉडलिंग का शौक पूरा करने के बाद नीरजा भनोट ने एयरलाइंस ज्वाइन कर लीं। वहीं वह ट्रेनिंग के लिए फ्लोरिडा और मयामी भी गईं। अपने जन्मदिन से दो दिन पहले यानी की 05 सितंबर 1986 को मुंबई से अमेरिका जाने वाली फ्लाइट में नीरजा भनोट बतौर सीनियर एटेंडेंट शामिल थीं।

इस दौरान कराची से उड़ान भरने से पहले चार आतंकियों ने प्लेन को हाइजैक कर लिया। आतंकियों ने यात्रियों को गन प्वाइंट पर ले लिया। लेकिन नीरजा ने अपनी हिम्मत और सूझबूझ के चलते प्लेन का दरवाजा खोल दिया और सभी यात्रियों की जान बचाने में सफल रहीं।

मृत्यु

जब विमान से नीरजा बाहर आने वाली थीं, तभी उनको एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जिस पर उन्होंने उस बच्चे की जान बचाई, लेकिन तभी उनके सामने एक आतंकी आ गया और 05 सितंबर 1986 को हुई इस आंतकी फायरिंग में नीरजा भनोट की मृत्यु हो गई। नीरजा को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरान्त साल 1987 में उनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

All the updates here:

अन्य न्यूज़