कल्पना चावला के घर में जब पसरा था मातम, जानिए उनकी ज़िंदगी के खास पहलू

special story on kalpana chawla

15 साल पहले कल्पना का स्पेस शटल धरती के कक्षा में प्रवेश करते समय भस्म हो गया था और कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों का देहांत हो गया

नयी दिल्ली। 15 साल पहले कल्पना का स्पेस शटल धरती के कक्षा में प्रवेश करते समय भस्म हो गया था और कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों का देहांत हो गया। कल्पना बनारसी लाल चावला अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की प्रथम महिला थी और भारतीय मूल की दूसरी नागरिक। उन्होंने अपने शौर्य और बहादुरी से भारत का नाम रौशन किया है और जाने के बाद भी देश के नागरिकों के दिलों पर एक छाप छोड़ कर गयी। आज, उनकी पुण्यतिथि के दिन आवश्यक है की हम उनको याद करें और भारत की वीर पुत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल (जो कि अब हरयाणा में है) नामक पंजाब प्रान्त के एक छोटे से शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माँ का नाम संज्योती चावला था। प्रारंभिक शिक्षा करनाल में खत्म करके कल्पना इंजीनिरिंग करने चंडीगढ़ चली आई। 1982 में अपना स्नातक अभियांत्रिकी से प्राप्त कर, कल्पना अमेरिका चली गयी और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की। उनका विवाह अमेरिकी मूल के जीन पियर हैरीन्सोंन से हुआ। अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले कल्पना नासा की वैज्ञानिक भी रहीं।

 

उनका पहला अन्तरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह-अन्तरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अन्तरिक्ष शटल कोलंबिया की उडान एसटीएस-87 से शुरू हुआ। कल्पना अन्तरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। सन 2000 में उन्हें एसटीएस-107 में अपनी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया परन्तु तकनीकी समस्याओं के कारण यह अभियान लगातार पीछे सरकता गया और विभिन्न कार्यो क नियोजित समय में टकराव होता रहा। आखिरकार 16 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़कर इस मिशन का आरम्भ किया। 

 

 

31 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट अंतरिक्ष गुजारने के बाद, 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया। किन्ही कारणों से यह यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही जलने लगा और टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अन्तरिक्ष यान आग की लपटों में समा गया और उसमे सवार सातो यात्रियों का निधन हो गया। महज़ 41 वर्ष की आयु में कल्पना चावला हमे छोड़ कर चली गयीं। परन्तु आज भी वह सभी भारतियों के मन मस्तिष्क में जीवित हैं, और हमेशा रहेंगी। कल्पना चावला ने भारत का नाम रोशन किया और सभी के लिए एक मिसाल कायम करी। एक छोटे से शहर से आने वाली कल्पना ने साबित कर दिया की यदि इरादो में दम हो तो किसी भी ऊँचाई को छुआ जा सकता है ।आज भी कल्पना देश के बचों के लिए एक आदर्श हैं। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़