Pablo Picasso Death Anniversary: बेहद प्रभावशाली कलाकारों में से एक थे स्पैनिश चित्रकार पाब्लो पिकासो, जानिए रोचक बातें

Pablo Picasso
Prabhasakshi

पाब्लो पिकासो 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली कलाकारों में से एक थे। आज ही के दिन यानी की 08 अप्रैल को पाब्लो पिकासो का निधन हो गया था। पिकासो की मृत्यु से कला जगत में एक युग का अंत हो गया।

पाब्लो पिकासो 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली कलाकारों में से एक थे। आज ही के दिन यानी की 08 अप्रैल को पाब्लो पिकासो का निधन हो गया था। पिकासो की मृत्यु से कला जगत में एक युग का अंत हो गया। वह 70 वर्षों से अधिक समय से कला का निर्माण कर रहे थे। कला जगत पर आज भी उनका प्रभाव देखने को मिलता है। बता दें कि स्पैनिश चित्रकार और मूर्तिकार पाब्लो पिकासो ने अपने जीवन में करीब 50,000 से अधिक कृतियां बनाई थीं। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर स्पैनिश चित्रकार और मूर्तिकार पाब्लो पिकासो के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।

जन्म और शिक्षा

स्पेन के मलागा में 25 अक्तूबर 1881 को पिकासो का जन्म हुआ था। यह एक लंबे काले इतिहास वाला शहर है। पिकासो के पिता कला विद्यालय में शिक्षक थे। इस कारण उनके घर में पेंटिंग का सामान था। वहीं पिकासो के पिता ने उनके अंदर की 'बाल प्रतिभा' के पहचाना और कम उम्र में ही अकादमिक ड्राइंग का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया। वहीं साल 1892 में मलागा स्कूल ऑफ़ आर्ट में पिकासो का एडमिशन ले लिया गया। नियमित पढ़ाई के बाद वह अपना खाली समय पेंटिंग और ड्राइंग में बिताया करते थे। इसके बाद पिकासो ने बार्सिलोना कला अकादमी और फिर मैड्रिड में प्रतिष्ठित सैन फर्नांडो अकादमी भाग लिया।

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पहली पेंटिंग

आपको बता दें कि पिकासो ने 'एल पिकाडोर अमरिलो' (द येलो बुलफाइटर) या 'एल पेक्वेनो पिकाडोर' (द लिटिल बुलफाइटर) नामक एक तेल चित्रकला थी। जो बुलफाइट की यात्रा से प्रेरित थी। उस दौरान पिकासो की उम्र महज 9 साल की थी। पिकासो ने अपने वयस्क जीवन में करीब 50,000 कलाकृतियां बनाई थीं। इसमें प्रिंट किताबों के रेखाचित्र और चीनी मिट्टी की चीजों के अलावा बहुत कुछ शामिल है।

पिकासो का सर्वोत्तम कार्य

क्यूबिस्ट पेंटिंग

पिकासो ने अमूर्त कला शैली- 'डेमोइसेल्स डी'विग्नन' के साथ बनाई। उनकी इस पेंटिंग ने कला इतिहास में क्रांति ला दी। पिकासो ने इसमें जिन नग्न महिलाओं का चित्रण किया था। उन्हें सिर्फ एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोणों से देखा जाता है।

साल 1937 में पिकासो ने दूसरी उत्कृष्ट कृति पर अपनी छाप छोड़ी। इस पेंटिंग में उन्होंने गुएर्निका के छोटे बास्क गांव पर नाजी कोंडोर सेना के हमले के तुरंत बाद की बनाई थी। इस विशाल कैनवास को पिकासो ने पेरिस में विश्व मेले में हमले के पीड़ितों को समर्पित किया था।

बता दें कि उनकी युद्ध-विरोधी पेंटिंग अधिनायकवाद के प्रतिरोध का एक रूप है। वह स्पेन तब तक नहीं वापस लौटना चाहते थे, जब तक फ्रांसिस्को फ्रेंको की तानाशाही समाप्त न हो जाए। 

मृत्यु

पिकासो अपने अंतिम समय तक चित्रकारी का काम करते रहे। वहीं 08 अप्रैल 1973 को 91 साल की उम्र में पाब्लो पिकासो की मृ्त्यु हो गई थी।

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