प्रधानमंत्री आवास: अंत्योदय की उपज

Pradhan Mantri Awas Yojana
Prabhasakshi
अशोक बजाज । Sep 24 2024 6:47PM

पं. दीनदयाल जी ने इस आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए ‘‘अंत्योदय’’ के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए कहा कि ‘‘हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले कुचैले, अनपढ़ लोग हमारे नारायण हैं, हमें इनकी पूजा करनी है, यह हमारा सामाजिक व मानव धर्म है।

महान विचारक एवं राजनीतिक चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय ने समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए 20 वी सदी में अंत्योदय के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था. उन्होंने जब महसूस किया कि देश में अमीरी व गरीबी के बीच की खाई दिनों दिन गहरी होती जा रही है। एक ओर जहां समाज में ऐसे लोग हैं जिसके पास बेशुमार धन संपदा है वहीं दूसरी ओर एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसकी कमाई सीमित है, उनके लिए अपनी दैनंदिनी की आवश्यकता की आपूर्ति करना कठिन और दुष्कर है। यह तबका आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है। इन्हें अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है। इनका अपना कोई आशियाना भी नहीं है। अंग्रेजी हुकूमत ने इस वर्ग का काफी आर्थिक शोषण किया। उस दौर में इन्हें ना ही अपने श्रम का उचित मूल्य मिलता था और ना ही सम्मानजनक जीने का अवसर। अतः ये जमीदारों व साहूकारों के चंगुल में फंस कर गरीबी, बेकारी व भुखमरी के शिकार हो गये। उन्हें अपने जीवन यापन के लिए बंधुआ मजदूरी भी करनी पड़ी। अमीरी व गरीबी की खाई के साये में सन् 1947 में आजाद भारत का जन्म हुआ लेकिन आज़ादी के बाद भी यह समस्या नासूर बनी रही। इस व्यवस्था से व्यथित पं. दीनदयाल ने कहा कि आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए आवश्यक है कि हमें आर्थिक रूप से कमजोर लोंगों के उत्थान की चिन्ता करनी चाहिए क्योंकि "अर्थ का अभाव और अर्थ का प्रभाव "दोनों समाज के लिए घातक है। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा कि "हमारे प्रयास और हमारी विकास की योजनाएं ऐसी हों कि समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति का विकास पहले हो। समाज के उपेक्षित व शोषित व्यक्ति को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर आर्थिक समानता स्थापित करने का काम अन्त्योदय के सिद्धांत से ही हो सकता है।

पं. दीनदयाल जी ने इस आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए ‘‘अंत्योदय’’ के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए कहा कि ‘‘हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले कुचैले, अनपढ़ लोग हमारे नारायण हैं, हमें इनकी पूजा करनी है, यह हमारा सामाजिक व मानव धर्म है। जिस दिन हम इनको पक्के सुंदर, स्वच्छ घर बनाकर देंगें, जिस दिन इनके बच्चों और स्त्रियों को शिक्षा और जीवन दर्शन का ज्ञान देंगें, जिस दिन हम इनके हाथ और पांव की बिवाईयों को भरेंगें और जिस दिन इनको उद्योंगों और धर्मो की शिक्षा देकर इनकी आय को ऊंचा उठा देंगें, उस दिन हमारा मातृभाव व्यक्त होगा।’’ उनका मत था कि हमारी नीतियां, योजनाएं व आर्थिक कार्यक्रम कमजोर लोगों को ऊपर लाने की होनी चाहिए ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें भी समाज के अन्य वर्ग के साथ बराबरी में खड़े होने का अवसर मिल सके।

इसे भी पढ़ें: योग एवं योग-निद्रा के चमत्कारी प्रभाव से वैज्ञानिक सहमत

आज़ादी के बाद बनी विभिन्न सरकारों ने अंत्योदय के सिद्धांत की अनदेखी की, परिणाम यह हुआ कि भारत में गरीबी बढ़ती ही गई। एक बार गरीबी हटाओ का नारा भी दिया गया लेकिन वह भी केवल नारा बन कर ही रह गया. लेकिन जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से "अंत्योदय" के सिद्धांत का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। देश में आज "अंत्योदय" के सिद्धांत से प्रेरित होकर अनेक जनकल्याणकारी योजनाएँ संचालित हो रही है। ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबका प्रयास’’ के मूलमंत्र के साथ सरकारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का लगातार प्रयास हो रहा है। मोदी सरकार ने सामान्य लोगों के आत्मगौरव और आत्मविश्वास को बढ़ाने तथा उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली अंत्योदय प्रेरित योजनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है। इन दिनों शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक विकास की असंख्य योजनाएं देश भर में चल रही है। इन योजनाओं के माध्यम से भारत के आम आदमी के जीवन-स्तर को सुधारने तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के तेजी से प्रयास हो रहे हैं।

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुवात की थी। यह अंत्योदय प्रेरित योजना है जिसमें गरीब और बेघर लोगों को अपना खुद का घर बनाने के लिए सरकारी सहायता का प्रावधान है। इस योजना के तहत पिछले 10 सालों में पात्र गरीब परिवारों के लिए लगभग 4 करोड़ घर बनाए जा चुकें हैं। इस योजना के अंतर्गत बन रहें घरों में शौचालय एवं शुद्ध जल की व्यवस्था का भी प्रावधान है। पीएमएवाई के तहत, लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक एवं जाति जनगणना (SECC) 2011 के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। भारत सरकार ने अभी अभी इस योजना में बदलाव कर इसका दायरा बढ़ा दिया है। नए नियम के अनुसार जिन नागरिकों के पास टू व्हीलर, मछली पकड़ने की नाव, रेफ्रीजरेटर, लैंडलाइन फोन है या जिनकी आय 15,000 रुपए प्रतिमाह तक है उन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पात्र माना जाएगा। इसके साथ साथ ही जिनके पास ढाई एकड़ सिंचित या पांच एकड़ असिंचित भूमि है, वे भी इस योजना का लाभ उठा सकेंगें। यह मोदी सरकार की बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है जिसका क्रियान्वयन उन व्यक्तियों को लक्ष्य करके किया गया है जिन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ‘‘समाज के अंतिम व्यक्ति’’ की संज्ञा देकर सबसे पहले उनके उदय (विकास) की बात रखते हुये अंत्योदय का सिद्धांत प्रतिपादित किया था. मोदी सरकार लक्ष्य अन्त्योदय, प्रण अन्त्योदय व पथ अन्त्योदय के ध्येय के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं- "घर की चाबी सम्मान, आत्मविश्वास, सुनिश्चित भविष्य, नई पहचान और बढ़ती संभावनाओ के द्वार खोलती है।" वास्तव में हर व्यक्ति का एक सपना होता है कि उसका स्वयं का एक पक्का आशियाना हो. मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना प्रारंभ कर गरीबों के इस सपने को साकार करने का काम किया है। पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का अंत्योदय प्रधानमंत्री आवास के रुप में फलीभूत हो रहा है। वास्तव में उनका यह सिद्धांत 21 वी सदी में विकसित भारत का आधार बन चुका है।

- अशोक बजाज

पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़