कुदरत के हाथों इन दिनों पापों की सजा भुगत रहे चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा Detention Center क्यों बनाया

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भारतीय सेना के वीर जवानों ने चीनी सैनिकों की मरम्मत की थी तब भी चीन ने दुनिया को सही आंकड़ा नहीं बताया था कि उसके कितने सैनिक मारे गये और अब जब वह सबसे भीषण बारिश से मची तबाही का सामना कर रहा है तो कह रहा है कि कुछ नहीं सब ठीक है बस 35 लोग मरे हैं।

चीन पर इस समय कुदरत का कहर जमकर टूट रहा है लेकिन इसके बावजूद वह अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लोकतंत्र को कुचलने और मानवाधिकारों को दबाने के उसके प्रयास लगातार जारी हैं। जनता भले त्राहिमाम करे लेकिन चीन के तानाशाहों को जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा है। इस समय वैसे तो दुनिया के कई हिस्सों में भारी वर्षा के चलते भीषण बाढ़ के हालात हैं लेकिन चीन में 1,000 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे भारी बारिश हुई है जिससे करीब 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं लेकिन ड्रैगन के झूठ का आलम देखिये कि कह रहा है कि मात्र 35 लोगों की ही मृत्यु हुई है। अपने लोगों की मौत के आंकड़े कम बताना चीन की पुरानी आदत है। दुनियाभर को कोरोना देने वाले और विश्व की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन का दावा है कि उसके यहां कोरोना संक्रमण से 5 हजार से भी कम मौतें हुईं यही नहीं जब गलवान घाटी में भारतीय सेना के वीर जवानों ने चीनी सैनिकों की मरम्मत की थी तब भी चीन ने दुनिया को सही आंकड़ा नहीं बताया था कि उसके कितने सैनिक मारे गये और अब जब वह सबसे भीषण बारिश से मची तबाही का सामना कर रहा है तो कह रहा है कि कुछ नहीं सब ठीक है बस 35 लोग मरे हैं।

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चीन में हर जगह दिख रही तबाही

चीन में प्रांतीय आपातकालीन प्रबंधन विभाग ने बताया है कि मूसलाधार बारिश से हेनान प्रांत में करीब 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और कुल 3,76,000 स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अस्पतालों समेत अनेक जरूरी इमारतों में बिजली नहीं होने से संकट और बढ़ गया है। अधिकारी उन अस्पतालों से मरीजों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं जहां बाढ़ का पानी घुस गया है। बाढ़ के कारण हेनान में अनेक अस्पताल प्रभावित हुए हैं और उनके भीतर मरीज, उनके परिजन तथा चिकित्साकर्मी फंसे हुए हैं। फुवाई अस्पताल में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। बचावकर्मियों ने मरीजों, उनके परिजनों और चिकित्साकर्मियों को अन्य स्थानों पर ले जाने की शुरुआत की। सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार भारी बारिश से 2,15,200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फसलों को नुकसान हुआ है। इससे करीब 1.22 अरब युआन (लगभग 18.86 करोड़ अमेरिकी डॉलर) का सीधा आर्थिक नुकसान हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश का ऐसा कहर दुर्लभ ही देखने को मिलता है। भारी बारिश के कारण उत्पन्न हुई स्थिति से 1.26 करोड़ की आबादी वाली प्रांतीय राजधानी झेंगझोऊ में सार्वजनिक स्थानों और ‘सबवे टनल’ में पानी भर गया है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने एक नदी में पानी के बढ़ते स्तर के बीच एक क्षतिग्रस्त बांध को विस्फोट से उड़ा दिया ताकि जमा पानी को दूसरी दिशा में मोड़ा जा सके।

जनता फँसी है शासक मस्त हैं

चीन के सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो में नजर आ रहा है कि ट्रेन में फंसे यात्रियों के गले तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है और दहशत में आए यात्री हैंडलबार पकड़कर मदद का इंतजार कर रहे हैं। आधिकारिक मीडिया की ओर से जारी वीडियो में बचावकर्मी सबवे सुरंगों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालते नजर आ रहे हैं। कई गाड़ियों के बह जाने और लोगों के बारिश के कारण सड़क पर बने गड्ढों में डूबने के भी वीडियो सामने आए हैं। बारिश का पानी शहर की ‘लाइन फाइव’ की सबवे सुरंग में चला गया, जिससे एक ट्रेन में कई यात्री फंस गए। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर के अनुसार, शी ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तैनाती का आदेश दिया और कहा कि सभी स्तर के अधिकारी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें क्योंकि झेंगझोऊ शहर में बाढ़ की स्थिति बिगड़ती जा रही है। प्रांतीय राजधानी झेंगझोऊ में कई जगह पानी भर जाने के कारण शहर में यातायात ठप पड़ गया है। 80 से अधिक बसों की सेवाएं निलंबित करनी पड़ीं और 100 से अधिक के मार्ग बदले गए और ‘सबवे’ सेवांए भी अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं। खबर में बताया गया कि पुलिस अधिकारी, दमकल कर्मी और अन्य स्थानीय उप जिला कर्मी मौके पर बचाव कार्य में जुटे हैं। ‘सबवे’ में पानी कम हो रहा है और यात्री फिलहाल सुरक्षित हैं। झेंग्झोऊदोंग रेलवे स्टेशन पर 160 से अधिक ट्रेनें रोकी गईं। झेंगझोऊ के हवाई अड्डे पर आने-जाने वाली 260 उड़ानें रद्द की गई हैं। आंधी तूफान से प्रभावित शहर में कुछ स्थानों पर बिजली और पेयजल सेवाएं भी बंद हैं। राष्ट्रपति शी ने सभी स्तर के प्राधिकारियों को राहत बलों को तैनात करने, प्रभावितों को आवास मुहैया कराने, आपदाओं को रोकने और जान तथा माल का नुकसान कम से कम रखने का आदेश दिया है।

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दुनिया का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर बना लिया चीन ने

आइये अब आपको चीन की एक नयी कारगुजारी से अवगत कराते हैं। चीन के ही सबसे बड़े नहीं संभवत: दुनिया के सबसे बड़े निरोध केंद्र यानि डिटेंशन सेंटर में 10,000 लोगों को रखने की जगह बनाई गई है और जरूरत पड़ने पर इससे भी ज्यादा लोगों को यहां रखा जा सकता है। एक समाचार एजेंसी के पत्रकारों को चीन के सुदूर पश्चिम शिनजियांग क्षेत्र में सरकारी दौरे के दौरान असाधारण पहुंच प्रदान की गई जहां उन्होंने इस निरोध केंद्र के कुछ हिस्सों को देखा। करीब 220 एकड़ में फैला हुआ उरुमकी नंबर तीन निरोध केंद्र वेटिकन सिटी के क्षेत्रफल से दोगुना है। इसके सामने लगे एक संकेत बोर्ड पर इसकी पहचान मुकदमे से पहले के निरोध केंद्र के रूप में की गई है। चीनी अधिकारियों ने कैदियों की संख्या बताने से इनकार करते हुए कहा कि संख्या अलग-अलग हो सकती है। लेकिन दौरा करते वक्त उपग्रह से ली गई तस्वीरों और देखे गए प्रकोष्ठों एवं बेंचों के आधार पर कहा जा सकता है कि इसमें 10,000 से ज्यादा लोगों को रखा जा सकता है।

यह स्थान दिखाता है कि चीन ने अब भी उइगरों और अन्य अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों को निरोध केंद्र में रखा हुआ है और उन्हें कैद रखने की योजना है। उपग्रह से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि 2019 में दाबनचेंग निरोध केंद्र में लगभग एक मील लंबी नई इमारतों को जोड़ा गया था। शिनजियांग के मूल निवासी कुछ चरमपंथी उइगरों द्वारा चाकू मारने और बमबारी की कई घटनाओं के बाद चीन ने पिछले चार वर्षों में एक लाख या अधिक अल्पसंख्यकों को निरोध केंद्र में रखने के अपने व्यापक प्रयास को "आतंक के खिलाफ युद्ध" के रूप में वर्णित किया है। इसके सबसे विवादास्पद पहलुओं में तथाकथित व्यावसायिक "प्रशिक्षण केंद्र" थे- जिन्हें पूर्व बंदियों ने कांटेदार तार और सशस्त्र गार्डों से घिरे क्रूर नजरबंदी शिविरों के रूप में वर्णित किया था। चीन ने पहले इनके अस्तित्व से इनकार किया था और बाद में भारी अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद, 2019 में कहा था कि वहां रखे गए सभी लोग “स्नातक” हो गए हैं।

बहरहाल दाबनचेंग में एजेंसी का दौरा, उपग्रह से ली गई तस्वीरों और विशेषज्ञों तथा पूर्व बंदियों के साथ साक्षात्कार दिखाते हैं कि कई “प्रशिक्षण केंद्र” भले ही बंद हो गए हों लेकिन इसके जैसे कुछ केंद्रों को जेलों या मुकदमा पूर्व निरोध केंद्रों में परिवर्तित कर दिया गया। इसके अलावा कई नये केंद्रों का भी निर्माण किया गया है जिनमें दाबनचेंग में सड़क नंबर तीन से नीचे 85 एकड़ में बनाया गया एक नया निरोध केंद्र भी शामिल है। यह बदलाव अस्थायी एवं न्यायेतर "प्रशिक्षण केंद्रों" को जेलों की एक अधिक स्थायी प्रणाली और कानून के तहत मुकदमे से पूर्व निरोध केंद्रों में स्थानांतरित करने का प्रयास प्रतीत होता है। जहां, कुछ उइगरों को रिहा कर दिया गया है, वहीं अन्य को जेलों के इस नेटवर्क में शामिल कर लिया गया है। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि कई मासूम लोगों को विदेश जाने या धार्मिक सभाओं में शामिल होने जैसी चीजों के लिए अक्सर निरोध केंद्र में ढकेल दिया जाता है।

-नीरज कुमार दुबे

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