एग्जिट पोल और एनडीए की बैठक, देश में मोदी युग की वास्तविक शुरुआत

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संतोष पाठक । May 22 2019 6:53PM

2014 में आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के बीच नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी। उस समय मंच पर मोदी के अलावा भी कई वरिष्ठ नेता मौजूद होते थे और नेतृत्व करने के बावजूद कहीं न कहीं मोदी को उनके सम्मान में सर झुकाना ही पड़ता था।

वैसे तो देश में अब तक नरेंद्र मोदी समेत 15 प्रधानमंत्री शासन कर चुके हैं लेकिन इनमें से कुछ ही प्रधानमंत्री के कार्यकाल को एक युग की संज्ञा दी जाती है मसलन भारतीय राजनीति का नेहरू युग, इंदिरा का दौर। तमाम राजनीतिक परिस्थितियों का आकलन करे तो 23 मई के बाद देश में एक और युग की शुरुआत सही मायनों में होने जा रही है– मोदी युग। कहने को यह कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी तो पूर्ण बहुमत के साथ 2014 में ही देश के प्रधानमत्री बन चुके थे तो फिर 2019 से इसकी शुरुआत कैसे मानी जा सकती है? वास्तव में ऐसा मानने या कहने की कई वजह है। 

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2014 में आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के बीच नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी। उस समय मंच पर मोदी के अलावा भी कई वरिष्ठ नेता मौजूद होते थे और नेतृत्व करने के बावजूद कहीं न कहीं मोदी को उनके सम्मान में सर झुकाना ही पड़ता था। इस हालात की तुलना जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल से की जा सकती है जब प्रधानमंत्री होने के बावजूद नेहरू को अन्य वरिष्ठ या समकक्ष नेताओं के प्रोटोकॉल या सम्मान का ख्याल भी रखना पड़ता था। बाद में धीरे-धीरे यह परिस्थिति बदलती गई और सरकार से लेकर पार्टी तक नेहरू हर मायने में सर्वे-सर्वा बनते चले गए। ठीक इसी तरह के हालात 23 मई के बाद बीजेपी और सरकार में होने जा रहे हैं अगर एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित हुए तो।

अब केवल मोदी और सिर्फ मोदी

इसकी एक बानगी उस समय देखने को मिली जब चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह के साथ उनकी प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचे थे। 2014 में पार्टी के पुराने राष्ट्रीय कार्यालय के मंच पर बैठे नेताओं की तुलना 2019 में पार्टी के नए राष्ट्रीय कार्यालय के उस मंच पर बैठे नेताओं से कर लीजिए।

एनडीए की बैठक में छाए मोदी

मोदी युग के शुरुआत की दूसरी बानगी 21 मई को एनडीए की डिनर बैठक में देखने को मिली । एनडीए के 39 सहयोगी दलों में से 36 दलों के नेता इस बैठक में उपस्थित रहे लेकिन छाये रहे सिर्फ मोदी। किसी जमाने में प्रधानमंत्री पद के दावेदार रहे नीतीश कुमार हो या सामना के जरिए लगातार मोदी पर हमला बोलने वाले शिवसेना के उद्धव ठाकरे या फिर राजनीति में अटल युग के प्रकाश सिंह बादल, इन तमाम नेताओं ने जिस अंदाज में मोदी का स्वागत किया वह अपने आप में काफी कुछ बयां कर रहा था। इस बैठक के माध्यम से बीजेपी ने साफ-साफ यह संकेत दे दिया कि नरेंद्र मोदी बीजेपी के ही नहीं बल्कि एनडीए के भी सर्वमान्य नेता है, एकमात्र नेता है। एनडीए के अंदर से अब मोदी को कोई चुनौती नहीं मिलेगी। किसी भी वजह से अगर बीजेपी 272 से नीचे भी रह जाती है तो भी मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे, इन्ही पुराने एनडीए दलों के सहयोग से । जरूरत पड़ी तो बाहर के दलों को भी एनडीए में शामिल किया जा सकता है। 

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मोदी को नेता मानने पर सहयोगी दलों को मिलेगा पूरा सम्मान 

रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान ने जिस अंदाज में मोदी का स्वागत किया, उन तस्वीरों को ध्यान में रखते हुए आगे की लाइन पढ़िए। बैठक के बाद रामविलास पासवान को मीडिया के सामने आगे करके बीजेपी ने एनडीए के तमाम घटक दलों को साफ-साफ एक संदेश दिया। मोदी को नेता मानिए और एनडीए सरकार में ज्यादा से ज्यादा सम्मान पाइए। 

युवा और नया मंत्रिमंडल 

कहने को कहा जा सकता है कि 2014 से 2019 तक मोदी ने अपने मन के मुताबिक सरकार बनाई और चलाई भी। कुछ हद तक सरकार चलाने के मामले में यह सही हो सकता है लेकिन मंत्रिमंडल के गठन के मामले में नरेंद्र मोदी को भी कई नेताओं की वरिष्ठता का ध्यान रखना पड़ा था। एक्जिट पोल के नतीजों के अनुसार अगर बीजेपी 300 के आंकड़े के आस-पास पहुंचती है या इसको पार कर जाती है तो फिर ये तमाम बंदिशें भी टूट जाएंगी। उसके बाद नरेंद्र मोदी पूरी तरह से अपने पसंद का मंत्रिमंडल बनाएंगे। मोदी युवा चेहरों पर ज्यादा ध्यान देंगे। मतलब बिल्कुल साफ है कि कुछ और वरिष्ठ नेताओं को अब ससम्मान मार्गदर्शक की भूमिका ही स्वीकार करनी होगी और परफॉर्म करने का दायित्व युवा मंत्रियों के कंधों पर होगा जिन्हे महत्वपूर्ण मंत्रालयों से नवाजा जाएगा।

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यही तो होगा वास्तविक मोदी युग

अमित शाह के माध्यम से संगठन पर पहले से ही प्रधानमंत्री मोदी की पूरी पकड़ है। अगर शाह मोदी के मंत्रिमंडल में जाते भी है तो बीजेपी अध्यक्ष के रूप में जो भी व्यक्ति पंचम तल पर बैठेगा, वह पूरी तरह से मोदी-शाह के निर्देश पर ही काम करेगा। युवा मंत्रियों की कैबिनेट पर भी मोदी की ही छाप होगी। बात बिल्कुल साफ है पार्टी के साथ-साथ तमाम बीजेपी यहां तक की सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों से लेकर केन्द्र की सरकार तक हर जगह सिर्फ मोदी का जलवा होगा, सिर्फ नरेंद्र मोदी का नाम होगा और इसी दौर के लिए युग शब्द बनाया गया है। इसलिए कहा जा सकता है कि देश में सही मायनों में 23 मई के बाद मोदी युग की शुरुआत होने जा रही है।

- संतोष पाठक

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