Rajiv Gandhi Death Anniversary: देश के विकास के लिए राजीव गांधी ने लिए थे कई अहम फैसले, ऐसे कर दी गई थी हत्या

Rajiv Gandhi
Prabhasakshi

देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई को आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी। राजीव गांधी कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे। लेकिन इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी ने देश के पीएम पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

राजीव गांधी भारत के पहले युवा प्रधानमंत्री थे। वह 40 साल की उम्र में देश के प्रधानमंत्री बने थे। इन्दिरा गांधी की मृत्यु के बाद साल 1984 में देश की जनता ने राजीव गांधी को भारी बहुमत से विजय दिलाया था। हालांकि राजीव ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने आजादी के उस संघर्ष को नहीं देखा, जिसमें उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया था। राजीव गांधी का जन्म 20 मई को हुई था। वह काफी सरल स्वभाव के धैर्यवान व्यक्ति थे। आइए जानते हुए उनकी बर्थ एनिवर्सिरी के मौके पर राजीव गांधी के जीवन से जु़ड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

मुंबई में 20 अगस्त 1944 को राजीव गांधी का जन्म हुआ था। जब राजीव गांधी का जन्म हुआ था तो उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू अपनी 9वीं और आखिरी जेल यात्रा पर थे। वहीं इंदिरा गांधी 15 महीने पहले जेल से मुक्त हुई थीं। राजीव गांधी ने अपने बचपन का अधिकतर समय अपने दादा के साथ तीन मूर्ति हाउस में बिताया। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए। लेकिन कुछ समय बाद उनका एडमिशन हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में करवाया गया। 

शुरूआती शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए। लेकिन इसके बाद वह लंदन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए। जहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान किसी को भी यह नहीं पता चला कि वह भारत के प्रधानमंत्री के बेटे हैं। कई बार अन्य छात्रों की तरह उन्हें भी पैसों की आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता था। अपना खर्चा खुद निकालने के लिए वह कॉलेज की छुट्टियों में फल चुनने, आइस्क्रीम बेचने, ट्रक लोड करवाने तथा बेकरी में नाइट शिफ्ट का भी काम किया करते थे।

शादी

कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात एन्टोनिया माईनो से हुई और जल्द ही वह दोनों प्यार में पड़ गए। जिसके बाद राजीव ने साल 1968 में एन्टोनिया माईनो से विवाह कर लिया। बता दें कि एन्टोनिया माईनो के पास इटली की नागरिकता थी। शादी के बाद एन्टोनिया ने अपना नाम बदलकर सोनिया गांधी रख लिया। राजीव और सोनिया के दो बच्चे राहुल गांधी व प्रियंका गांधी हैं।

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राजनीतिक कॅरियर

राजनैतिक परिवार में जन्मे राजीव गांधी को राजनीतियों और कूटनीतिज्ञों की आवाजाही को करीब से समझने का मौका मिला। हालांकि उन्होंने कभी भी राजनीति में आने के लिए नहीं सोचा था। लेकिन भाई संजय गांधी की मौत के बाद मां इंदिरा गांधी को सहारा देने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा। फिर इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी पूर्ण रूप से भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गए थे। राजनीति में आने से पहले वह इंडियन एयरलाइंस में एक पायलट थे।

राजीव गांधी ऐसे युवा प्रधानमंत्री थे, जिनको समाज का हर वर्ग काफी पसंद करता था। राजीव गांधी को अपने पिता फिरोज गांधी से अपने काम को खुद से करने की प्रेरणा मिली थी। यही उनके राजनीतिक कुषलता का कारणभी था। साल 1984 में अक्टूबर का आखिरी दिन था। इस दौरान इंदिरा गांधी ने 2 महीने के अंदर आम चुनाव करवाने का मन बनाया हुआ था। वह एक इंटरव्यू के लिए सफदरजंग रोड स्थित अपने आवास से कार्यालय के ओर निकली थी। तभी सुरक्षाकर्मियों ने इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जिसके बाद उसी दिन शाम को इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी को पीएम पद की शपथ ग्रहण करवाई गई। 

हालांकि राजीव गांधी को सत्ता चलाने का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं था। लेकिन अपनी योग्यता के दम पर वह जल्द ही लोगों के चहेते बन गए। राजीव गांधी ने भारत में संचार क्रांति और कंप्यूटर जैसे विज्ञान की शुरूआत की। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया था। राजीव गांधी ने अपने शासन काल में कई अहम फैसले लिए थे। जिसमें श्रीलंका में शांति सेना भेजना,  असम, मिजोरम एवम पंजाब समझौता आदि शामिल था। वह युवा शक्ति को बढ़ावा देने का काम करते थे। क्योंकि उनका मानना था कि युवाओं से ही देश का विकास संभव है।

मृत्यु

श्रीलंका में हो रहे आतंकी मसलो को निपटाने के लिए भी राजीव गांधी ने कई अहम फैसले लिए थे। जिसके कारण उन पर आत्मघाती हमला किया था। बता दें कि 21 मई 1991 को श्रीपेरंबदुर में लिट्‍टे में जब राजीव गांधी चुनावी रैली करने गए थे। तभी एक महिला उनके पैर छूने के लिए राजीव गांधी के पास पहुंची। जैसे ही वह पैर छूने के लिए नीचे झुकी तभी उसकी कमर में बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया। इस दौरान राजीव गांधी समेत 16 लोगों की मौके पर मौत हो गई थी।

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