Vilasrao Deshmukh Death Anniversary: महाराष्ट्र की राजनीति में बेमिसाल शख्सियत थे विलासराव देशमुख, ऐसे शुरू किया राजनीतिक सफर

आज ही के दिन यानी की 14 अगस्त को कांग्रेस के कद्दावर नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का निधन हो गया था। पंचायती चुनाव से कॅरियर की शुरूआत करने वाले देशमुख पंच बने और फिर सरपंच बने थे।
राजनीति की राह पर चलना जैसे कोयले भरी कोठरी में जाने के बराबर है। राजनीति भले ही आपको एक कद्दावर नेता और दमदार व्यकत्तिव वाला व्यक्ति बना सकती है। लेकिन राजनीति विवादों में लपेटना नहीं भूलती है। ऐसी ही एक शख्सियत और कांग्रेस के कद्दावर नेता विलासराव देशमुख थे। आज ही के दिन यानी की 14 अगस्त को विलासराव देशमुख का निधन हो गया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों वाली लिस्ट में शामिल विलास राव देशमुख की आज जयंती है।
जन्म और शिक्षा
लातूर जिले के बाभालगांव के एक मराठा परिवार में 26 मई 1945 को विलासराव देशमुख का जन्म हुआ था। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद पुणे के इंडियन लॉ सोसाइटी कॉलेज से कानून की शिक्षा हासिल की थी। पढ़ाई के साथ ही देशमुख समाज-सेवा भी करते रहे। इसी तरह वह राजनीति की तरफ अपने कदम बढ़ाते रहे।
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राजनीतिक सफर
देशमुख ने राजनीति में शुरूआत बेहद निचले स्तर से की थी। पंचायती चुनाव से कॅरियर की शुरूआत करने वाले देशमुख पंच बने और फिर सरपंच बने। इसके बाद देशमुख जिला परिषद के सदस्य और लातूर तालुका पंचायत समिति के उपाध्यक्ष भी बने। फिर विलासराव युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे। देशमुख ने कार्यकाल के दौरान युवा कांग्रेस के पंचसूत्रीय कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया।
साल 1980 से 1995 तक विलासराव देशमुख लगातार तीन चुनावों में विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद विभिन्न मंत्रालयों में बतौर मंत्री कार्यरत रहे। इस दौरान विलासराव देशमुख ने कृषि, मतस्य, पर्यटन, उद्योग, गृह, ग्रामीण विकास, परिवहन, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, युवा मामले, खेल समेत अनेक पदों पर मंत्री के तौर पर कार्य किया था।
महाराष्ट्र के सीएम
साल 1995 में विलासराव चुनाव हार गए, लेकिन साल 1999 के चुनावों में देशमुख की विधानसभा में फिर से वापसी हुई। इसी साल वह पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा की नियति ने विलासराव देशमुख को भी नहीं बख्शा। अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें सीएम की कुर्सी से उतरना पड़ा और उनके स्थान पर सुशील कुमार शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं अगले चुनावों में कांग्रेस को अपार सफलता मिली। जिसके बाद उन्हें एक बार फिर सीएम बनाया गया। इस दौरान वह पहली बार 18 अक्टूबर 1999 से 16 जनवरी 2003 तक मुख्यमंत्री रहे। वहीं बतौर सीएम उनका दूसरा कार्यकाल 7 सितंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक रहा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी रहे शामिल
सीएम पद से इस्तीफे के बाद विलासराव देशमुख केंद्रीय राजनीति की ओर बढ़े। इसके बाद वह राज्यसभा सदस्य बनें। इस दौरान उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई। देशमुख उद्योग व सार्वजनिक उद्यम मंत्री, भू-विज्ञान मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, विज्ञान और तकनीक मंत्री के पद पर काम किया। इसके अलावा देशमुख मुंबई क्रिकेट एशोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।
विवाद ने नहीं छोड़ा पीछा
मुंबई में 26/11 हमले के बाद विलासराव देशमुख अपने बेटे रितेश देशमुख और फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा के साथ ताज होटल का मुआयना करने पहुंचे थे। इस पर विपक्ष ने देशमुख की जबरदस्त आलोचना की थी। विपक्ष का कहना था कि विलासराव देशमुख अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा को ताज होटल ले गए थे। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद देशमुख इस्तीफा देना पड़ा था।
सुभाष घई को दी जमीन
फिल्मकार सुभाष घई को फिल्म संस्थान बनाने के लिए मुख्यमंत्री रहते हुए विलासराव देशमुख ने सरकार की तरफ से 20 एकड़ की जमीन मुहैया कराई थी। साल 2012 में देशमुख के इस फैसले को बंबई हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया और घई को जमीन लौटाने का आदेश दिया गया था।
मौत
बता दें कि लीवर कैंसर से जूझने के बाद चेन्नई के एक अस्पताल में 67 वर्षीय देशमुख का 14 अगस्त 2012 को निधन हो गया था। वहीं बाभलगांव में 15 अगस्त को विलासराव देशमुख के अंतिम संस्कार में लाखों लोग शामिल हुए थे। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे।
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