KB Hedgewar Death Anniversary: के बी हेडगेवार की बताई राह पर अग्रसर है RSS, अपने ढंग से लड़ी थी आजादी की लड़ाई

नागपुर के ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को डॉ हेडगेवार का जन्म हुआ था। उनकी शुरूआती पढ़ाई नागपुर नील सिटी हाईस्कूल में हुई। वहीं जब वह नागपुर के स्कूल में वंदेमातरम गाने की वजह से निकाल दिया गया था। इसके बाद वह पढ़ाई के लिए यवतमाल और पुणे भेजा गया।
आरएसएस की नींव रखने वाले डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का 21 जून को निधन हो गया था। कांग्रेस से भी मोहभंग होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नींव रखी थी। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नींव रखने वाले डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का 21 जून को निधन हो गया था। उनको स्कूल में वंदे मातरम गाने के कारण निकाल दिया गया था। वहीं देश की आजादी के संघर्ष के समय वह कांग्रेस में शामिल हुए और फिर उन्होंने कांग्रेसी पदाधिकारी के रूप में अपनी गिरफ्तारी दी। हालांकि उनका कांग्रेस से भी मोहभंग हो गया था। जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नींव रखी थी। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
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जन्म और शिक्षा
नागपुर के ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को डॉ हेडगेवार का जन्म हुआ था। उनकी शुरूआती पढ़ाई नागपुर नील सिटी हाईस्कूल में हुई। वहीं जब वह नागपुर के स्कूल में वंदेमातरम गाने की वजह से निकाल दिया गया था। इसके बाद वह पढ़ाई के लिए यवतमाल और पुणे भेजा गया। मैट्रिक पास करने के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एस मूंजू ने हेडगेवार को मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोलकाता भेजा।
कांग्रेस में सक्रिय हुए
जब कोलकाता में डॉ हेडगेवार डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे। इसी दौरान वहां पर वह देश के नामी क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति से जुड़ गए। साल 1915 में नागपुर लोटने पर वह कांग्रेस में सक्रिय हो गए। फिर कुछ समय बाद वह विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव भी बन गए। इस दौरान वह लगातार हिंदू महासभा में भी शामिल रहे।
गिरफ्तारी दी
जब साल 1920 में नागपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ, तो हेडगेवार ने कांग्रेस में पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता को लक्ष्य बनाने के बारे में प्रस्ताव पेश किया। जो तब तक पारित नहीं हुआ था। साल 1921 में कांग्रेस के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए और गिरफ्तारी दी और उनको एक साल की जेल हुई।
हिंदुत्व की राह पर चल पड़े
फिर भारत में शुरू हुए धार्मिक-राजनीतिक खिलावत आंदोलन के कारण हेडगेवार का कांग्रेस से मन खिन्न हो गया। साल 1923 में सांप्रदायिक दंगों में हेडगेवार की राह पूरी तरह हिंदुत्व की ओर चल पड़ी। वह हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एस मुंजे के संपर्क में शुरूआत से थे। मुंजे के अलावा हेडगेवार के व्यक्तित्व पर बाल गंगाधर तिलक और विनायक दामोदर सावरकर का अधिक प्रभाव था।
संघ की नींव
साल 1925 को हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने के लिए विजया दशमी के दिन डॉ हेडगेवार ने संघ की नींव रखी थी। हेडगेवार संघ के पहले सरसंघचालक बने थे। वह शुरू से ही संघ को सक्रिय राजनीति से दूर सिर्फ सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों तक सीमित रहे। डॉ हेडगेवार का मानना था कि संगठन का प्राथमिक काम हिंदुओं को एक धागे में पिरोकर एक ताकतवर समूह के रूप में विकसित करना है।
मृत्यु
वहीं 21 जून 1940 को डॉ हेडगेवार का निधन हो गया था।
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